इस्लामी कट्टरपंथी कन्नड़ के एक दैनिक न्यूज़पेपर वर्था भारती द्वारा बीजेपी की खबर दिखाए जाने से नाराज हैं। एक न्यूज़लांडरी रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूज़पेपर के कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद मुस्लिम को अज्ञात फ़ोन कॉलर से धमकी मिली है। कॉलर ने कहा, “वर्था भारती को क्या जरूरत थी पहले पृष्ट पर बीजेपी के अभियान प्रचार से जुड़ी खबर दिखाने की ?” दरअसल, वर्था भारती ने 3 मई को उत्तर मंगलौर के बीजेपी उम्मीदवार डॉ भरत शेट्टी के साक्षात्कार को प्रकाशित किया था जिसके बाद मोहम्मद मुस्लिम को उनके लैंडलाइन व मोबाइल पर धमकी भरे फ़ोन कॉल आने लगे। ये न्यूज़पेपर केंद्र रेखा का अनुसरण करता है और अपने संतुलित रिपोर्टिंग के लिए प्रसिद्ध है। इसके पाठक ज्यादातर कोस्टल बेल्ट के हैं। चूंकि इस न्यूज़पेपर का मालिक एक मुसलमान है तो इस्लामी कट्टरपंथी चाहते हैं कि ये उनकी रेखा का अनुसरण करें और बीजेपी और अन्य राईट-विंग संगठनों से जुड़ी ख़बरों का बहिष्कार करे।
न्यूज़लांडरी रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अज्ञात कॉलर ने मोहम्मद मुस्लिम को शारीरिक चोट पहुँचाने और न्यूज़पेपर पर हमले की धमकी दी। मोहम्मद मुस्लिम ने कहा, “जब उन्होंने पहली बार कॉल आई थी तो उन्होंने मुझसे पूछा था कि मैंने वर्था भारती में बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान और तैयारी से जुड़ी खबर क्यों प्रकाशित की। वहीं, दूसरी कॉल में उन्होंने कहा, न्यूज़पेपर में उत्तर मंगलौर के बीजेपी उम्मीदवार डॉक्टर भरत शेट्टी के साक्षात्कार से जुड़ी खबर को प्रकाशित नहीं करना चाहिए था क्योंकि इससे बीजेपी को लाभ होगा और कांग्रेस उम्मीदवार मोहिद्दीन बावा के लिए संभावनाएं कम हो जायेंगी। कॉलर ने ये भी कहा था कि न्यूज़पपेर को सिर्फ उसी पार्टी के उम्मीदवार से जुड़ी खबरों को प्रमुखता से दिखाया जाना चाहिए जिसका वो समर्थन करते हैं। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि इस तरह की खबरें दिखाना मेरे पेशे की नैतिकता के खिलाफ है।” मंगलौर के साउथ पुलिस स्टेशन में मोहम्मद मुस्लिम ने शिकायत दर्ज करवा दी है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि, “एक अज्ञात कॉलर ने मेरे मोबाइल फोन पर कॉल किया था और डॉक्टर भरत शेट्टी के साक्षात्कार को प्रकाशित करने पर आपत्ति जताई। कॉलर ने मुझसे पूछा कि इसके लिए भरत शेट्टी ने मुझे पैसे तो नहीं दिए। इसके बाद कॉलर ने अपशब्द कहते हुए कॉल काट दी। इसके बाद शाम को एक अन्य कॉल आई। इसके बाद ऑफिस के लैंडलाइन पर अलग नंबर से एक और कॉल आई और कॉलर ने कहा तुम ‘चड्डी’ के साथ हाथ मिला चुके हो और मोहिद्दीन बावा को दरकिनार कर दिया है जिसकी कीमत तुम्हें चुकानी पड़ेगी।”
मंगलौर में मोहम्मद मुस्लिम के साथ हुई इस घटना से ये तो स्पष्ट हो गया है कि कर्नाटक में कुछ ऐसे तत्व हैं जो नहीं चाहते कि राज्य में राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी सत्ता में आये। केरल और कर्नाटक में कम्युनिस्ट और कांग्रेस पार्टी का शासन है और दोनों ने राज्य में पीएफआई और एसडीपीआई जैसे कट्टरपंथी और हिंसक संगठनों को बढ़ावा दिया है। कर्नाटक को दक्षिण भारतीय राजनीति में प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है और यदि बीजेपी इस राज्य में जीत जाती है तो इससे दक्षिण भारत के बाकी हिस्सों में भी पार्टी की पकड़ बन सकेगी। इसलिए क्षेत्रीय दल, कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के साथ ये कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन कर्नाटक में अपने महलों के अस्तित्व को बचाने के लिए बीजेपी को जीतने से रोकना चाहते हैं।
