पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी की बीमारी पर राहुल की निचले स्तर की राजनीति

राहुल गांधी वाजपेयी

राजनीतिक स्कोर के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बेशर्मी और राजनीतिक कड़वाहट की सारी हदें पार कर दी हैं। ऐसे समय में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यूरिन इंफ्केशन के चलते एम्स में भर्ती हैं और देश की जनता उनके सेहत में सुधार लिए दुआ कर रही है तब राहुल गांधी उनकी बीमारी पर राजनीतिक अंक बटोरने की कोशिश कर रहे हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यूरिन इंफ्केशन के चलते एम्स में भर्ती हैं और इसपर  राहुल गांधी ने दावा किया कि वो वाजपेयी जी का हाल पूछने वाले पहले व्यक्ति हैं। वो इस शर्मनाक बयान से ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई के बावजूद भी वो अपने विरोधी के बीमार होने पर उनकी खैरियत चाहते हैं। उन्होंने आगे दावा किया कि कांग्रेस की विचारधारा अपने विरोधियों का सम्मान करना है। ये न सिर्फ अपमानजनक है बल्कि इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करके देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रधानमंत्रियों में से एक के स्वास्थ्य को मुद्दा बनाकर राजनीतिकरण करना है जो शर्मनाक है।

राहुल गांधी के इस शर्मनाक बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी ने कहा कि, कांग्रेस अध्यक्ष निचले स्तर की राजनीति कर रही है और अटल बिहारी की बीमारी पर राजनीति कर अपना एजेंडा साधना चाहते हैं।

इस बयान से राहुल गांधी ने बता दिया है कि कांग्रेस में नैतिकता की कमी है। सत्ता की भूख में कांग्रेस किसी भी हर छोटे-बड़े मुद्दे पर राजनीति करने का एक मौका नहीं छोड़ रही है। भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति में अनरिटन कोड के मुताबिक कोई भी नेता स्वास्थ्य और ऐसे अन्य व्यक्तिगत और संवेदनशील मामलों पर राजनीति नहीं कर सकता है। ऐसा लगता है कि भारतीय राजनीति और समाज के आदर्शों से राहुल गांधी को कोई मतलब नहीं है। उन्हें सिर्फ वोट बैंक की राजनीति और राजनीतिक अंक से मतलब है।

राहुल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से पहले वाजपेयी से मुलाकत कर उन्होंने इंटर-पार्टी संबंधों और प्रतिद्वंद्वियों के प्रति सम्मान का उदाहरण पेश किया है। हालांकि, वो भूल गए कि बीमार पूर्व प्रधानमंत्री को देखने जाना किसी रेस का हिस्सा नहीं है। आदर की भावना दिल से आती है न कि खबरों में बने रहने के लिए दूसरों से पहले पहुंचकर खैरियत जानने से और ये वाजपेयी जी के स्वास्थ्य का शर्मनाक राजनीतिकरण करने के अलावा कुछ नहीं था। यदि राहुल गांधी सोचते हैं कि वो रेस में शामिल थे तो ये सिर्फ उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है और इससे कांग्रेस की बची हुई लोकप्रियता पर भी प्रभाव पड़ेगा।

यहां तक कि राहुल गांधी ने जो दावा किया था कि वाजपेयी जी को बीजेपी के नेताओं से पहले देखने पहुंचे थे उससे जुड़ा एक चौंका देने वाला विवरण सामने आया है। एम्स के डॉक्टर नहीं चाहते थे कि कोई भी शाम 7:30 तक वाजपेयी जी से मिले क्योंकि इस दौरान उनके टेस्ट चल रहे थे। हालांकि, राहुल गांधी राजनीतिक अंक हासिल करने के लिए इतनी जल्दबाजी में थे कि वो इसके लिए पहले ही वाजपेयी जी से मुलाकात करने पहुंच गए। जबकि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत अन्य नेताओं ने नियमों का पालन किया और डॉक्टरों की सलाह के बाद ही पूर्व प्रधानमंत्री से मुलाकात करने पहुंचे थे, किसी को भी इस मुद्दे पर राहुल गांधी का राजनीतिकरण नहीं भाया।

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राहुल गांधी ने कांग्रेस की गंदी राजनीति और हताशा को एक नए स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है। वाजपेयी जी की बीमारी पर राजनीतिक अवसरवादी के इस एक बयान ने मोदी-शाह की जीत का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस पहले ही बुरी स्थिति से गुजर रही है और अब इस बयान से कांग्रेस पर और बुरा प्रभाव पड़ने वाला है।

 

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