कर्नाटक चुनाव नतीजों ने जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस के कई नेताओं को चौंका दिया था। कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस की विभाजनकारी नीति को अस्वीकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस का पतन शुरू हो गया लेकिन जेडीएस कांग्रेस के पतन से कोई सीख नहीं ले रहा है। हालांकि, जेडीएस 38 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहा है फिर भी वो अपनी असली क्षमता तक नहीं पहुंच सका। जेडीएस कर्नाटक की पार्टी है, पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के नेता एचडी देवगौड़ा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर्नाटक से की थी। कांग्रेस के सीएम पद के उम्मीदवार सिद्धारमैया के साथ पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी लाख कोशिशों के बावजूद कर्नाटक को अपने हाथों से फिसलने से नहीं बचा सके। जेडीएस और कांग्रेस की मुश्किलें कर्नाटक के नतीजे आने के बाद भी खत्म नहीं हुए। पहले तो कर्नाटक के राज्यपाल ने कर्नाटक में सरकार बनाने की उनकी मांग को खारिज कर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। गुरुवार को बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली साथ ही उन्हें राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए दो दिन का वक्त दिया गया है। बीजेपी अपना बहुमत साबित करने के लिए आत्मविश्वास से भरी हुई नजर आ रही है और जेडीएस-कांग्रेस दोनों ही इसके बाद से मुश्किल की स्थिति में नजर आ रहे हैं क्योंकि दोनों ही पक्षों के नेताओं के लिए कोई मदद की संभावना नजर नहीं आ रही है।
16 मई को कन्नड़ की एक प्रमुख न्यूज़ वेबसाइट उदयवानी में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, जेडीएस के 5 और कांग्रेस के 10 विधायक पार्टी की बैठक से गायब थे। बेंगलुरु शहर में आयोजित पार्टी की जेडीएस पार्टी की बैठक से पांच वरिष्ठ नेता गायब थे। शांगरी-ला, वसंत नगर में बैठक आयोजित की गयी थी जिसमें पार्टी द्वारा उठाये गये कदम के भविष्य को लेकर चर्चा होनी थी लेकिन इस बैठक में पांच वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति ने 32 अन्य विजेता विधायकों और पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच तनाव की स्थिति को पैदा कर दी है।
राज्य के क्वींस रोड में स्थित कांग्रेस पार्टी के राज्य मुख्यालय में भी यही स्थिति देखने को मिली, जहां राज्य के 78 सीटों पर जीत दर्ज करने वाले विधायकों में से दस विधायक पार्टी की बैठक से नदारद दिखें। कांग्रेस और जेडीएस दोनों के ठिकानों से विधायक गायब दिखे जिसके बाद दोनों के कार्यालयों में इस मामले को लेकर कानाफूसी शुरू हो गयी। कांग्रेस के गायब विधायकों में नागेंद्र, भीमनायक, गणेश हुक्केरी और आनंद सिंह भी थे।
जेडीएस के नेता एचडी कुमारस्वामी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, गायब विधायकों को लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है, उनका ये बयान कि सभी “गायब विधायक वापस आयेंगे”, दरअसल, इस तथ्य की प्रतिक्रिया है कि जेडीएस से विधायक पहले ही गायब हो चुके हैं। कुमारस्वामी अब कितने भी विश्वास से उनके वापस आने की बात क्यों न कहें लेकिन इससे अब कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि पार्टी से नाराज विधायक पहले ही दल बदल चुके हैं। ऐसे में वो अब गठबंधन के लिए जरुरी विधायकों की संख्या को लेकर चिंतित होंगे।
'Defectors will come back': HD Kumaraswamy (@hd_kumaraswamy) to TNM#KarnatakaPolitics pic.twitter.com/VbcGZoBBSY
— TheNewsMinute (@thenewsminute) May 17, 2018
कांग्रेस को अपने गायब विधायकों को लेकर चिंतित होना चाहिए। जेडीएस के विधायक कांग्रेस के साथ गठबंधन के फैसले को लेकर नाराज हो सकते हैं। दरअसल, जेडीएस के नेताओं ने चुनाव पूर्व सिद्धारमैया और कांग्रेस शासन के खिलाफ खूब चुनाव प्रचार किया था। वैसे ही लिंगायत नेता जेडीएस के सहयोगियों जोकि वोक्कालिगा समुदाय से हैं के साथ गठबंधन को लेकर नाराज हैं। ऐसे में इन दो प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के विधायकों के लिए हाथ मिलाने का फैसला आदर्श नहीं हो सकता, जो एक दूसरे की विपरीत विचारधारा वाले लोगों से हाथ मिलाने की बजाय बीजेपी पार्टी में शामिल होना ज्यादा सही मानते हैं।
जेडीएस के नेता ने द न्यूज़ मिनट से बातचीत में बताया कि, कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह और प्रताप गौड़ा पाटिल के गायब होने की खबर आ रही है और पार्टी लगभग निश्चित है कि ये गायब विधायक बीजेपी में शामिल हो गये हैं। विधायकों के गायब होने से कांग्रेस और जेडीएस में तनाव और बढ़ गया है। लगता है कि बीजेपी के रणनीति मास्टर अमित शाह के मार्गदर्शन में पार्टी अपना खेल सही तरीके से खेल रही है।
स्थानीय कन्नड़ न्यूज़ वेबसाइट की एक खबर के मुताबिक बेंगलुरु के ईगलटन रिजॉर्ट में रुके हुए कांग्रेस और जेडीएस के 7 विधायक हेल्थ से जुड़ी समस्या की वजह से बाहर आ गये हैं। इन सभी विधायकों की नजर उस दिन पर है जब येदियुरप्पा द्वारा कर्नाटक राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने पर होगा जो आने वाले 5 सालों तक राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के भाग्य का फैसला करेंगे। बीजेपी के पास पाने के लिए काफी कुछ है जबकि कांग्रेस और जेडीएस चुनाव के नतीजों के आने बाद जो फैसला लिया उसकी वजह से जो कुछ भी बचा था उसे भी हार गये हैं।