भारत में पिछले कुछ समय से फेक न्यूज के प्रचलन को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र में शासित भारतीय जनता पार्टी वेबसाइट और मीडिया हाउस जो फेक न्यूज फ़ैलाने में शामिल हैं उनपर शिकंजा कसने के लिए लगातार कार्य कर रही है। यही वजह है कि उदारवादी मीडिया हाउस समेत कांग्रेस से लेकर सीपीआई(एम) तक पूरे विपक्ष में इसे लेकर आक्रोश व्याप्त है। बल्कि बीजेपी कड़े विरोध का सामना कर रही है इसके बावजूद वो अपने फैसले पर कायम है। विपक्ष और ऐसे मीडिया हाउस बीजेपी और उसके सहयोगियों के खिलाफ किये गये अपने दवाओं को सही साबित करने के लिए अफवाहें फैला रहे हैं। अब मंगलवार को मीडिया द्वारा ये अफवाह सामने आयी कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए बीजेपी और सीपीआई (एम) ने हाथ मिला लिया है। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव तीन चरणों में एक मई से पांच मई तक होने वाले थे। बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय से पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हस्तक्षेप करने की मांग की थी क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने चुनाव प्रचार अभियान और नामांकन प्रक्रिया में हिंसा का सहारा लिया था।। टीएमसी के दबंगों द्वारा अन्य पार्टी के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्ट के बाद ही ये खबर चर्चा में आई है। नदिया में टीएमसी पार्टी के गैरकानूनी व्यवहार के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। टीएमसी की हिंसा से पीड़ित होने के नाते नदिया जिले में सीपीआई (एम) और कांग्रेस के कार्यकर्ता भी इन विरोधों में शामिल हुए थे।
मिलेनियम पोस्ट में प्रकाशित एक लेख में ममता बनर्जी ने बीजेपी और सीपीआई (एम) पर पश्चिम बंगाल में गठबंधन बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने अपनी पार्टी के खिलाफ लगाए गए हिंसा के आरोपों को भी ख़ारिज कर दिया था और आरोप लगाया था कि बीजेपी पर हमले की खबर ‘फेक न्यूज’ थी। ममता बनर्जी और टीएमसी द्वारा राजनीति की सीमाओं को लांघना कोई नयी बात नहीं है क्योंकि अपनी पार्टी के खिलाफ कुछ भी प्रकाशित किये जाने पर ममता ने प्रतिष्ठित आनंदबाजार पत्रिका पर भी हमले किये थे। वामपंथी मीडिया हाउसों ने इन बयानों को तथ्यों के रूप में लिया और इस बयान को चल रहे नवीनतम विरोध प्रदर्शनों के साथ मिलाकर पश्चिम बंगाल में संभावित बीजेपी-सीपीआई (एम) गठबंधन की एक नयी खबर दिखाने लगे। मंगलवार को वेबसाइट पर जो खबरें दिखायी जा रही थीं उनमें कोई सच्चाई नहीं है वो तथ्य रहित हैं। यदि विरोध प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं के आधार पर इस खबर को तुल दिया जा रहा है तो इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा कांग्रेस भी थी ऐसे में कांग्रेस भी बीजेपी-सीपीआई (एम) के गठबंधन का हिस्सा होना चाहिए।
सीधा सा कारण है, बीजेपी पश्चिम बंगाल में उभरती हुई पार्टी है जबकि जनता पहले ही सीपीआई (एम) का बहिष्कार कर चुकी है। इसके अलावा बीजेपी और सीपीआईएम राजनीति के लिहाज से एक दूसरे के धुर विरोधी हैं और अर्थव्यवस्था से लेकर समाज तक और यहां तक कि विदेशी नीति के हर मुद्दे पर दोनों की विचारधारा एक दूसरे के विपरीत है। बीजेपी और सीपीआई (एम) के बीच गठबंधन से बीजेपी को कोई लाभ नहीं होने वाला है क्योंकि राज्य के मतदाता सीपीआई (एम) पार्टी के खिलाफ हैं। सीपीआईएम और कांग्रेस राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर