नाबालिग के खिलाफ अपराध का एक और चौंकाने वाला शर्मनाक मामला सामने आया है। इस मामले में हैदराबाद पुलिस ने मदरसा शिक्षक को छह नाबालिग बच्चों के साथ यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस हफ्ते इस तरह की ये दूसरी घटना है जिसमें मदरसे में नाबालिग बच्चों के साथ यौन शोषण की घटना सामने आई है लेकिन इसके विरोध में प्लाकार्ड और कैंडल मार्च करने वाले लोग नदारद हैं। मौलवी हैदराबाद के ज़बानगर इलाके में स्थित मदरसा में दो महीने से कथित तौर पर नाबालिग बच्चों का यौन शोषण कर रहा था। पुलिस ने आईपीसी की धारा 377 और 506 व 5/6 पोस्को अधिनियम के तहत अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। सभी छह पीड़ितों की उम्र 6-8 साल के बीच है और सभी बच्चों को मदरसे से निकाल कर काउंसलिंग के लिए भेज दिया गया है।
आरोपी की पहचान मोहम्मद रेहान अंसारी के रूप में हुई है जो मूल रूप से बिहार का रहने वाला है। मोहम्मद रेहान ने उर्दू में स्नातक किया है। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद मौलवी ने नाबालिगों के साथ यौन उत्पीड़न करने के आरोप को स्वीकार कर लिया है। उसने पीड़ितों का नाम भी बताया। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “क्लास की समाप्ति के बाद मोहम्मद रेहान बच्चों को बाथरूम ले जाता था और वहां उनका यौन उत्पीड़न करता था।” मदरसे में बच्चों के यौन उत्पीड़न की घटना कोई नयी बात नहीं है। पिछले साल 51 लड़कियों को मदरसे से बचाया गया था। फरवरी में एक 67 वर्षीय मदरसा शिक्षक को दिल्ली के नरेल से नौ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उधर, औरंगाबाद में एक नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के आरोप में मदरसा के शिक्षक समेत तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। लड़की को मुंह बंद रखने के लिए आरोपियों ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी। एक दूसरे मामले में जफर आलम नामक 70 वर्षीय मदरसा शिक्षक को दिल्ली में नौ वर्षीय लड़की के रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
चौंका देने वाली ये सभी घटनाएं धार्मिक गुरुओं द्वारा नाबालिग लड़कियों के साथ किये जा रहे शोषण को दर्शाती है जोकि सभ्य समाज के लिए घृणित अपराध है। कम से कम अब इस तरह के घृणित कृत्यों से निपटने के लिए एक कानून तो है। हाल ही में, एक ऐतिहासिक निर्णय में, मोदी सरकार ने पोस्को अधिनियम के तहत नाबालिग के साथ रेप करने वाले बलात्कारियों को मौत की सजा देने हेतु एक अध्यादेश को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश के तहत ये साफ कर दिया है कि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार करने के लिए दोषी को फांसी की सजा दी जाएगी। बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी।
2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2015 की तुलना में बलात्कार की घटनाओं में 82% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गयी है। अभी हाल ही में हमने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में और यूपी के गाजियाबाद में नाबालिगों के साथ हुई बलात्कार की भयानक घटनाओं को देखा था। नाबालिगों के साथ रेप की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है, कठुआ और यूपी के गाजियाबाद में हुई घटना इसका ताजा उदाहरण है, इस तथ्य के बावजूद ब्रिंदा करात जैसे लोग भी हैं जो नाबालिगों के साथ यौन शोषण करने वाले आरोपियों के लिए मौत की सजा का विरोध कर रहे हैं। मौत की सजा का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, “सैद्धांतिक तौर पर मेरी पार्टी सीपीएम फांसी की सजा के खिलाफ है।”
In principle, CPM is against death penalty. The death penalty is already there in rarest of rare cases. The actual issue is that some members of govt are supporting rapists. There should be a penalty against 'rapist rakhsaks': Brinda Karat, CPM on the ordinance to amend POCSO Act pic.twitter.com/ZPV9oY6Opq
— ANI (@ANI) April 21, 2018
ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर भी ब्रिंदा करात जैसे लोग राजनीति कर रहे हैं। दुर्भाग्यवश वो अकेली नहीं है जो ऐसा कर रही हैं। वरुण नंदी, शेखर गुप्ता, हरजोत सिंह बाल, अनुंडियो चक्रवर्ती और आशुतोष जैसे वकील, नारीवाद लोगों और पत्रकारों की एक पूरी चेन है जिन्होंने बाल बलात्कार के आरोपियों को मौत की सजा दिए जाने का विरोध किया।
Death penalty for child rapists is just cynical old “Lawlipop Politics.” When asked tough questions, respond with another law. Existing laws are strong enough. Problem, as in Kathua, is fair & speedy enforcement
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) April 21, 2018
law prof asked the other day, why is everyone talking of death penalty & none of police reform.
