कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कर्नाटक विधान सभा चुनाव से पहले ही काफी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के बीजेपी उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा को सोमवार को कानूनी नोटिस भिजवाया है। खबरों के मुताबिक पीएम मोदी ने कर्नाटक सरकार के खराब प्रदर्शन की निंदा की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि, “कर्नाटक की कांग्रेस 10% कमीशन की सरकार है।” लगता है कि कांग्रेस और सिद्धारमैया के पास आरोपों का उचित जवाब नहीं था इसीलिए उन्होंने कानूनी नोटिस भेजने का विकल्प चुना। नोटिस में बीजेपी द्वारा दिए गए विज्ञापन जिसका शीर्षक ‘सिद्धा सरकार’ है का भी उल्लेख किया गया है।
हालांकि, ये समझ नहीं आ रहा कि क्यों सिद्धारमैया इस तरह के अनावश्यक मुद्दों को तुल दे रहे हैं। चुनाव के दौरान इस तरह के भाषणों का आदान-प्रदान करना आम बात है। यदि सभी भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मौजूदा सरकार की आलोचना पर मानहानि का कानूनी नोटिस जारी करना शुरू कर दें तो एक अजीब सी स्थिति बन जाएगी। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, किसी भी सरकार को हमेशा रचनात्मक आलोचनाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब सरकार के उपर गलत दावे या कुशासन के आरोप लगाये जाए तो उस सरकार में इसे लेकर असुरक्षा की भावना जागृत नहीं होनी चाहिए। आरोपों का उपहास करना या पलटवार करना अलग बात है, लेकिन इस तरह के मामलों को कोर्ट में घसीटना तो राइ का पहाड़ बनाने जैसा है। हालांकि, ऐसा लगता है कि सिद्धारमैया चुनावी प्रक्रिया में कुछ ज्यादा ही लीन हो गये हैं जिस वजह से वो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और कार्यप्रणाली के मानकों को भूल गये हैं। यदि हर कोई उनकी तरह कानूनी नोटिस भेजना शुरू कर देगा, तो ये चुनाव प्रक्रिया का मजाक उड़ाने जैसा हो जायेगा जिसमें हर उठती आवाज किसी न किसी तरीके से दबा दी जाएगी। सिद्धारमैया ने इस नोटिस से एक बहुत बेकार उदाहरण प्रस्तुत किया है।
वैसे ये नोटिस इस ओर भी संकेत देता है कि सिद्धारमैया को हार का डर सताने लगा है। इस चुनावी प्रचार में दोनों ही पार्टियों की तरफ से चुनावी लड़ाई अपने चरम पर है। विशेष रूप से कांग्रेस आधारहीन आरोपों को लगाने की वजह से कटघरे में हैं। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। ये सिर्फ कर्नाटक चुनाव तक सीमित नहीं है बल्कि भारतीय राजनीति में ये एक सामान्य प्रवृत्ति है। हालांकि, ऐसा बहुत ही कम ही देखा गया है कि कोई अनुभवी राजनेता ऐसे मुद्दे को बड़े मुद्दों का रूप देता हो।
सिद्धारमैया का ये कदम उल्टा उन्हीं पर भारी पड़ने वाला है। वो एक अतिसंवेदनशील, निराश राजनीतिक नेता के रूप में जल्द ही उजागर होने वाले हैं। चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में वो काफी आत्मविश्वासी नजर आ रहे थे और बीजेपी के प्रचार को आड़े हाथों ले रहे थे। हालांकि, उनके द्वारा भेजे गये इस क़ानूनी नोटिस से ऐसा लगता है कि वो बीजेपी के अभियान और खासकर पीएम मोदी द्वारा चुनाव प्रचार में दिए गये भाषणों से काफी डर गये हैं।
वैसे बस यही आशा की जा सकती है कि कांग्रेस को इस तरह के बड़े कदम उठाने से पहले अपनी पार्टी के अंदर एक बार झांक लेना चाहिए। कांग्रेस पीएम मोदी के भाषण पर आपत्ति जता रही है जोकि सही नहीं है क्योंकि यदि किसी बड़े और बेतुके आरोपों की बात आती है तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस सूची में सबसे पहले नजर आते हैं। राहुल ने आधारहीन घोटालों का आरोप लगाते हुए रेलवे के सबसे ज्यादा सफल रेल मंत्री पियुष गोयल से इस्तीफे की मांग की थी। जिस तरह से राहुल गांधी ने नीरव मोदी और विजय माल्या को लेकर तथ्य पेश किये थे और आरोप मढ़े थे वो कुछ कम अपमानजनक नहीं थे। हालांकि, इन्हें यूपीए के शासन के दौरान ही ऋण दिया गया था इसके बावजूद इसका सारा दोष उन्होंने पीएम मोदी पर मढ़ दिया। हालांकि, सिद्धारमैया अपने इस आधारहीन कानूनी नोटिस के जरिये अपने इरादों में सफल नहीं हो पाएंगे।
चलिए एक पल के लिए भूल जाते हैं कि राहुल गांधी ने क्या कहा और क्या नहीं कहा, वो अपनी ओर ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी कुछ नहीं करते, लेकिन सिद्धारमैया की उस टिप्पणी का क्या जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर बिना किसी आधार के “90% कमीशन सरकार” का आरोप लगाया था। यदि पीएम मोदी का बयान कार्रवाई के लायक है तब तो उसी तरह सिद्धारमैया द्वारा पीएम मोदी को दोषी ठहराने पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। सिद्धारमैया को शायद ये बात समझ आया गयी है कि वो अपने मानकों पर खरे नहीं उतर सकते हैं और न ही बीजेपी के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। वो एक ढोंगी की तरह नजर आ रहे हैं क्योंकि वो भी वही गलती कर रहे हैं जो इस लड़ाई के विरुद्ध है।
सिद्धारमैया को अपने बचाव में इस तरह का कदम नहीं उठाना चाहिए था। उन्होंने खुद को निराश, हताश और अतिसंवेदनशील नेता के रूप में दिखाया है जो गैर-मुद्दों को तुल देता है। ऐसे में ये चाल कांग्रेस के लिए और खासकर सिद्धारमैया के लिए उलटी पड़ने वाली है।