उत्तर प्रदेश हमेशा से ही राजनीतिक दावों और चालों का अखाड़ा रहा है। जनसंख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश की 223 मिलियन से अधिक आबादी ने राजनीतिक दलों में ऐसे विश्वास को जन्म दिया है कि यदि वे यूपी में अपनी जीत दर्ज कर लेते हैं तो वो केंद्र में भी अपनी सरकार बनाने में सफल हो जायेंगे। ये हम यूं ही नहीं कह रहे, दरअसल, यूपी से सबसे ज्यादा लोक सभा सदस्य चुने जाते हैं। इसकी सीटों की संख्या लोक सभा में 80 है जोकि केंद्रीय स्तर पर किसी भी संभावित सरकार को बनाने या तोड़ने के लिए पर्याप्त संख्या। पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरकार बनाने के लिए यूपी के महत्व और उसकी भूमिका को समझ लिया था और 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भी इसकी भूमिका साफ नजर आएगी। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी यूपी में बीजेपी के नेतृत्व से चिंतित हैं ऐसे में ये दोनों पार्टियां मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए गठबंधन कर सकती हैं। 2019 के आम चुनावों में सपा-बसपा अपने गठबंधन से यूपी की लोकसभा सीट पर बीजेपी के उद्देश्य को बड़ा झटका दे सकती हैं। ओम प्रकाश राजभर के मुताबिक सीएम योगी ने सपा और बसपा की जातिवाद की राजनीति के खिलाफ लड़ने के लिए ब्रह्मास्त्र तैयार कर लिया है।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने 2019 के चुनावों के लिए बीजेपी की तैयारी का खुलासा कर दिया है। एसबीएसपी बीजेपी के यूपी गठबंधन के साथी हैं और इसीलिए जब एसबीएसपी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी की आगे की रणनीति का उल्लेख किया है तो उसे वास्तविक तथ्य के तौर पर ही लिया जाना चाहिए। एसबीएसपी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी की योजना के बारे में बात करते हुए कहा, “साल 2019 के चुनाव से 6 महीने पहले राज्य में ओबीसी की 82 जातियों को तीन सेगमेंट में बांटने का ब्रह्मास्त्र चलाएगी जिससे सभी जातियों को राज्य में 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल सके।“ ओम प्रकाश राजभर के मुताबिक योगी आदित्यनाथ की योजना ओबीसी श्रेणी को तीन श्रेणियों में बांटने की है। दरअसल, ओबीसी कोटा को पिछड़ा (4 जातियां), अधिक पिछड़ा (19 जातियां) और अत्यधिक पिछड़ा वर्ग (59 जातियां ) श्रेणियों में बांटा जायेगा। जो इन सभी जातियों को आरक्षण से मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित करेगा। अभी तक ओबीसी कोटा आरक्षण के तहत यादव को अधिक लाभ मिलता था जोकि अखिलेश यादव की सपा पार्टी के मुख्य मतदाता आधार रहे हैं। अन्य जातियां इस आरक्षण से मिलने वाले लाभ से वंचित रही हैं जो अब राज्य में ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण से होने वाले लाभ का आनंद उठा सकेंगी।
इस कदम से सपा के साथ-साथ राज्य में बसपा के मतदाता आधार प्रभावित होंगे। इस कदम से बड़ी संख्या में लोगों को फायदा मिलेगा जिससे उनका बीजेपी सरकार के प्रति रुख और मजबूत होगा, जाहिर है बीजेपी फिर से यूपी में अपनी पकड़ को और मजबूत करने में भी सफल होगी। इससे राज्य में जाति के आधार पर मायावती की बसपा पार्टी अपने सीमित मतदाताओं की जनसंख्या से भी अब हाथ धो बैठेगी। यदि यूपी में योगी आदित्यनाथ ने अपने इस फैसले को लागू कर दिया तो उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए अन्य राज्यों में एक मार्गदर्शक की तरह काम करेगा। धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने वाले विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय दलों को योगी आदित्यनाथ अपने इस मास्टरस्ट्रोक से बड़ी चुनौती देंगे।
अब देखना ये होगा कि क्या योगी आदित्यनाथ और बीजेपी अपने नेतृत्व में जो योजना बना रहे हैं उसे कब अंतिम रूप देंगे, क्योंकि इससे बीजेपी के लिए आगे की रणनीति के लिए राह तय की जा सकेगी। यदि ये मास्टरस्ट्रोक लागु हो जाता है तो ये बीजेपी और उत्तर प्रदेश दोनों के लिए ही वरदान साबित होगा। एक तरफ आरक्षण के लाभार्थियों को अपना हक मिलेगा और दूसरी तरफ बीजेपी यूपी और केंद्र में अपनी पकड़ को बनाए रखने में कामयाब होगी।