‘स्वास्थ्य सुधार’ के रूप में नई स्वास्थ्य योजना ‘मोदीकेयर’ का 20 राज्यों ने दिया साथ

मोदीकेयर स्वास्थ्य नीति

20 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों ने देश में लगभग 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एनएचपीएस) यानि आयुष्मान भारत योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के साथ आपसी समझौते पर हस्ताक्षर किया है। पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों ने इस योजना में कोई रूचि नहीं नहीं दिखाई है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रियों के एक सम्मेलन के दौरान कहा, “हम साथ मिलकर काम करेंगे, साथ सीखेंगे ताकि हम सहकारी संघवाद (फेडलिज़्म) की भावना के साथ काम कर सकें जिससे  दुनिया के सबसे बड़ी स्वास्थ्य आश्वासन योजना को पूरा किया जा सके।”

नई स्वास्थ्य नीति, जिसे मोदीकेयर के नाम से जाना जाता है, इसकी घोषणा मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय बजट 2018 में की गयी थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एनएचपीएस) को दुनिया में सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के स्वास्थ्य कवर के रूप में सम्मानित किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) को इस योजना के अंतर्गत लाया जायेगा और सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 डेटा के जरिये योजना के लाभार्थियों की पहचान की जाएगी। बीमा कवर के अलावा, सरकार देश भर में 1, 50,000 कल्याण केंद्र बनाएगी। कल्याण केंद्र जिसमें उप-केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) शामिल हैं वो देश के नागरिकों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य का जरिया है।

इस योजना के तहत 12 राज्यों ने अस्पतालों को भुगतान के लिए बीमा का तरीका अपनाने का निर्णय किया है जिसमें सरकार बीमा कंपनी को एक निश्चित प्रीमियम का भुगतान करती है। इनमें उत्तराखंड, हरियाणा, नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्य शामिल हैं। हालांकि गुजरात, केरल और हिमाचल प्रदेश ने हाइब्रिड मॉडल अपनाने का निर्णय किया, जिसमें एक हिस्सा बीमा का होगा और बाकी ट्रस्ट मॉडल होगा। ट्रस्ट में मॉडल बिल सीधे सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाती है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के सीईओ ने कहा, “गुजरात 50,000 रुपये तक के दावे का भुगतान बीमा मॉडल के जरिये करेगा और इससे अधिक के दावे का आवंटन ट्रस्ट मॉडल के तहत किया जाएगा।

मोदीकेयर स्वास्थ्य नीति को अपनाने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार में पहले से अपनी कोई योजना नहीं है और इसीलिए ये सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक होंगे। तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और राजस्थान के पास पहले से ही अपनी योजना है लेकिन वो राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना को अपनाने के लिए तैयार हैं। नीति योग के मुताबिक, एनएचपीएस की लागत 120 अरब रुपये आएगी। इस खर्च के आकलन की ये गणना प्रति परिवार 1,000 से 1,200 रुपये के प्रीमियम पर आधारित है। केंद्र सरकार योजना के लिए 60 फीसदी कोष मुहैया कराएगी और बाकी  40 फीसदी राज्य सरकारों की ओर से वहन किया जायेगा। एनई राज्यों और तीन हिमालयी राज्य जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड को 90:10 के अनुपात के अनुसार वित्तीय सहायता दी जाएगी और जबकि बिना विधायिका के केंद्र शासित राज्यों के लिए 100% केंद्रीय वित्त पोषण है।

देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति काफी खराब है क्योंकि दशकों से देश पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी हर चुनाव घोषणापत्र में ऐसा करने के वादों को दोहराती आयी है लेकिन फिर भी वो सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान नहीं किया था। देश में स्वास्थ्य व्यवस्था खासकर निजी अस्पतालों में काफी महंगा है और इसीलिए देश की गरीब जनता उचित स्वास्थ्य लाभ से वंचित हो जाती है।

नेशनल हेल्थ पॉलिसी के मसौदे के अनुसार, “देश में 63 मिलियन लोगों को हर साल अपने स्वास्थ्य पर किए गए खर्च की वजह से गरीबी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके इलाज लिए कोई वित्तीय सुरक्षा नहीं है।” गरीब और जरूरतमंदों को बेहतर इलाज के लिए अपनी संपत्तियां तक बेचनी पड़ती है या उन्हें अपनी जमीन गिरवी रखकर साहूकार से भारी ब्याज पर उधार लेना पड़ता है। कुल घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति व्यय के अनुपात के रूप में स्वास्थ्य देखभाल पर गैर-नियमित व्यय का हिस्सा ग्रामीण इलाकों में 6.9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 5.5 प्रतिशत है। ये वो जगह है जहां मोदीकेयर योजना लागू होगी।

मोदीकेयर नीति देश में सस्ते और बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धी माहौल को तैयार करेगी। मोदीकेयर देश के आखिरी व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सक्षम होगी जो बीजेपी की विचारधारा के प्रतिक दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपने को साकार करेगा।

Exit mobile version