बेनामी संपत्ति के खिलाफ बड़ा कदम, जानकारी देने पर 1 करोड़ तक का इनाम देगी सरकार

बेनामी मोदी

मोदी सरकार ने लगभग डेढ़ साल पहले काले धन पर शिकंजा कसने के लिए शानदार निर्णय लिया था। कर आधार बढ़ाने, डिजिटल लेनदेन में भारी बढ़ोतरी और नकद जमा करने खिलाफ नागरिकों में डर पैदा करने जैसे कई तरीकों से नोटबंदी कई मायनों में सफल साबित हुआ है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018 के अनुसार, 10.1 मिलियन लोगों ने नोटबंदी के बाद (नवंबर 2016- नवंबर 2017) वर्ष में आयकर रिटर्न दाखिल किया, जबकि पिछले छह वर्षों के औसतन ये 6.2 मिलियन रहा है। स्पष्ट रूप से नोटबंदी के बाद से आयकर रिटर्न की पिछली संख्या में 1.5 गुना वृद्धि हुई है। यहां ध्यान दिया जाना चाहिए कि नोटबंदी के बाद से कर चोरी करने वालों के बीच डर की भावना पैदा हुई जिसकी वजह से लोगों ने भारी मात्रा में आयकर रिटर्न दाखिल किया था।

नोटबंदी के बाद मोबाइल वॉलेट में डाउनलोड की संख्या के साथ डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। डिजिटल लेनदेन अगर निर्धारित सीमा से ज्यादा होता है तो इसका पता लगाया जा सकता है और इससे सरकार टैक्स न देने वालों का पता लगा लेगी। डिजिटल लेनदेन अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा लाभ है और अधिकांश विकसित देशों में नकदी लेनदेन बहुत ही कम होता है। नॉर्डिक राष्ट्र फिनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे में 90 प्रतिशत से अधिक लेनदेन डिजिटल लेनदेन से होता है। नोटबंदी के फैसले ने नकदी जमा करने वालों के अंदर भय पैदा किया है जिससे न केवल निजी निवेश समाप्त हुआ है बल्कि इसके परिणामस्वरूप सोने की खरीद और बेनामी संपत्ति के लेनदेन में वृद्धि हुई।

बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के मुताबिक, किसी व्यक्ति द्वारा खरीदी गई संपत्ति जो उसके नाम (या परिवार का नाम) पर न हो वो बेनामी संपत्ति है जिसमें किसी भी तरह की संपत्ति की खरीद शामिल है जोकि चल या अचल संपत्त‍ि या वित्तीय दस्तावेजों की खरीद हो सकती है। कुछ लोग अपने काले धन को ऐसी संपत्ति में निवेश करते हैं जो उनके खुद के नाम पर ना होकर किसी और के नाम होती है। ऐसे लोग संपत्ति अपने नौकर, पत्नी-बच्चों, मित्रों या परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से खरीदते लेते हैं। अधिकतर मामलों में बेनामी संपत्ति को खरीदने के लिए काले धन का इस्तेमाल किया जाता है और इसका वास्तविक मालिक लाभ उठाता है जबकि जिस व्यक्ति के नाम पर संपत्ति को खरीदा गया है उसके पास कोई शक्ति नहीं होती है यहां तक कि कभी-कभी वो इस तथ्य से भी अनजान होता है कि उसके नाम पर कोई संपत्ति भी खरीदी गयी है।

बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने बेनामी ट्रांजेक्शन इंफारमेंटस रिवार्ड स्कीम, 2018 की योजना शुरू की है जिसके तहत बेनामी लेन-देन और संपत्ति की जानकारी देने पर एक करोड़ तक का इनाम मिलेगा। इस योजना का लाभ पाने के लिए सूचनार्थी को आयकर विभाग के इन्वेस्टिगेशन डायरेक्टोरेट में बेनामी प्रॉहिबिशन यूनिट्स (बीपीयू) के ज्वाइंट या एडिशनल कमिश्नर को निर्धारित फॉर्मेट में संबंधित जानकारी देनी होगी। सूचनार्थी द्वारा प्राप्त की गयी जानकारी पर बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शंस एक्ट, 1988 के तहत कार्रवाई की जाएगी जिसे सरकार ने संशोधित कर बेनामी ट्रांजेक्शंस (प्रॉहिबिशन) अमेंडमेंट एक्ट, 2016 पारित किया था ताकि बेनामी संपत्तियों पर शिकंजा कसा जा सके। इस योजना का लाभ विदेशी नागरिक भी उठा सकते हैं। 

मोदी सरकार ने 2016 में बेनामी संपत्ति विधेयक में संशोधन करते समय बेनामी संपत्तियों पर शिकंजा कसने के संकेत दिए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने 4 नवंबर, 2017 को हिमाचल प्रदेश में एक भाषण में कहा था, “समय आ गया है जिन्होंने गरीबों को लूटा गया है उन्हें गरीबों को वापस लौटाना होगा। मैं एक ऐसी स्थिति बनाने जा रहा हूं जिससे वे (कांग्रेस नेता) अपनी बेनामी संपत्ति को लंबे समय तक नहीं बचा पाएंगे, ये लोगों का पैसा है जिसे लूटा गया है और अब इसका इस्तेमाल जनता के कल्याण के लिए किया जायेगा।”

मोदी सरकार द्वारा इस कदम से स्पष्ट है कि काले धन, बेनामी संपत्ति या कर भुगतान से बचने के किसी भी अन्य अवैध तरीके से निपटने को लेकर वो बहुत गंभीर हैं। सरकार अधिक कर चाहती है जिससे सरकार के खजाने में पैसे की कमी न हो और वो इन पैसों का इस्तेमाल  देश के लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत संरचना जैसी बेहतर सार्वजनिक सेवाएं प्रदान कर सके। 17 प्रतिशत के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में भारत का ब्रिक्स देशों रूस, चीन और ब्राजील की तुलना में सबसे कम कर है, वहीँ इन देशों का 20 प्रतिशत से ऊपर है। ओईसीडी, जो विकसित देशों का एक समूह है, जीडीपी अनुपात में 30 प्रतिशत से अधिक कर है, और यही वजह है कि वो अपने देशों में गरीब लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करने में सक्षम हैं। एक विकासशील देश से विकसित देश बनने की दिशा में, देश के अपने खजाने में अधिक पैसा होना चाहिए। यही कारण है कि मोदी सरकार बेनामी लेनदेन जैसे अवैध प्रथाओं के खिलाफ सख्त है और कर के अंतर्गत अधिक लोगों और संगठनों को शामिल करने की दिशा में काम कर रही है।

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