जब पूरा देश महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध और गंदी मानसिकता के खिलाफ लड़ रहा है तब मध्य प्रदेश राज्य में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने इस मामले में एक कदम आगे बढ़ाया है। एक ऐतिहासिक फैसले में, मध्य प्रदेश पुलिस, सरकार और न्यायपालिका ने तुरंत न्याय के लिए नए मानकों को स्थापित किया है।
एक असाधारण सुनवाई में इंदौर की एक अदालत ने शनिवार को एक 26 वर्षीय व्यक्ति को तीन महीने की लड़की के साथ रेप करने और उसकी हत्या करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। मासूम के साथ रेप जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले अपराधी को अपराध के मात्र 22 दिनों के भीतर ही दंडित किया गया है। पहली बार किसी अदालत में इतने लंबित मामलों के होने के बावजूद त्वरित फैसला सुनाया है। गौर हो कि, नया कानून बनने के बाद ये पहला मामला है जब किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है। चौहान सरकार की तत्कालता ने इस फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आरोपी नवीन गड़के को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ए) के तहत अतिरिक्त सत्र में न्यायाधीश वर्षा शर्मा ने बच्ची के अपहरण, ज्यादती और हत्या के मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई है। भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत भी आरोपी दोषी था। अभियुक्त को पॉक्सो एक्ट के तहत भी दोषी पाया गया था जिसे हाल ही में संशोधित किया गया था। इस एक्ट के मुताबिक12 साल से कम उम्र के मासूम के साथ रेप करने के दोषियों को मौत की सजा दी जाएगी।
बच्ची के साथ आरोपी ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी थीं। 20 अप्रैल की मध्यरात्रि के दौरान आरोपी ने माता-पिता के पास सोई बच्ची का अपहरण कर लिया था। इसके बाद वो बच्ची को एक कमर्शियल बिल्डिंग के तहखाने में ले गया और उसके साथ दिल को झकझोर देने वाले अपराध को अंजाम दिया। ये बिल्डिंग बच्ची के घर से 50 मीटर की दूरी पर है। नवीन गड़के ने रेप के बाद बच्ची की हत्या करने के लिए उसे जमीन पर भी पटका था। मासूम का शव 20 अप्रैल को बरामद किया गया और उसी दिन गड़के को गिरफ्तार भी कर लिया गया। जिस तरह से आरोपी ने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया और क्रूरता दिखाई उसके बाद वो एक ही सजा का हकदार था और वो है मौत। अपने फैसले के 51 पृष्ठ पर जज वर्षा शर्मा ने कहा, “आरोपी ने जघन्य अपराध किया है और दरिंदगी की सारी हदें पार की है ऐसे में ये व्यक्ति समाज के लिए नासूर है। जैसे शरीर के किसी अंग में घाव सड़ने लगे तो उस नासूर से शरीर बचाने के लिए डॉक्टर काट देता है उसी तरह ये आरोपी समाज के लिए नासूर है जिसे समाज से हटाना आवश्यक है। ऐसे व्यक्ति को मौत सजा ही मिलनी चाहिए।”
बच्ची के साथ रेप और हत्या के मामले में पुलिस की जांच त्वरित और निष्पक्ष थी। अपराध किये जाने के सात दिनों के भीतर ही 27 अप्रैल को पुलिस ने अदालत के समक्ष चार्जशीट दायर की थी। अदालत ने बिना कोई देरी किये इस मामले पर सुनवाई शुरू कर दी। 28 अप्रैल को आरोपी के खिलाफ गवाहों और साक्ष्यों की सूची पेश की गयी और 1 मई से सुनवाई शुरू कर दी गयी । इस मामले में सुरक्षा अधिकारी अक्रम शेख पीड़िता के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए अपने कौशल और ज्ञान के असाधारण प्रदर्शन के लिए श्रेय के हकदार हैं। मुकदमे के दौरान 29 गवाहों के साक्ष्य पूरे कर ट्रायल पूरा किया गया और आरोपी के अपराध की दृढ़ता को अदालत में साबित किया गया जिसके बाद आरोपी को मौत की सजा सुनाई गयी।
ये ट्रायल एक उम्मीद की किरण है, जिससे किसी भी व्यक्ति को ये विश्वास दिलाया जा सकेगा कि त्वरित न्याय का लक्ष्य मात्र एक कल्पना नहीं है। वो लोग जो जघन्य अपराध और अमानवीय अपराधों में लिप्त होते हैं उन्हें कम समय में सजा देकर न्याय किया जा सकता है। जिस तरह से चौहान सरकार ने इस मामले को संभाला है उससे उन्होंने देश के अन्य राज्यों की सरकारों व पुलिस बलों के सामने एक उदाहरण पेश किया है जिसका सभी को अनुकरण करने की कोशिश करनी चाहिए। समाज को भ्रष्ट और गंदी सोच रखने वाले अपराधियों से बचाने के लिए ये न्याय अपराधियों के जहन में डर पैदा करेगा जो ऐसे कृत्य को अंजाम देने से पहले दस बार सोचेंगे। ये सिर्फ एक हल नहीं है बल्कि महिलाओं के खिलाफ अंजाम देने वाले अपराधियों को सजा देना के लिए एक राज्य का कर्तव्य भी है। कामुक सोच रखने वालों से समाज को बचान एके लिए जोकि खतरनाक रूप से समाज का हिस्सा बनता जा रहा है ये एकमात्र तरीका है जिससे उनमें कानून का डर पैदा होगा। ये फैसला अपराध की मानसिकता रखने वाले अपराधी के अंदर डर को जन्म देगा जिससे वो किसी भी कृत्य को करने से पहले दस बार सोचेंगे। ऐसे में उनके समक्ष या तो वो समाज के आदर्शों का पालन करें या कानून के क्रोध का सामना करने का विकल्प ही शेष रह जायेगा। इस तरह का उदाहरण पेश करने के लिए शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार की सराहना की जानी चाहिए।