पाकिस्तान की आखिरी रिपोर्ट- बढ़ती आर्थिक मंदी की वजह से पाक अपने प्रवासी नागरिकों से मांग रहा है भीख

पाकिस्तान वित्तीय संकट

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पाकिस्तान वित्तीय संकट से गुजर रहा है। जैसा की पहले भी बताया गया है, पाकिस्तान में वित्तीय संस्थान की गड़बड़ियों की वजह देश के राजकोष को घाटा हुआ है।

वैसे किसी किताब में पाकिस्तान एक असफल राज्य का उदहारण हो सकता है जो राजनीतिक और आर्थिक ज़मीन के इस खेल में इस तरह से फंस गया है कि उसे जल्द ही एक अन्य बेलआउट के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से बातचीत करने की नौबत आ गयी है। 1984 के बाद से इस्लामिक गणराज्य ने 2013 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से अपना 14वां बेलआउट पैकेज प्राप्त किया था। पाक के रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में वृद्धि के साथ ही राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण ने पाकिस्तान के अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंचाई है, ऐसे में इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि अब पाकिस्तान के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है।

चीन की विदेशी नीति शोषण करने वाली है जिसने औपनिवेशिक शोषण के लिए नया तरीका अपनाया है जिससे वो अपने निर्यात को बढ़ा सके और अमेरिकी डॉलर को कमजोर कर अपनी मुद्रा को मजबूत कर सके। हाल ही में हुए बदलाव और चीन के पाक-चीन आर्थिक गलियारे (CPEC ) में निवेश ने पाकिस्तान के वित्तीय भविष्य को सीमित कर दिया है। पाकिस्तान चीन के निवेश के कारण अब एक ऐसे कर्ज चक्र में फंस गया है जहां से निकलना उसके लिए मुश्किल हो गया है।

हालांकि, अभी हाल ही के वर्षों में पाक की जीडीपी का स्तर बढ़ा था लेकिन सच्चाई तो शायद कुछ और है। एक ऋण-आधारित अर्थव्यवस्था जहां ज्यादातर निवेश विदेशी राज्य से आता हो ऐसे में पाक के घरेलु बाजार में उत्पादकता की कमी निश्चित रूप से बाधित हुई होगी, अगर उनकी आयात क्षमता कमजोर नहीं भी होती है तो इसका असर उनके विदेशी मुद्रा भंडार पर भी होगा ही जो बहुत तेजी से घट घट रहा है। ऐसे में पाक सरकार ने ये घोषणा की है कि वो विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी के लिए अपने प्रवासी नागरिकों से आग्रह करंगे कि वो देश के बोंड्स को खरीदें। गौर हो कि पाक का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले तीन वर्षों से घट रहा है, ऐसे में पाकिस्तान सरकार अपने प्रवासी नागरिकों से आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिए भीख मांग रहा है।

एक पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा, ये बांड घरेलु बाजारों के मुकाबले एक्सपाट्स को ज्यादा लाभ देंगे। उनका लक्ष्य है $ 500 मिलियन की पहली किश्त से 1 अरब डॉलर जुटाना है। किसी भी विकासशील अर्थव्यवस्था में वित्तपोषण के लिए जारी ये परियोजना अभूतपूर्व है। अन्य देशों ने वित्तीय संकट के समय ऐसे बांड जारी किये थे लेकिन पाकिस्तान में जनता के फायदे को ताक पर रख कर निजी लाभ पाने की कोशिश कोई नयीं नहीं है।

पाक की छवि ऐसी बन चुकी है जो अपने मुसीबत के समय में अपने नागरिकों से जितना हो सके उतना फायदा लेने की कोशिश करता है। वैसे पाक का अपने नागरिकों का अपने फायदे के लिए लाभ उठाना कोई नया नहीं है इससे पहले पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध के समय भारत के खिलाफ चल रही लड़ाई में अपने नागरिकों से संपर्क किया था और उनसे गहने और नकदी की मदद मांग कर युद्ध में भागीदार के लिए कहा था।

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