नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) मई के महीने में अपने चार साल पूरे करने जा रही है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में मजबूती के साथ उतरेगी। मोदी सरकार के अंतर्गत पिछले चार सालों में हुए पूरे विकास पर नजर डालें तो पर औद्योगिकीकरण और कृषि में प्रगति हुई है। इसमें कोई शक नहीं है कि पिछले चार वर्षों में भारतीय जनता पार्टी में काफी सुधार आया है जो विभिन्न राज्यों के चुनाव से स्पष्ट हो गया है। 2014 में हुए महाराष्ट्र के चुनावों से लेकर 2018 में हुए कर्नाटक चुनावों तक यहाँ तक कि इन वर्षों में हुए सभी चुनावों में बीजेपी अपने सहयोगियों समेत एक के बाद एक जीत के साथ बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जिन राज्यों में 2014 से पहले बीजेपी की बड़ी उपस्थिति नहीं थी वहां भी बीजेपी और उसके राजनीतिक विकास के ब्रांड का जोरदार स्वागत किया गया । 2019 के चुनाव के पहले ही कई सर्वे और ओपिनियन पोल्स की भविष्यवाणी सामने आने लगी हैं। सभी सर्वे के नतीजों में ये भविष्यवाणी की गयी है कि बीजेपी केंद्र में बनी रहेगी लेकिन बीजेपी की पकड़ कमजोर हो जाएगी। ऐसे इन सर्वे की भविष्यवाणियों ने एक नया मोड़ ले लिया है।
एबीपी-सीएसडीएस ने हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए एक सर्वे किया और ये चुनाव जोकि लोकसभा चुनावों से थोड़ा पहले होने वाले हैं। एबीपी-सीएसडीएस सर्वेक्षण का अनुमान है कि बीजेपी को मध्य प्रदेश, राज्य और लोकसभा दोनों ही जगह हार का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी शासित तीन राज्यों को लेकर इस सर्वे के तथ्य आश्चर्यजनक हैं। यहां तक कि 2014 में बीजेपी का वोट शेयर 55% था और पार्टी ने 271 सीटें जीती थीं। सर्वेक्षण के अनुसार आने वाले चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर घटकर 34% हो सकता है। वहीं इसी सर्वेक्षण में बुरी स्थिति से गुजर रही कांग्रेस पार्टी को 49 % वोट शेयर मिलने की बात कही है जिसपर विश्वास करना मुश्किल है। 2014 में बीजेपी ने राजस्थान के सभी 25 लोकसभा सीटों को हासिल किया था लेकिन इस सर्वेक्षण में सामने आया है कि इस बार होने वाले चुनावों में राजस्थान कांग्रेस का पक्ष ले सकता है। 2014 में कांग्रेस के 33 प्रतिशत के खिलाफ बीजेपी को 45 प्रतिशत वोट शेयर मिले थे ऐसे में 2019 को लेकर आये इस सर्वे ने पूरा परिदृश्य ही बदलकर रख दिया है और इसके पीछे की वजह राज्य में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की लोकप्रियता है।
एबीपी-सीएसडीएस सर्वे ने भविष्यवाणी की है कि बीजेपी-जेडीयू साथ बने रहेंगे ताकि वो बिहार में अपने प्रभुत्व को बनाये रखेंगे। जेल में आरजेडी नेताओं के साथ कांग्रेस कभी बिहार में प्रमुख खिलाड़ी नहीं रही है, यहां कांग्रेस हमेशा ही गठबंधन का हिस्सा रही है, वहीं बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ बिहार में शासन कर रही है। इस सर्वे में भविष्यवाणी की गयी है कि बिहार का पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश बीजेपी को झटका दे सकता है। शायद इस अनुमान के पीछे की वजह गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी की हार हो सकती है जहां बीजेपी को सपा-बसपा के गठबंधन के खिलाफ हार मिली थी। एबीपी-सीएसडीएस सर्वेक्षण 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के जबरदस्त जीत के आधार पर आकलन करने में असफल रहा है। गोरखपुर और फूलपुर बीजेपी की बड़ी योजना में एक अपवाद था। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी ने आधुनिकीकरण के एक नए युग की स्थापना की है। उन्होंने प्रदेश में आपराधिक तत्वों पर शिकंजा कसने के साथ शिक्षा प्रणाली में सुधार करके जनता के भले के लिए कार्य किया है।
बसपा अब राज्य में एक निष्क्रिय पार्टी है और सपा सत्तारूढ़ परिवार में आंतरिक लड़ाई से जूझ रही है। यहां तक कि तीन टूटी हुई पार्टियों का संयुक्त गठबंधन भी मोदी लहर को रोक पाने में सक्षम नहीं है जोकि 2014 और 2017 की तरह एक बार फिर से यूपी पर अपनी पकड़ मजबूत बनाये रखने में कामयाब रहेंगे।
