क्या ये सिद्धारमैया के लिए ऊप्स मोमेंट था?

सिद्धारमैया कर्नाटक

“नरेंद्र मोदी को पड़ने वाले हर वोट का मतलब होगा कि वोट मुझे दिया जा रहा है।’’ ये हम नहीं बल्कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है। इस बोल के बाद सिद्धारमैया कर्नाटक विधान सभा चुनाव के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल हो गये हैं।

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धारमैया से ये गलती तब हुई जब वो कांग्रेस विधायक नरेंद्र स्वामी को नरेंद्र मोदी कहकर संबोधित किया और उनसे ये गलती एक बार नहीं बल्कि दो बार हुई। उन्होंने ये भी कहा, “यदि सड़कों का काम हुआ है, पक्की सड़कें बनी हैं, पानी निकासी, पेयजल सुविधाएं वहां हैं, यदि मकानों का निर्माण हुआ है तो ये सब नरेंद्र मोदी और हमारी सरकार की वजह से है।’’ कर्नाटक के सीएम ने ये भी कहा कि गांवों में जो विकास हुआ है वो भी नरेंद्र मोदी की वजह से हुआ है। जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तब उन्होंने खुद की गलती को सुधारते हुए माफी मांगी और कहा, ‘‘माफ करें यहां नरेंद्र मोदी नहीं नरेंद्र स्वामी है। यहां नरेंद्र शब्द महत्वपूर्ण है। ये सच है कि कर्नाटक में हमारे नरेंद्र है। गुजरात के नरेंद्र एक झूठ है।“ लेकिन फिर भी जब तक सिद्धारमैया को ये बात समझ आती तब तक बहुत देर हो चुकी थी उनसे गलती हो चुकी थी। इस बयान से पूरी जनता हंस पड़ी। यहां तक कि सीएम के बगल में खड़े लोग भी इस बयान से हंस रहे थे। शायद उनकी जुबान फिसल गयी थी लेकिन इस तथ्य से तो सभी वाकिफ हैं कि पीएम मोदी ने देश कल्याण के लिए काम किया है और कांग्रेस कोई उचित विकास करने में असमर्थ रही है। ये सिर्फ एक गलती नहीं है ये सिद्धारमैया की अंतरआत्मा की आवाज़ है जो उनसे सच बुलवा रही थी।

जबसे पीएम मोदी ने कर्नाटक में बीजेपी के लिए विधान सभा चुनाव के लिए प्रचार करना शुरू किया है तबसे सिद्धारमैया कमजोर पड़ने लगे हैं। पीएम मोदी, अमित शाह और योगी ने पूरे केबल को एक के बाद एक झटके दिए हैं। इन बीजेपी स्टार प्रचारकों की रैलियों ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी है। पीएम मोदी के लिए सिद्धारमैया के ट्वीट ने स्पष्ट रूप से उनके डर और निराशा को दिखाया है।

राहुल गांधी भी उतने ही निराश हैं और कर्नाटक चुनावों में पीएम मोदी की मौजूदगी से काफी चिंतित हैं। इससे पहले, उन्होंने पीएम मोदी को 15 मिनट की बहस की चुनौती दी थी। पीएम मोदी ने चुनौती स्वीकार करते हुए राहुल गांधी को कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार की उपलब्धियों के बारे में बिना किसी कागजी नोट के 15 मिनट तक बोलने की चुनौती दी थी, साथ ही कहा था कि वो जिस भाषा में सहज महसूस करते हैं उसी भाषा में जनता के सामने बोलकर खुद की क्षमता को साबित करें। इसके बाद राहुल गांधी ने चुपी साध ली और अपने सहयोगी सेना को पीएम मोदी पर हमला करने के लिए कहा। वैसे राहुल ने जबसे उन्होंने रैलियों को संबोधित करना शुरू किया है तबसे पीएम मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत हमले और अस्पष्ट आरोप लगाना आम बात हो गयी है। निराश सिद्धारमैया ने भी बीएस येदियुरप्पा को एक खुली बहस करने के लिए चुनौती दी थी और येदियुरप्पा ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया था।

कर्नाटक चुनाव में योगी के आगमन ने सिद्धारमैया के निराशा के स्तर को कई बार कई गुणा बढ़ाया है। अपनी पहली रैली में, मुख्यमंत्री योगी ने कांग्रेस की कर्नाटक सरकार के खिलाफ एक के बाद एक तीखे हमले किये थे।

कर्नाटक चुनाव अपने आखिरी चरण पर है और सिद्धारमैया अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वो सिर्फ एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। नैतिक रूप से तो वो पहले ही हार चुके हैं और उन्होंने ये बात अपने भाषणों और ट्वीट्स से स्पष्ट भी कर दिया है। वो तीन तरफ से हो रहे हमलों का सामना नहीं कर पा रहे हैं और ऐसे में उनकी निराशा और बढ़ती जा रही है।

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