पाकिस्तान को सिर्फ उसी की भाषा समझ आती है और भारतीय सेना उनके लिए उपयुक्त है

पाकिस्तान भारतीय सेना

पाकिस्तान आतंकवादी राज्य है, आतंकवादी राज्य था और ये आतंकवादी राज्य रहेगा। आतंकवाद पाकिस्तान की नींव है। निस्संदेह ये दुनिया का आतंकवाद को निर्यात करने वाला कारखाना है। पाकिस्तान आतंकवाद का निर्माता है न की आतंकवाद से पीड़ित है जिसका दावा अक्सर वो करता है। इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं कि पाकिस्तानी प्रतिष्ठान सभी तरह के आतंकवाद का समर्थन करता है। पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, इस्लामी राज्य और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों का समर्थन करता है। उनकी आतंकवादी प्रवृत्ति केवल बढ़ी है और ये कभी कम नहीं होगी। रमजान के पवित्र महीने के दौरान भारतीय नागरिकों पर उनके द्वारा की गयी गोलीबारी से ये साबित हुआ है। आतंवाद के लिए पवित्र और अपवित्र जैसी चीजों के कोई मायने नहीं है। रमजान के पवित्र महीने के बावजूद घाटी में सीजफायर हुआ और पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम समझौते के बावजूद ये लगातार भारत को निशाना बना रहे हैं। पिछली बार भारतीय सेना ने इन्हें ऐसा सबक सिखाया था कि वो भारत से इसे रोकने का भीख मांग रहे थे।

इस बार लगता है उन्हें एक बार फिर से सबक सिखाने की जरूरत है। ऐसा लगता है कि भारतीय सेना इसके लिए पहले से ही तैयार है। सीमा पर हमारे जवानों और आम नागरिकों को लक्षित करने और उन्हें मरने के लिए स्निपर्स का इस्तेमाल करने के बाद भारतीय सेना ने एक बार फिर से सीमा पर स्थित उनके बंकरों को उड़ा दिया है। हालांकि, अभी तक इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उनमें से कितने बंकरों में थे लेकिन रिपब्लिक टीवी ने जो विडियो दिखाया है उसके मुताबिक कम से कम 10 बंकर भारतीय सेना ने नष्ट कर दिए हैं।

ये उम्मीद की जा रही है कि पाकिस्तान को इससे काफी नुकसान पहुंचा होगा। पाकिस्तानी सेना को उन्ही की भाषा में जवाब देना चाहिए। ये सभी जानते हैं कि कि पाकिस्तानी सेना की दुनिया आतंकवादी संगठन है। वो पाकिस्तान में हर तरह से प्रत्येक चीज को नियंत्रित करते हैं। जैसा कि शशि थरूर ने कहा है, “भारत राज्य के पास सेना है, पाकिस्तान में सेना के पास राज्य है।” वो हाफिज सईद और मजहूर असद जैसे आतंकवादियों के रहने के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं जो भारत के खिलाफ षडयंत्र रचते हैं। पाकिस्तान एक दुश्मन देश है और उसके साथ उसी तरह का व्यवहार करना चाहिए जैसा कि एक शत्रु के साथ किया जाता है। वो भारत का सबसे बड़ा शत्रु है। जैसा कि ब्रिगेडियर गुरमीत कंवल ने कहा था, “भारतीय क्षेत्र पर आतंकवाद का हर कृत्य पाकिस्तान सेना और आईएसआई की भागीदारी को इंगित करने वाले विश्वसनीय सबूत हैं, पाकिस्तान सेना के खिलाफ सावधानीपूर्वक सैन्य हमले शुरू किए जाने चाहिए।”

पाकिस्तानी आर्मी को भारत पर हर आतंकवादी हमले के लिए भरपाई करना होगा। सिर्फ यही नहीं भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस आतंकवादी राज्य को अलग थलग कर देना चाहिए और दुनिया के लिए कैंसर बन चुका इस आतंकवादी राज्य के खिलाफ आर्थिक मंजूरी को प्रोत्साहित करना चाहिए।

लगता है कि अपराधियों के इस देश को ये बात समझ नहीं आ रही कि समय बदल चुका है और हमारा प्रतिशोध असमान होगा जिसका सामना कर पाना उनके लिए कठिन साबित होगा। भारत उस देश और उसकी सेना के लिए दुर्भाग्पूर्ण से मंहगा साबित होगा। भारत की तरफ से असमान कार्रवाई शुरू किये जाने के बाद भारत को उम्मीद है वो एक बार फिर से रेंगने के लिए मजबूर हो जायेंगे और भारत से इस कार्रवाई को रोकने की भीख मांगेंगे। पूरा देश दान पर निर्भर रहा है। सबसे पहले वो अमेरिका के सामने पैसे और सैन्य सहायता के लिए भीख मांग रहे थे और अब वो चीन की एक अनधिकृत कॉलोनी बन गए हैं। भारत को उनके बंकर को नष्ट करते रहना चाहिए जो आतंकवादियों के लिए पैड लॉन्च करने के रूप में काम करता है। लगता है कि पाकिस्तानी सेना 1965, 1971 और 1999 में अपने अपमान को भूल जाती है तभी ऐसें घटिया कृत्यों को बार बार अंजाम देती है। और अगर पूर्ण युद्ध एक बार फिर से होता है तो उनकी सेना फिर से धूल चाटने को मजबूर हो जाएगी और आत्मसमर्पण कर देगी क्योंकि यही एक चीज है जिसमें वो निपुण हैं।

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