महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में दिल्ली कोर्ट ने आप नेता आशुतोष पर FIR दर्ज करने के दिए आदेश

आशुतोष कोर्ट

पत्रकार से नेता बने और आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष एक बार फिर से सुर्ख़ियों में हैं।  रोहिणी कोर्ट ने विवादास्पद आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं । उन्होंने अपने ब्लॉग में महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। अपने ट्वीट में उन्होंने फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर अपनी शर्मनाक टिप्पणियों का बचाव भी किया। आशुतोष ने ट्वीट किया, “मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं और कोर्ट में इसका जवाब दूंगा। लेकिन जो लोग लगभग 2 वर्षों के बाद कोर्ट में गए थे, वो मेरे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीनना चाहते हैं। मैं गांधीजी का अनुयायी हूं, उनका अपमान करने की कल्पना भी नहीं कर सकता।“

दिल्ली पुलिस को आप नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा, “लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की मंशा रखने वालों के लिए महात्मा गांधी पर सवाल उठाना सरल तरीका है, एक देशभक्त के लिए भी महात्मा गांधी की तरह आदर्श और महानता हासिल करना बहुत ही कठिन है।” दिल्ली के निवासी ने आशुतोष के खिलाफ आईपीसी की धारा 292 और 293 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करवाई थी। वहीं, दिल्ली के ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में सुबोध जैन नाम के एक अन्य शिकायतकर्ता ने पुलिस से आशुतोष की मानसिक जांच करवाने की मांग की।

दरअसल, आशुतोष ने 2016 में सेक्स स्कैंडल मामले में फंसे आम आदमी पार्टी के निष्कासित मंत्री संदीप कुमार का बचाव करते हुए एक ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग में उन्होंने महात्मा गांधी समेत कई बड़े नेताओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी थीं। अपने ब्लॉग में उन्होंने लिखा था, “भारतीय इतिहास कई ऐसे नेताओं और नायकों के उदाहरणों से भरा है जो सामाजिक इच्छाओं से परे जाकर अपनी इच्छाओं के साथ जीवन जिया करते थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के कई महिला सहकर्मियों के साथ रिश्तों की खबरें चर्चा में रहती थीं, लेकिन उन्होंने कभी अपने राजनीतिक करियर को खराब नहीं किया। एडविना माउंटबेटन के साथ उनके संबंधों पर व्यापक चर्चा हुई थी। पूरी दुनिया इसके बारे में जानती है। उनका लगाव पंडित नेहरु के साथ उनकी आखिरी सांस तक रहा था। क्या ये पाप था? इतिहास इस तथ्य का भी गवाह है कि 1910 में कांग्रेस के शीर्ष नेता गांधीजी के सरला चौधरी के साथ लगाव से काफी चिंतित थे जोकि रवींद्र नाथ टैगोर की दूर की रिश्तेदार थीं। गांधी जी ने कबूल भी किया था कि सरला उनकी आध्यात्मिक पत्नी थीं। कस्तूरबा इससे काफी विचलित थीं। तब गांधीजी को राजी करने के लिए सी. राजगोपालाचारी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था। उन्होंने गांधी जी पर सरला को छोड़ने का दबाव बनाया था। बाद में गांधी जी अपने ब्रह्मचर्य की परीक्षा लेने के लिए अपनी ही दो युवा रिश्तेदार की लड़कियों के साथ नग्नावस्था में सोया करते थे। पंडित नेहरू ने उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए कहा था क्योंकि पूरा देश उनके खिलाफ खड़ा हो जायेगा लेकिन गांधी जी ने उनकी एक नहीं सुनी।“

उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा था, “समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि एक आदमी और एक महिला के बीच हर रिश्ता सही है यदि उस रिश्ते को किसी मजबूरी या दबाव से परिभाषित न किया जाता हो। राम मनोहर लोहिया के पास आजीवन साथी थीं और वो बिना शादी किये ही उनके साथ रहा करते थे। उनके सहयोगी जॉर्ज फर्नांडिस का विवाह लैला कबीर से हुआ था, लेकिन कभी जया जेटली के साथ उनकी दोस्ती को लेकर कोई समस्या नहीं थी। अटल बिहारी वाजपेयी का विवाह आरएसएस परंपरा के दायरे में नहीं हुआ था लेकिन उन्होंने संसद में कहा था कि वह एक स्नातक हैं न की ब्रह्मचारी। वो खुले तौर पर अपने कॉलेज की मित्र के साथ रहते थे और समाज ने इसपर कभी कोई आपत्ति नहीं जताई थी।“

उन्होंने आगे कहा, “शायद ये नेता भाग्यशाली थे क्योंकि इनके समय में टीवी का युग नहीं था; वो कैमरे द्वारा पकड़े नहीं जा सकते थे और न ही कोई स्टिंग ऑपरेशन किया गया था।”

ये ब्लॉग आप के प्रवक्ता आशुतोष के बौद्धिक स्तर को दिखाता है जो न सिर्फ इस शर्मनाक तरीके से मंत्री की करतूतों के लिए मंत्री का बचाव कर रहे हैं बल्कि इसे सही भी ठहरा रहे हैं। इन सभी नेताओं ने अपने समय में जो भी किया हो, आम आदमी पार्टी के नेता संदीप कुमार की तरह उनपर यौन अप्रासंगिकता के आरोप नहीं लगाये गये थे। अब कोर्ट ने आशुतोष के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं। हालांकि, अब देखना ये होगा कि क्या आशुतोष इस मामले में अपने ब्लॉग की टिप्पणियों से एक बुद्धिमान की तरह उभरेंगे। यदि उनकी पार्टी द्वारा की गयी गलतियों को देखें तो ऐसा होना लगभग असंभव सा लगता है।

Exit mobile version