investment in police training, recruitment & equipment, works. but takes time, sounds boring, doesn't interest citizens hence politicians
death penalty is catchy, achieves nothing— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) April 22, 2018
Justice J S Verma called death penalty to rapists a regressive step. Death is deterrent is a myth. Civilised society should have no place for capital punishment. pic.twitter.com/5gaUaa3GM3
— ashutosh (@ashutosh83B) April 22, 2018
कैथोलिक चर्च इंडिया ने भी सरकार के बाल बलात्कार आरोपियों को मौत की सजा के फैसले का विरोध किया है और शायद उनके उपर ये सही भी लगता है। दरअसल, इस तरह के मामले में एक कदम आगे निकल चुके जयपुर कैथोलिक चर्च ने कथित तौर पर नाबालिग का शोषण करने वाले एक आरोपी के लिए प्रार्थना और उपवास करने के लिए कहा था।
https://twitter.com/Abhina_Prakash/status/990865596953882624
कठुआ बलात्कार मामले में हमने देखा था कि कैसे स्वयं नियुक्त समाज के ठेकेदारों ने इसके खिलाफ आक्रोश जाहिर किया था। बॉलीवुड ने जब अपनी आवाज उठाने की तैयारी की तो वो भी एक समुदाय और उसके धार्मिक प्रतीकों को बदनाम करने के लिए की। एक अभिनेत्री जिसने अपने बेटे का नाम एक ऐसे खूनी और क्रूर इंसान के नाम पर रखा जिसने महिलाओं का शोषण किया था, इसी अभिनेत्री ने कठुआ मामले में सोशल मीडिया पर प्लाकार्ड शेयर किया। वहीं, दूसरी अभिनेत्री भी हैं जिन्होंने कठुआ मामले में एक पोस्टर शेयर किया जिसमें उन्होंने अपराध के प्रति आक्रोश को व्यक्त किया साथ ही अपने पोस्टर में हिंदू धर्म को भी लक्षित किया है। ये वही अभिनेत्री हैं जिनके पिता को सोशल मीडिया की एक तस्वीर में दाऊद के बगल में देखा गया था, वो दाऊद जिसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड डॉन के रूप में जाना जाता है। एक तीसरी अभिनेत्री भी हैं जिन्हें पद्मावत को देखने के बाद से महिलाओं की भूमिका को उसके जननांग के तौर पर सीमित किये जाने का दुःख है। उनकी तरफ से भी आक्रोश देखा गया था और उनके पिछले बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो उनसे कुछ और उम्मीद करना भी बेकार है।
इस तरह के घृणास्पद गतिविधियों को मंजूरी न केवल अपराधियों को उकसाती है बल्कि पीड़ितों की पीड़ा को और बढ़ाती है, साथ ही ये न्याय की प्रक्रिया में भी बाधा डालती है। बच्चों का उत्पीड़न और रेप करने वाला अपराधी अपने अपराधों के लिए उपयुक्त दंड का हकदार है। पोस्को में किया गया संशोधन इस दिशा में एक उचित कदम है। अपने स्वार्थ के लिए इस तरह के मामलों में राजनीति करने के बजाय हमें अपने समाज से समाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए एकजुट होना चाहिए।