यदि आईपीएल में कोई भी टीम एक अच्छे, विश्व स्तरीय, उत्कृष्ट रिकॉर्ड के साथ अनुभवी स्पिनर की तलाश में है तो उन्हें एनडीटीवी से संपर्क करना चाहिए। जब किसी साधारण सी खबर को सनसनीखेज रूप देना हो तो एनडीटीवी इस रेस में सबसे आगे है। जिस गुस्ताखी के साथ एनडीटीवी फेक न्यूज को प्रमुखता से दिखाता है वो अतुलनीय है और वो ऐसी खबरें बार-बार दिखाता है। यूपी के मंत्री के एक बयान की रिपोर्ट दिखाते हुए लेफ्टिस्ट प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देते हुए एनडीटीवी ने एक साधारण सी खबर को तोड़-मोड़ कर पेश किया और ये दावा किया कि मंत्री ने दलितों के घर मच्छर काटने की बात कही है।
"Mosquitoes Bite All Night At Dalit Homes": Third UP Minister, New Gaffe https://t.co/ZZT0egVelc #NDTVNewsBeeps pic.twitter.com/CB0WRqvU3u
— NDTV (@ndtv) May 4, 2018
दरअसल, यूपी सरकार की मंत्री अनुपमा जायसवाल ने कहा था कि, “सरकार के मंत्री योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिए कई जगहों का दौरा कर रहे हैं, यहां तक कि रात भर उन्हें मच्छर काट रहे हैं।”
UP Minister Anupma Jaiswal says, 'Schemes are made for benefit all sections & to ensure proper implementation Ministers are paying several visits, even if mosquitoes bite them all night,' on being asked about the controversy on Minister Suresh Rana's visit to a Dalit household. https://t.co/0mvnpXLZaW
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 4, 2018
खबरों को तोड़-मोड़ कर पेश करने की अनोखी प्रतिभा वाले एनडीटीवी ने सभी सीमाओं को लांघ दिया है। इससे पहले अपने एजेंडे को साधने के लिए उमा भारत के बयान को तोड़-मोड़ कर पेश किया गया था। उन्होंने उमा भारती के बयान को इस तरह से मोड़ दिया जिससे उमा भारती के बयान का मतलब ही बदल गया और कहा कि उमा भारती के मुताबिक दलितों को शुद्धि की आवश्यकता है जोकि उमा भारती के बयान के अर्थ से बिल्कुल विपरीत था। हमने झूठी मीडिया को यहां बेनकाब किया। इसके बावजूद ऐसा लगता है कि दिखावे की मीडिया ने इससे कोई सबक नहीं लिया तभी तो वो फिर से वही गलती दोहरा रही है। मौजूदा सरकार के खिलाफ अपने एजेंडे को बढ़ावा देने की दिशा में इस तरह की कोशिशें की जा रही हैं। मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में दर्जा प्राप्त है जिसने कांग्रेस के 60 वर्षों के शासन के तहत संरक्षण का खूब आनंद उठाया है और अब ये पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुकी है और कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए बेताब है। मीडिया वास्तविकता की रिपोर्ट नहीं दिखा रही बल्कि अपने एजेंडा के अनुसार खबरों को पेश कर रही है। उनका एजेंडा स्पष्ट है, 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी बीजेपी दलितों से अलग कर दिया जाय। यही वजह है कि बीजेपी सत्ता में दलितों से जुड़ी झूटी हिंसा की खबरों को तुल दिया जा रहा है। ऐसी ही एक खबर प्रकाशित हुई थी, “गुजरात में कुछ ऊंची जाति के लोगों ने घोड़ा रखने और घुड़सवारी करने पर एक दलित की हत्या कर दी।“ जिसके बाद कांग्रेस ने इस मामले में तुरंत बीजेपी पर निशाना साधा था।
The BJP must hang its head in shame. Is this the "Gujarat Model" it boasts of?https://t.co/eiqQXjvZfV
— Congress (@INCIndia) March 31, 2018
हालांकि, पुलिस की जांच रिपोर्ट में जो सच सामने आया वो इसके विपरीत था। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, युवक की हत्या लड़की के साथ छेड़छाड़ करने की वजह से की गयी थी न कि घोडा रखने की वजह से”। पुलिस ने इस मामले में किसी भी तरह का जाति कोण होने की आशंका को ख़ारिज कर दिया था।
गुजरात चुनाव से पहले भी एक दलित युवक की पिटाई से जुड़ा मामला मीडिया द्वारा प्रमुखता से दिखाया गया था। हालांकि, इस मामले में जांच के बाद ये सच सामने आया कि युवक ने पब्लिसिटी के लिए पूरा ड्रामा किया था।
विपक्ष ने इन मामलों में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि बीजेपी दलितों के खिलाफ हो रहे हमलों का आनंद उठा है। विपक्ष के ये सभी आरोप झूठे साबित हुए थे। इस पूरा खेल में दलितों को बीजेपी के खिलाफ भड़काने की मंशा पूरी तरह से स्पष्ट थी। झूठा प्रदर्शन, फेक न्यूज़ और लगातार सीएम योगी के पुराने नाम को उछालते हैं जो उनमें निराशा और कुंठा की भावना के संकेत देता है। बर्नार्ड कोहेन ने कहा था, लोगों को ये बताने में आप शायद सफलता न हासिल कर पाएं की क्या सोचें लेकिन एक पाठक को क्या सोचना चाहिए ये बताने में आप जरुर सफल होंगे। दुनिया अलग अलग लोगों को अलग अलग नजरों से देखती है। कोहेन ने आगे कहा, “ये लेखक, एडिटर और प्रकाशक द्वारा पेपर पर तैयार किये गये नक्शे पर निर्भर करता है।”
इससे पहले की काफी देर हो जाये सूचना और प्रसारण मंत्रालय को फेक न्यूज के खिलाफ नियामक ढांचों के तहत कार्रवाई करते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए जिससे फेक न्यूज़ दिखाने वाली मीडिया पर शिकंजा कसा जा सके। जब मलेशिया और फ्रांस जैसे देश फेक न्यूज़ के खिलाफ कानून बना सकते हैं तो भारत क्यों नहीं ? जितनी जल्दी हो सके सरकार को फेक न्यूज़ दिखाने वाली मीडिया के खिलाफ कानून बनाने होंगे ताकि झूठ और नकली ख़बरों को फैलने से रोका जा सके।