महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद, एक व्यापक सफाई प्रक्रिया शुरू

महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन को टूटे हुए 24 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से अपना समर्थन वापस ले लिया और महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है। राज्यपाल शासन का मतलब है अगले महीने से जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार का शासन होगा। इसका मतलब ये है कि आने वाले दिनों में घाटी में आतंकियों का सफाया करने और विद्रोह से निपटने के लिए सेना को खुली छूट होगी। इसकी एक झलक बीते कल ही देखने को मिल चुकी है। राजनीतिक संकट के कुछ घंटों के भीतर ही भारतीय सेना ने सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर तीन जैश आतंकवादियों की मार गिराया और इस बार आतंकवादी अभियान को रोकने की हिम्मत किसी भी पत्थरबाज में नहीं थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से दो आतंकवादी पाकिस्तानी हो सकते हैं। ये एक अच्छी शुरुआत है और आगे आने वाले दिनों के लिए अच्छे संकेत हैं। आने वाले छह महीनों में जो होने वाला है ये उसका सिर्फ एक छोटा सा ट्रेलर था। भारतीय सेना अब पूरे फॉर्म में है।

बीजेपी और पीडीपी के बीच दरार की मुख्य वजहों से एक है पत्थरबाजों के प्रति महबूबा मुफ्ती का नर्म दृष्टिकोण। फरवरी 2018 में महबूबा मुफ्ती ने 9730 पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापिस लेने की मंजूरी दी थी। समर्थन वापस लेने के कुछ घंटों के भीतर ही बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा को लिखकर कहा कि महबूबा मुफ्ती द्वारा पत्थरबाजों के खिलाफ वापस लिए गये मुकदमे को फिर से शुरू किया जाए। एक सराहनीय और सबसे जरुरी कदम। अब किसी भी पत्थरबाज को माफ़ नहीं किया जायेगा। इससे पता चलता है कि किसी को भी बख्शा नहीं जायेगा और कश्मीर में हर एक सामाजिक विरोधी और भारत विरोधी तत्वों को सबक सिखाया जायेगा। इससे पहले पत्थरबाजों का समर्थन करके महबूबा मुफ्ती ने वोट बैंक की राजनीति की थी। कट्टरपंथी तत्वों,  पत्थरबाजों और अलगाववादियों के साथ उनका जुड़ाव और नर्म रुख बीजेपी के समर्थन वापस लेने के पीछे की सबसे प्रमुख वजहों में से एक था।

एक वरिष्ठ आईएएस बीवीआर सुब्रमण्यम को जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। सुब्रमण्यम को आंतरिक सुरक्षा मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। सुब्रमण्यम ने 2004-2008 के दौरान पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के निजी सचिव के रूप में कार्य किया है। मार्च 2012 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले पीएमओ में फिर से शामिल होने से पहले उन्होंने जून 2008 से सितम्बर 2011 तक वर्ल्ड बैंक के साथ सफलतापूर्वक काम किया है। बीवीआर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी काम कर चुके हैं और वो पीएम मोदी के पीएमओ में 2015 तक जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में थे, इसके बाद वो वापस अपने होम कैडर छत्तीसगढ़ में लौट गए और वो यहां गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

इसका मतलब है कि अगले छह महीने तक दिल्ली के शीर्ष नेतृत्व में सीधे घाटी की गतिविधियों पर संज्ञान लिया जायेगा जोकि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के सफलतापूर्वक निष्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। ये कदम दर्शाता है कि सरकार विरोधी तत्वों के साथ आमने सामने की लड़ाई चाहती है और सरकार T-20 मूड में हैं। पिछले चार सालों में जो कुछ भी हुआ है उससे निपटने के लिए ये कदम पर्याप्त है और ये आतंकियों के छक्के और चौके छुड़ायेगा। ये एक व्यापक सफाई प्रक्रिया होगी। घाटी में प्रत्येक सैनिक और नागरिकों की मौत का बदल लिया जायेगा।

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