टाइम्स नाउ के हाथ एक पत्र लगा है जो जनवरी माह के आरंभ में एक वरिष्ठ माओवादी द्वारा अपने साथियों को लिखा गया था। इस पत्र से जो सामने आया है वो चौंका देने वाला है। पत्र कांग्रेस और माओवादियों के बीच के जुड़ाव का खुलासा करता है। नक्सल नेता द्वारा लिखे गये इस पत्र में भारिपा बहुजन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने टाइम्स नाउ के सीनियर एडिटर आनंद नरसिम्हन को खुलेआम धमकी दी है। ये धमकी उन्होंने टाइम्स नाउ पर चल रही चर्चा के दौरान तब दी जब आनंद ने उनसे पत्र से जुड़ा सवाल पूछा था। दरअसल, आनंद नरसिम्हन ने उनसे सीधे पूछ लिया था कि क्या वो नक्सली थे या नहीं? प्रकाश अंबेडकर ने इस सवाल के खिलाफ बहस करने की कोशिश की लेकिन फिर इस शो को बीच में ही छोड़ दिया। कैमरा ऑन था और चर्चा जारी थी लेकिन प्रकाश अंबेडकर इस तथ्य से अवगत नहीं थे इसीलिए उन्होंने पत्रकार को धमकी दे दी। टाइम्स नाउ के आनंद नरसिम्हन को शारीरिक चोट पहुंचाने की धमकी के अलावा प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि तुम नहीं जानते हो कि तुम किससे उलझ रहे हो। उन्होंने ये भी कहा कि जब हमारी पार्टी सत्ता में आएगी (जिसकी उम्मीद 6 महीने के बाद की कर रहे हैं) पत्रकार को देख लेंगे। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे वो टाइम्स नाउ के आनंद नरसिम्हन को धमकी दे रहे हैं।
#BREAKING LISTEN IN: Shocking tirade by Prakash Ambedkar, open threat to TIMES NOW’s Anand Narasimhan, threatens physical harm, ‘6 mahine mein sarkar badal jayegi’ #MaoistLetterNamesCong pic.twitter.com/Jw6XxZK7KB
— TIMES NOW (@TimesNow) June 7, 2018
ये कथित तौर पर एक नक्सल हैं जो विपक्ष में कार्यकर्ता के रूप में हैं। एक समय था जब इन्हें राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में गंभीरता से देखा जा रहा था। वास्तव में विपक्ष में इस तरह के व्यक्ति को सम्मानित संवैधानिक पद देना विपक्ष की मानसिकता को दर्शाता है। वो ऐसे व्यक्ति को देश का राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं जिसमें कोई शिष्टता नहीं है। प्रकाश अंबेडकर की एकमात्र उपलब्धि ये है कि वो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पोते हैं। ये दर्शाता है कि इस तरह का केबल कैसे व्यक्तियों को पोषित और विकसित करते हैं। उनकी भाषा और अनौचित्य व्यवहार तो यही दर्शाता है।
उनका दावा है कि वो एक दलित कार्यकर्ता हैं लेकिन ऐसा लगता है कि वो सिर्फ आत्म घोषित दलित कार्यकर्ता हैं जो सिर्फ दलितों की भावनाओं का राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। टाइम्स नाउ के हाथ लगे पत्र में माओवादियों ने समाज में व्यवधान और अशांति पैदा करके दलितों की भावनाओं का दुरुपयोग किया। पत्र के मुताबिक उन्हें गुजरात विधायक जिग्नेश मेवानी के माध्यम से कांग्रेस द्वारा इन माओवादियों को भारत विरोधी और सरकार विरोधी हिंसा को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद मिलती थी। उन्हें दलितों के कल्याण से कोई मतलब नहीं है बल्कि उन्हें अपने फायदे और सत्ता से मतलब है।
किसी के द्वारा पत्रकार को इस तरह की खुली धमकी देना निंदनीय है और सभी को इसकी निंदा करनी चाहिए। फिर भी अभी तक अन्य मीडिया हाउसों ने चुपी साध रखी है। कुछ ही ऐसे चैनल्स हैं जो इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं और प्रकाश अंबेडकर के विस्फोटक बोल का खुलासा कर रहे हैं जबकि अन्य सच के सामने आने के बाद भी ‘असहिष्णुता’ की काल्पनिक खबरों की बुनाई में व्यस्त हैं। मीडिया की चुपी यही इंगित करती है कि वो शहरी नक्सलियों को अनदेखा कर रही है या फिर वो खुद ही शहरी नक्सल का हिस्सा है।
किसी भी लोकतांत्रिक देश में नक्सलियों और माओवादी आतंकवादियों के लिए कोई जगह नहीं है, दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को अकेला छोड़ दें। पत्र में साफ़ बताया गया है कि 2019 में होने वाले चुनावों से पहले विवाद पैदा करने के लिए माओवादियों ने आम जनता का दुरूपयोग किया। कांग्रेस ने अपने एजेंडे के लिए कैसे नक्सलियों को बढ़ावा दिया है ये पत्र उसी का प्रमाण है। विधायक जिग्नेश मेवानी कांग्रेस-माओवादी नक्सलियों के पूरे जाल का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा हैं लेकिन इस पूरे नेटवर्क में कई नाम सामने आने बाकि है जिनका खुलासा खुफिया एजेंसियों के जांच के बाद ही हो सकेगा।