सुब्रमण्यम स्वामी ने टाइम्स नाउ की बहस में प्रकाश राज के छुड़ाए छक्के

टाइम्स नाउ सुब्रमण्यम स्वामी प्रकाश राज

भारतीय जनता पार्टी के सांसद और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो विरोधियों के उन्मूलन में माहिर हैं। एक बहुत ही अनुभवी और शिक्षित राजनेता स्वामी ने उन सभी के लिए समस्याएं खड़ी की हैं जिन्होंने भारत और उसकी पवित्रता हमले किये हैं।

अभिनेता के साथ प्रकाश राज विपक्षी दल के नेता भी हैं। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ज्ञान की कमी भारतीय जीवन के लिए एक गंभीर खतरा है। गंभीर मुद्दों को लेकर भ्रम पैदा करने वाले प्रकाश लेफ्ट उदारवादियों के पसंदीदा हैं। शुक्रवार को टाइम्स नाउ ने ‘कर्नाटक नाउ 2018’ नाम से एक कॉन्क्लेव का आयोजन किया था इस दौरान असमान ज्ञान रखने वाले दो पक्षों के नेता कर्नाटक चुनाव को लेकर बहस के लिए पैनल में आमने सामने थे।

फिल्मी पर्दे पर अपनी दमदार खलनायकी के लिए मशहूर अभिनेता प्रकाश राज के लिए सुब्रमण्यम स्वामी के साथ बहस करना भारी सबित हुआ। सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रकाश राज के झूठे दावों पर ऐसे प्रभावशाली तर्क दिए जिससे प्रकाश चारों खाने चित्त हो गये। इस बहस के दौरान प्रकाश राज ने कई मुद्दे उठाये और कई दावे भी किये लेकिन स्वामी ने उनके हर दावों का बेहतरीन जवाब दिया। दूसरी तरफ, जब स्वामी ने प्रकाश राज के आरोपों का जवाब दिया तब प्रकाश ‘कुछ भी’ बोलते नजर आये। प्रकाश राज की प्रतिक्रिया का इस्तेमाल हाल के दिनों में राईट-विंग ग्रुप पर लगाये गये सभी आरोपों के जवाब में किया जा सकता है और शायद ये अधिक उपयुक्त जवाब होगा।

प्रकाश राज पूरे बहस के दौरान बार-बार यही दोहराते रहे कि भगवा आतंक से लेकर हिंदुत्वादी ताकतें भारत को तोड़ना चाहती हैं, स्वामी ने इसपर भी जो तर्क दिए उससे प्रकाश राज की बोलती कुछ समय के लिए बंद होती नजर आई। टाइम्स नाउ के एंकर राहुल शिवशंकर जो इस बहस में मॉडरेटर के रूप में थे उन्हें प्रकाश की चुपी की वजह से प्रोग्राम को जल्द ही समाप्त करना पड़ा। दरअसल, प्रकाश एक ऐसे प्रतिद्वंद्वी का सामना कर रहे थे जो जितने अनुभवी हैं उतने ही शिक्षित भी हैं। सोशल मीडिया योद्धा प्रकाश राज को शायद ये मालूम नहीं था कि उनके आरोप स्वामी के सामने टिक नहीं पाएंगे। पीट-पीट कर मार देने की घटनाओं से लेकर बीजेपी के हिंदू उग्रवाद को समर्थन तक, प्रकाश राज ने एक से बढ़कर एक आरोप लगाये परन्तु उन्हें साबित करने के लिए तथ्य देने में असफल रहे। प्रकाश और उनके सहयोगियों की खामियों को इंगित करते हुए स्वामी पूरे बहस के दौरान अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी थे।

ऐसा लग रहा था कि प्रकाश को उन्हीं के जाल में फंसा कर स्वामी इस बहस का खूब आनंद उठा रहे थे। कारण सीधा सा है प्रकाश एक ऐसी विचारधारा के प्रति नफरत रखते हैं जिसके बारे में वो न जानते हैं, न समझते हैं और न ही विश्वास करते हैं। स्वामी ने सोशल मीडिया के योद्धा को बेनकाब किया जिसने अपने देश और धर्म के प्रति भ्रम फैलाने की कोशिश की। अपने तर्कों को सामने रखने में स्वामी जरा भी नहीं हिचके और प्रकाश राज के परदे पर खलनायक की भूमिका पर चुटकी लेते हुए कहा कि यदि आपको पाकिस्तान भेज दिया जाए तो पाकिस्तान भी आपके साथ तालमेल नहीं बैठा पायेगा। उदारवादी कैबल इस बहस को देखकर जरुर ही निराश हुए होंगे क्योंकि इस बहस में उनके खोखले एजेंडे का खुलासा हुआ और सुब्रमण्यम स्वामी को हिंदुत्व मुद्दों को अर्थपूर्ण और दृढ़ता से संबोधित करने के लिए एक मंच दिया गया।

इससे पहले प्रकाश राज ने ये दावा किया था कि उन्होंने जबसे पीएम मोदी की आलोचना की है तबसे  उन्हें फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया है। स्पष्ट रूप से उद्योग में मोदी विरोधी लोगों की संख्या के आधार पर अभिनेता ने अपने राजनीतिक विचारों के साथ अपनी पेशेवर क्षमता को भी भ्रमित कर दिया है। इस बात का भी खुलासा हुआ था कि उन्हें उनकी कार्य करने की बेकार नीति की वजह से तेलगु फिल्म उद्योग में बैन कर दिया गया था।

इस बहस के बाद प्रकाश राज ने अपने ट्विटर पर अपनी हार को स्वीकार किया। हालांकि, इससे ये स्पष्ट है कि ये व्यक्ति किसी भी मंच पर अपनी क्षमता को बनाये रखने में सक्षम नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी एक विद्वान, एक शानदार वक्ता और एक उत्कृष्ट बहसकर्ता हैं। जब वो असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोगों से बहस करते हैं तो समां सा बांध जाता है।

टाइम्स नाउ ने इस बार प्रतिद्वंद्वी के लिए सही विकल्प को नहीं चुना था जिसके परिणामस्वरुप ये बहस एकतरफा नजर आई जिसमें स्वामी ने अपने तर्कों से प्रकाश की बोलती ही बंद कर दी। ऐसे में चैनल कम से कम अगली बार स्वामी के लिए योग्य प्रतिद्वंद्वी लेकर आये।

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