कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को आगामी विधानसभा चुनावों में एक और चुनौती मिली है और जिसने ये चुनौती दी है वो और कोई नहीं बल्कि कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार हैं। कर्नाटक चुनाव अव्यवस्थित सा हो गया है, ऐसे में चलिए एक नजर डाल लेते हैं आने वाले चुनावों के प्रमुख खिलाड़ियों पर:
बी एस येदियुरप्पा: येदियुरप्पा आगामी चुनाव में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। 2008 में हुए विधान सभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी की जीत का नेतृत्व किया था और भारत के दक्षिण राज्य में वो बीजेपी के इकलौते मुख्यमंत्री रहे हैं। वो दक्षिण कर्नाटक के मंड्या जिले से हैं और शक्तिशाली लिंगायत समुदाय से संबंधित हैं जोकि मतदान आबादी का 10 प्रतिशत है। लिंगायत उत्तरी कर्नाटक में प्रमुख समुदाय हैं और येदियुरप्पा उनके बीच लोकप्रियता का आनंद उठाते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लिंगायत मठों और आश्रमों को सौहार्दपूर्ण दान दिया था।
सिद्धारमैया: सिद्धारमैया कर्नाटक की वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री और राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। उनका जन्म दक्षिण कर्नाटक के मैसूर जिले में हुआ था और ये संख्यात्मक रूप से कुरुबा गौड़ा जाति से संबंधित है, जो राज्य की जनसंख्या का 7 प्रतिशत है। 2005 में वो कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे इससे पहले वो जनता दल (सेक्युलर) के सदस्य थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की जीत हुई थी तब उन्हें गांधी परिवार का नजदीकी होने के कारण मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि आने वाले चुनावों के लिए वो स्वयं घोषित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं ऐसे में कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार से उन्हें कठोर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
एचडी कुमारस्वामी: कुमारस्वामी वंशवाद की राजनीति का एक अन्य उदाहरण हैं जो भारतीय राजनीति में धीरे-धीरे धूमिल से हो रहे हैं। वो एचडी देवगौड़ा के बेटे हैं जिनका कार्यकाल भारत के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में कुछ समय के लिए ही था। वो वोक्कालिगा जाति से संबंधित हैं, जो राज्य की जनसंख्या का 8.16 प्रतिशत है और ये मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण कर्नाटक में स्थित हैं, वोक्कालिगा जोकि राज्य में छोटे पैमाने पर काश्तकार के रूप में जाने जाते हैं।
डीके शिवकुमार: सिद्धारमैया की कर्नाटक की वर्तमान सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं डीके शिवकुमार। वो 251 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ भारत के दूसरे सबसे अमीर मंत्री हैं। 2008 के चुनावों के बाद से लेकर 2013 के विधानसभा चुनावों में वो 176 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ चुनाव लड़ने वाले सबसे अमीर उम्मीदवारों में से एक थे। उन्हें कांग्रेस के मसल मैन के रूप में जाना जाता है। जब कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के दौरान अपने 44 विधायकों को बचाने के लिए बेंगलुरू रिज़ॉर्ट में रखा था तब उन्हें ही उनकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी। वो अवैध खनन, ग्रेनाइट के अवैध परिवहन और अनुचित भूमि वितरण के कई मामलों के साथ भारत के सबसे भ्रष्ट राजनेताओं में से एक हैं। भूमि कार्यकर्ताओं ने शिवकुमार और उनके भाई डीके सुरेश (बेंगलुरु ग्रामीण सीट से सांसद सदस्य) पर दलित और गरीब समाज के लिए आवास योजना के तहत आवंटित की गई 66 एकड़ भूमि को हड़पने का आरोप लगाया है।
सिद्धारमैया के नेतृत्व को शिवकुमार का खतरा
एक ऐसा परिदृश्य जहां कांग्रेस चुनावों में बहुमत हासिल करती है तब सिद्धारमैया विधान सुधा में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। हालांकि, यदि पार्टी की इस पूर्ण तैयारी को झटका लगता है तब शीर्ष दावेदारों में से शिवकुमार सीएम पद को लेकर अपनी आवाज उठा सकते हैं। तीर्थल्ली कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान उन्होंने भीड़ से पूछा, “यदि कुमारस्वामी सीएम बन सकते हैं तो मैं क्यों नहीं? वो कांग्रेस के किम्माने रत्नाकर के लिए प्रचार कर रहे थे जब उन्होंने मतदाताओं से कहा, “यदि आप चाहते हैं कि मैं राज्य का मुख्यमंत्री बनूं तो विधान सभा में रत्नाकर को भेजें।“ सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच कुछ समय से सत्ता संघर्ष चल रहा है।
यदि कांग्रेस राज्य में बिना बहुमत के बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तब संभावना है कि भ्रष्ट और आपराधिक नेता के रूप में डीके शिवकुमार राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।