एबीपी-सीएसडीएस सर्वेक्षण का अनुमान है कि 2019 में बीजेपी के लिए महाराष्ट्र और गुजरात के लोकसभा चुनाव आश्चर्यचकित करने वाले होंगे जहां कांग्रेस बीजेपी के वोट शेयर को अपनी भागीदारी से कम कर सकती है। महारष्ट्र और गुजरात चुनावों में जनता ने बीजेपी में अपना विश्वास जताया है और यदि शिवसेना बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़कर अलग होने का फैसला करती है तो भी इससे बीजेपी पर कोई बड़ा असर नहीं होगा। शिवसेना अब पहले जैसी नहीं रही जैसा कि वो दिवंगत बालासाहब ठाकरे के अधीन हुआ करती थी । उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के लोगों का दिल जीतने में नाकाम रहे हैं। कांग्रेस महाराष्ट्र में कुछ सीटें जीत सकती है लेकिन इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। शिवसेना के लिए बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने का निर्णय ज्यादा सही होगा यदि वो 2019 के बाद भी राज्य में अपनी प्रासंगिकता को बरकरार रखना चाहते हैं।
एबीपी-सीएसडीएस सर्वेक्षण का अनुमान है कि पश्चिम बंगाल और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ेगा। 2014 की तुलना में बंगाल में बीजेपी की पकड़ मजबूत हुई है और हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पश्चिम बंगाल के लोगों ने बड़े पैमाने पर बीजेपी का समर्थन किया है। 2018 में उत्तर-पूर्वी राज्यों ने बीजेपी का खुलकर स्वागत किया है समय के साथ इन राज्यों में बीजेपी अपनी स्थिति को और सुधार सकती है। ऐसे में 2019 में भी पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्य बीजेपी को अपना समर्थन जरुर देंगे। एनडीए को पूर्वोत्तर क्षेत्र से 124 सीटों में से 86-94 मिल सकती हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी ऊपर की ओर उठेगी। 2019 में बीजेपी निश्चित रूप से सीपीआईएम और टीएमसी से कम से कम एक दर्जन सीटें जीतने में सक्षम होगी।
सर्वेक्षण के मुताबिक लोकसभा चुनाव में पश्चिमी और मध्य भारत बीजेपी को अपना समर्थन देना जारी रखेंगे। ये सर्वेक्षण भारत के दक्षिणी क्षेत्र में बीजेपी की बढ़ी लोकप्रियता को कवर करने में असफल रहा है जहां अभी तक के बीजेपी के प्रदर्शन के रिकार्ड्स को देखें तो वहां आने वाले समय में बीजेपी के लिए संभावनाएं बढ़ी हैं। आगामी चुनावों में आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में बीजेपी निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण पार्टी बनकर उभरेगी। दरअसल, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से किये वादों को पूरा कर पाने में नाकाम रहे हैं और उन्होंने एनडीए के साथ अपना गठबंधन तोड़कर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है। यही वजह है कि आंध्र प्रदेश के लोगों का रूख बीजेपी की ओर हो सकता है और ये लोकसभा चुनावों में संयुक्त सभी अन्य दलों की तुलना में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करने में सक्षम होगी। कर्नाटक में बीजेपी हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और ये नतीजे दक्षिण में बीजेपी की पकड़ को मजबूत करने में सहायक होते हैं। लिंगायत समुदाय पहले ही बीजेपी के साथ हैं वहीं वोक्कालिगा जेडीएस से कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करने की वजह से नाराज हैं जोकि बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
ये सर्वेक्षण 19 राज्यों में किये गये थे । हाल में हुए राज्यों के चुनावों के नतीजे सर्वेक्षण निष्कर्षों का खंडन करते हैं। बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियां 2019 में होने वाले चुनावों को जीतकर विपक्ष पर हावी रहेंगी। तीसरा मोर्चा बीजेपी के खिलाफ लड़ाई को जीतने में नाकाम रहेगा और 2019 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर एक बार फिर से उभरेगी। ये एबीपी-सीएसडीएस सर्वेक्षण द्वारा भी साबित हो सकता था यदि इस सर्वे में भारत के सभी राज्यों को शामिल किया गया होता। एनडीए गठबंधन 2019 के चुनाव आराम से जीतेगी और ये बहस 2019 के चुनावों के नतीजों के बाद 2024 के चुनावों को लेकर शुरू हो जाएगी।