एक दूसरे के सहयोगी रहे हैं। ऐसे में बीजेपी का सीपीआईएम के साथ गठबंधन का कोई मतलब ही नहीं बनता है। ये फेक न्यूज राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच आक्रोश पैदा करने के लिए फैलाई गयी थी। सीपीआई (एम) और टीएमसी ने जिस तरह से राज्य में शासन किया और हिंसा को बढ़ावा दिया उसके बाद से इन दोनों ही पार्टियों में कोई ज्यादा अंतर नहीं है और राज्य में इस तरह का शासन अभी भी जारी है। सीपीआई (एम) और टीएमसी एक ही सिक्के के दो पहलु हैं और ऐसे में सीपीआईएम की तरफ गठबंधन के लिए उठाया गया बीजेपी का एक भी कदम पूरे देश में बीजेपी समर्थकों के लिए किसी धोखे से कम नहीं होगा। जिस खबर से पूरे देश में बीजेपी के समर्थकों में गुस्सा है उसमें कोई सच्चाई नहीं है। बीजेपी ऐसी पार्टी के साथ कभी हाथ नहीं मिलाएगी जिसपर केरल में आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप हो। बीजेपी के मतदाता ऐसे लोग होते हैं जो देश में आर्थिक विकास, विकास और परंपरावाद के लिए वोट देते हैं। ये विभाजनकारी और वैचारिक रूप से संचालित वाम और मुख्य वामपंथी पार्टी के मतदाता आधार से काफी अलग हैं।
फेक न्यूज जो पूरे दिन सुर्खियों में बनी रहीं थी उसने बीजेपी के लेफ्ट विंग विरोधी आधार को कमजोर किया जोकि राईट विंग है। टीएमसी जो चाहती थी वही हुआ और इस खबर ने राज्य में बीजेपी की कमजोर छवि को भी दर्शाया। पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेताओं ने इस फेक न्यूज पर कोई ध्यान नहीं दिया क्योंकि इस खबर में तथ्यों की कमी थी। पश्चिम बंगाल में बीजेपी की इस एकजुटता का श्रेय सीताराम येचुरी को जाता है। दरअसल, सीताराम येचुरी ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी और सीपीआई (एम) के गठबंधन को लेकर दिखाई जा रही खबरों पर स्पष्टीकरण देते हुए इसे पूरी तरह फेक बताया था।
उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, “तृणमूल कांग्रेस ‘झूठी अफवाह’ फैला रही है ताकि चुनाव में हुई हिंसा से मतदाताओं का ध्यान भटकाया जा सके। हम स्पष्ट रूप से ऐसी किसी भी खबर से इंकार करते हैं और ये बीजेपी और टीएमसी दोनों का विरोध करती है।”
Utter lies and rumours spread by TMC to distract from the violence it has unleashed on the Left Front cadres. We categorically deny any such understanding and remain opposed to both the BJP and TMC. @thewire_in pic.twitter.com/wNb0ifnw2F
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) May 8, 2018
Motivated rumours, canards and lies are being spread by TMC which has a deal with BJP on communal polarisation and on saving its corrupt. Biman Bose has denied any understanding with the BJP and we stand firm in our opposition to both TMC and BJP. https://t.co/MK4DxrarJc
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) May 8, 2018
ये जरुरी भी था ताकि ऐसे निराधार दावों से लोग गुमराह न हों। पश्चिम बंगाल में बीजेपी मतदाता आधार और नेता अब राहत की सांस ले रहे हैं। इसी के साथ एक बार फिर से टीएमसी का असली चेहरा सबके सामने आ जायेगा। बीजेपी को इस घटना से एक जरुरी सीख लेनी चाहिए और और ताकि भविष्य में इस तरह के झूठे दावे फैलने से रोके जा सकें।
पश्चिम बंगाल में पूर्व निर्धारित मतदान 14 मई को आयोजित किया जाएगा और उम्मीद के अनुसार, बीजेपी और सीपीआई (एम) एक दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे और न की एक साथ।