पश्चिम बंगाल के हुगली में स्थित तारकेश्वर मंदिर हिंदुओं का तीर्थ स्थल है। मंदिर परिसर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए हर वर्ष हजारों भक्त तारकेश्वर मंदिर जाते हैं। 288 वर्ष पुराने तारकेश्वर मंदिर पश्चिम बंगाल में शिव संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। कोलकाता में सुब्रमण्यम स्वामी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन के साथ बातचीत की थी। लगातार अल्पसंख्यक के लिए मुश्किलें पैदा करने वाली ममता बनर्जी ने 2017 में तारकेश्वर विकास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में फिरहाद हाकिम की नियुक्ति की थी उनके इस फैसले ने विवाद का रूप ले लिया था। फिरहाद पश्चिम बंगाल सरकार में शहरी विकास मंत्री भी हैं और उनका कार्यालय भी विवादित रहा है। फिरहाद हाकिम तृणमूल कांग्रेस के उन नेताओं में से एक हैं जिन्हें नारद स्टिंग ऑपरेशन में रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, इस मामले में अभी भी सीबीआई की जांच चल रही है। फिरहाद हाकिम ने जब पाकिस्तानी अखबार डॉन के एक पत्रकार से बंगाल के गार्डन रीच को ‘मिनी पाकिस्तान’ कहकर संबोधित किया था तब वो विवादों में घिर गये थे। 2016 में पूर्व चुनाव अभियान को कवर करने के लिए आई डॉन की एक रिपोर्टर मलीहा हामिद से फिरहाद हाकिम ने कहा था कि, “आप हमारे साथ आइए, हम आपको कोलकाता के मिनी पाकिस्तान में ले चलते हैं।“
ममता बनर्जी और टीएमसी द्वारा तारकेश्वर विकास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में फिरहाद हाकिम की नियुक्ति सिर्फ अल्पसंख्यकों के साथ अपमानजनक राजनीति खेलने के उद्देश्य से किया गया। एक ऐसे व्यक्ति को हिंदू मंदिर की देखभाल करने के लिए विकास बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति किया गया जिसे हिंदू धर्म की कोई जानकारी नहीं है। एक ऐसा व्यक्ति जो मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों की जरूरतों के विषय में भी कुछ नहीं जानता है। इससे पहले उन्होंने अपनी टिप्पणियों से भारत विरोधी और हिंदू विरोधी मानसिकता को साबित किया है। इसलिए, ममता बनर्जी द्वारा फिरहाद हाकिम को हिंदू मंदिर के विकास बोर्ड के अध्यक्ष तौर पर नियुक्त करना अवैध है। टीएमसी के अध्यक्ष के इस फैसले की बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और अन्य ने कड़ी निंदा की थी। सुब्रमण्य स्वामी ने तारकेश्वर मंदिर मामले में ममता बनर्जी सरकार को अपना फैसला वापस लेने की चुनौती दी थी और फैसला वापस न लिए जाने पर कानूनी कार्रवाई करने की भी बात कही थी।
सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से तारकेश्वर मंदिर को लेकर कलकता में मुलाकात की और इस मामले को लेकर चर्चा की। इस मुलाकात का उद्देश्य राजनीतिक से ज्यादा अधिकारिक था। सुब्रमण्यम स्वामी और ममता बनर्जी के बीच नबाना में हुई वार्तालाप सफल रही। ममता सुब्रमण्यम स्वामी की चिंता को समझ गईं और उन्हें आश्वस्त किया कि शहरी विकास और नगर निगम विभाग द्वारा मंदिर मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
स्वामी ने ममता के साथ वार्तालाप के बाद कहा था, “जो चर्चा हुई उसे लेकर मैं काफी संतुष्ट हूं और वो इसे लेकर स्पष्ट थीं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि तारकेश्वर मंदिर के परिचालन में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। पुजारियों की परिषद पहले की तरह ही मंदिर का संचालन करेगी लेकिन मंदिर और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण नगरपालिका व शहरी विकास विभाग द्वारा किया जायेगा।”
मंदिर से जुड़े मामले में सुब्रमण्यम स्वामी की ये एक और जीत है। इससे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाकर तमिलनाडु सरकार के कब्जे से नटराज मंदिर को मुक्त कराया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जनवरी 2014 में नटराज मंदिर का मैनेजमेंट वापस मंदिर के पुजारियों को सौंप दिया गया था। सुब्रमण्यम स्वामी अयोध्या के राम मंदिर मामले में एक याचिकाकर्ता भी हैं जिसके मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अभी भी चल रही है। 2 जी घोटाले और काले धन के खिलाफ उनके पिछले अभियान काफी चर्चित रहे हैं और ममता बनर्जी ने स्वामी की सलाह पर गौर करते हुए सही निर्णय लिया है।