कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं। ऐसा कहा जा रहा था कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चाहते थे कि वो पश्चिम बंगाल में मालदा से चुनाव लड़ें। सूत्रों के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी ने बीजेपी नेताओं के साथ कई बार बैठक भी की थी।
शर्मिष्ठा मुखर्जी अभी कांग्रेस की प्रवक्ता हैं और यदि उन्होंने कांग्रेस को छोड़ने और बीजेपी टिकट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो ये कांग्रेस के लिए शर्मनाक बात होगी। नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में भाग लेने और संबोधित करने के प्रणब मुखर्जी के फैसले ने कांग्रेस को काफी शर्मिंदा किया है। रिपोर्ट के अनुसार कई कांग्रेस नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के फैसला की आलोचना की और उन्हें इसपर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया है।
इन सबके बीच शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सभी खबरों को सिरे से ख़ारिज कर दिया और कहा कि वो बीजेपी में शामिल नहीं होंगी। शर्मिष्ठा ने सभी अफवाहों को स्पष्ट रूप से कड़े शब्दों में ख़ारिज किया। शर्मिष्ठा ने कहा कि वो कांग्रेस छोड़ने से पहले राजनीति छोड़ देंगी। इससे स्पष्ट है कि वो एक समर्पित कांग्रेस सदस्य हैं। भले ही शर्मिष्ठा शहर से बाहर हैं फिर भी इस आधारहीन अफवाह को ट्विटर के जरिये खारिज कर दिया। हालांकि, कांग्रेस के भीतर के परिवार और उनके चापलूस वफादारी का टेस्ट लेने के लिए जाने जाते हैं। ऐसा लगता है की शर्मिष्ठा को भी ऐसे ही टेस्ट से गुजरना पड़ रहा है। अपने पिता द्वारा आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले के लिए शर्मिष्ठा को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। शायद यही वजह है कि शर्मिष्ठा को पार्टी के हाई कमान को स्पष्टीकरण देने के लिए मजबूर किया गया ताकि वो साबित कर सकें कि वो पार्टी की विचारधारा मानती हैं।
व्यक्तिगत रूप से अपने पिता को आरएसएस कार्यक्रम में शामिल न होने की सलाह देने के बजाय शर्मिष्ठा ने इस कार्यक्रम में भाग लेने के अपने पिता के खिलाफ रहीं। शर्मिष्ठा ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी को इस बात का एहसास नहीं है कि उनके भाषण को भुला दिया जायेगा, मगर तस्वीरें हमेशा के लिए रह जाएंगी और इससे सिर्फ झूठी खबरों को फैलाया जाएगा। इससे स्पष्ट है कि कैसे शर्मिष्ठा को अपनी वफादारी को साबित करना पड़ रहा है जबकि इसके साथ ही कांग्रेस नेता पूर्व राष्ट्रपति को सार्वजनिक तौर पर शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रणब मुखर्जी को आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल न होने के लिए राजी करना पूरी तरह से सही था। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर इस मुद्दे को लेकर एक अनावश्यक और आधारहीन विवाद पैदा करने के लिए मजबूर करना सही नहीं है। ये कांग्रेस का काम नहीं है कि वो तय करे कि पूर्व राष्ट्रपति को आरएसएस के कार्यकर्म में शामिल होना चाहिए या नहीं। वो देश के राष्टपति थे और कांग्रेस का उनपर कोई हक नहीं है। ये बेहद अपमानजनक है कि कैसे कांग्रेस पूर्व राष्ट्रपति की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही है और उनके साथ सम्मानजनक तरीके से पेश नहीं आ रही है। ये सच है कि आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद कांग्रेस की विचारधारा में उनके विश्वास को लेकर कई सवाल खड़े होंगे और आरएसएस जो करता है उसपर अधिकारिक मोहर लग जायेगी लेकिन कांग्रेस को इससे कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
पिछले चार वर्षों में कांग्रेस और उसकी विचारधारा को ख़ारिज कर दिया गया, ऐसे में यदि कांग्रेस नेता और पूर्व राष्ट्रपति द्वारा भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हों तो ये कोई बड़ी बात नहीं है। कांग्रेस इस मामले में चुप ही रहे तो बेहतर है क्योंकि प्रणब मुखर्जी उनकी जागीर नहीं है और न ही वो इसके लिए बाध्य हैं कि वो कांग्रेस के प्रति निष्ठा का बोझ उठाते रहें। बल्कि कांग्रेस को इसे राजनीतिक विवाद का रूप देने और उनके परिवार को इस मामले में शामिल करने से बचना चाहिए।