पहली और सबसे बड़ी पार्टी जो नहीं चाहती कि बीजेपी कर्नाटक में सत्ता में आए वो पीएफआई है। पीएफआई एक कुख्यात आतंकवादी समर्थक, इस्लामवादी कट्टरपंथी, हिंदू-विरोधी संगठन है। ये अपनी आतंकवादी गतिविधियों के लिए जानी जाती है और यही वजह है कि झारखंड सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया है।
बीजेपी केरल और कर्नाटक में कई हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्या में शामिल पीएफआई और उसके राजनीतिक विंग एसडीपीआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है। वहीं, कर्नाटक राज्य सरकार ने पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ 100 मामले हटवा दिए हैं। पीएफआई आरएसएस कार्यकर्ता, बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या, लव जिहाद और अन्य घृणित अपराधों में शामिल है। केरल सरकार ने 2014 में उच्च न्यायालय को 27 सांप्रदायिक रूप से प्रेरित हत्या के मामले, 86 हत्या की कोशिश करने और 106 सांप्रदायिक मामलों को पीएफआई की सक्रिय भागीदारी को लेकर जानकारी दी था। 2012 में, पीएफआई कार्यकर्ताओं ने एबीवीपी कार्यकर्ता एन. सचिन गोपाल और विशाल दोनों की हत्या कर दी थी। पीएफआई प्रशांत पूजारी, डीएस कुतुप्पा, मंजुनाथ, शरथ मदिगुला आदि जैसे हिंदू राजनीतिक चेहरों की हत्या में शामिल था। इसके अलावा 2018 में बड़ी संख्या में हिंदुओं को मारने के लिए पीएफआई ने कुंभ जल में जहर मिलाने का आवाहन किया है।
वहीं, दूसरी पार्टी एसडीपीआई है जोकि पीएफआई का राजनीतिक विंग है। ये पार्टी भी बहुत विवादास्पद है। 2014 में, एसडीपीआई के पार्टी कार्यकर्ताओं ने दक्षिण केरल के एक निजी स्कूल के कार्यक्रम को बाधित करने की धमकी दी थी और कहा था कि स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम से वंदे मातरम् को हटा दें। उन्होंने इस दौरान ये तर्क दिया था कि इस गीत में कुछ शब्द मुस्लिम समुदाय की धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ हैं। स्कूल ने स्वतंत्रता दिवस समारोहों के दौरान पेश किये गये नृत्य से नमस्ते गीत को हटवा दिया था जिसके बाद कई बार इसकी आलोचना भी की गयी थी। 29 जनवरी 2014 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के दो सदस्य मंगलम, तिरूर पर हमले के लिए चार एसडीपीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।
सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि इन दो कट्टरपंथी संगठनों की अपराधिक गतिविधियों और मोहम्मद मुस्लिम के मामले में मीडिया मौन धारण किये हुए है। ये संगठन लिबरल मीडिया के पसंदीदा हैं, वही मीडिया हनुमान के स्टिकर में आतंकवादी और हिंदू चरमपंथ को देखता है। चूंकि बीजेपी ऐसे आतंकवादी तत्वों की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगी, वे नहीं चाहते कि बीजेपी सत्ता में रहे। अपराधियों और आतंकवादियों पर बीजेपी के कड़े रुख का स्पष्ट प्रमाण यूपी में मुख्यमंत्री योगी का शासन है, कश्मीर आतंकवादियों को मारने, छुपे हुए आतंकवादियों का एनकाउंटर, माओवादियों को मार गिराने और कम्युनिस्ट चरमपंथ से प्रभावित जिलों की संख्या में भी कमी आई है। इसके अलावा ऐसे कई उदाहरण हैं जहां बीजेपी शासित राज्यों में अपराध और अपराधियों के प्रति सहनशीलता शून्य है। राजनीतिक दल जो हिंदुओं को बांटने में शामिल हैं, वोट बैंक राजनीति, अल्पसंख्यको का अपमान और जातिवाद की राजनीति की चाह रखते हैं वो बीजेपी को कर्नाटक के साथ-साथ केंद्र में भी सत्ता से बाहर करना चाहते हैं। इन सभी के बावजूद अटल बिहारी ने एक बार कहा था, “अंधेरा हटेगा, सूरज निकलेगा और फूल खिलेगा।”