समाजवादी अखिलेश ने सरकारी बंगले में पहले की चोरी फिर किया खाली, करदाताओं का उड़ाया मजाक

अखिलेश यादव सरकारी बंगला

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समाजवाद लेफ्ट उदारवादियों के चहेते शासन के रूपों में से एक है। हालांकि, समाजवाद गंभीर रूप से खतरे में है और युवाओं को अगर समाजवाद की समझ नहीं है तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। अखिलेश यादव ने ‘समाजवादी पार्टी’ का नेतृत्व करते हुए समाजवाद का प्रचार किया और उन्होंने पिछले हफ्ते की घटनाओं से दिखा भी दिया कि समाजवाद क्या है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद सरकारी आवास को खाली करना होगा। कोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी सरकार ने 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को अधिकारिक आवास खाली करने के लिए नोटिस भेजा था। नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, मायावती, राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव को सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा गया था। अखिलेश यादव जिन्हें ‘यूथ आइकॉन’ माना जाता है उन्होंने अपने सरकारी बंगला, 4, विक्रमादित्य मार्ग को खाली करके वास्तविक ‘समाजवाद’ का प्रदर्शन किया है। जब यूपी एस्टेट विभाग ने उनके पूर्व आवास का दौरा किया तो उन्हें बड़ा झटका लगा। बंगले की हालत को बिगाड़ कर रख दिया गया था और  हर चीज को तहस नहस कर दिया गया। ये किसी से छुपा नहीं है कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव उस आवास को नहीं छोड़ना चाहते थे। इसके के लिए मुलायम सिंह यादव ने योगी जी से मुलाकत भी की थी और समाजवादी पार्टी के विधायकों को घर आवंटित करने का भी अनुरोध किया था। योगी जी आश्रित व्यक्तियों के प्रति उदार की भावना नहीं रखते हैं और इसीलिए उन्होंने ये अनुरोध अस्वीकार कर दिया। अधिकारियों ने पाया बंगले में एक मंदिर को छोड़कर सभी जगहों पर तोड़-फोड़ की गयी है। बंगले की हालत को देखें तो यही लगता है कि अखिलेश यादव को सरकारी बंगला बंगला खाली करना इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने बंगले की साज-सजा को ही तहस-नहस कर दिया।

पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 को कालेधन के प्रवाह को रोकने के लिए नोटबंदी की घोषणा की थी और सपा और बसपा जैसी पार्टियों के धन में इससे काफी नुकसान हुआ। मोदी लहर में तो कोई कमी नहीं आयी लेकिन इन पार्टियों को मिलने वाले पैसों में कमी जरुर आयी और इसीलिए ये पार्टियां और इनके नेता हताश हो गये। यहां उनकी बढ़ती हताशा का उदाहरण है। बंगले से सभी AC चुरा लिए गये, जैसा कि सामाजिक कार्यकर्ता से उम्मीद थी एयर कंडीशनिंग डक्ट भी निकाल लिए गये। यूपी एस्टेट विभाग को भी यकीन नहीं हुआ कि अखिलेश यादव ऐसा कुछ करेंगे। टीवी और एसी जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के अलावा इलेक्ट्रिसिटी स्विच बोर्ड तक हटा दिए गये हैं यहां तक कि स्विच को तोड़ दिया गया है।

ये आलिशान सरकारी बंगला 42 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था जिसमें करदाताओं के पैसों से आयातित टाइल्स, दुर्लभ टाइल्स जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया था। 2016 में अपने कार्यकाल के अंतराल के दौरान शायद अखिलेश यादव को ये एहसास था कि उनकी सरकार में हुईं गलतियों की वजह से वो सत्ता से बाहर हो जायेंगे और इसीलिए सरकारी पैसों से इस बंगले को आलीशान बनाया था। उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री लंबे समय से सरकारी बंगले पर हक जमाए हुए हैं जबकि वो सत्ता से बाहर हो चुके हैं और यादव को भी लगा होगा कि वो सत्ता से बाहर होने के बाद भी सरकारी बंगले का सुख लेते रहेंगे लेकिन योगी आदित्यनाथ की योजना कुछ और ही थी।

जाहिर है कि इससे यादव के अंदर खुंदस भरी होगी। स्विमिंग पूल के हिस्से को सीमेंट से पाट दिया गया है। हालांकि, स्विमिंग पूल को पाटने से पहले भी नहीं छोड़ा गया। पूल को नष्ट करने से पहले टाइल्स को हटा दिया गया। विशाल बैडमिंटन कोर्ट के नेट को ले जाना समझ आता है लेकिन कोर्ट के टाइल्स को निकाल दिया जाना भी अभी तक अनसुना ही था। शायद वो इस तथ्य से अवगत हो गये थे कि केंद्र में मोदी और यूपी में योगी के नेतृत्व के साथ उन्हें फिर से यूपी मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का एक और मौका नहीं मिलेगा और इस तथ्य ने उनकी निराशा को बढ़ा दिया।

हमने सूखे क्षेत्र में पानी की चोरी और पानी के माफिया के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी शावर माफिया के बारे में सुना है? हां, सभी बाथरूम से नल और शावर को निकाल लिया गया है। यादव ने अपने लिए आयातित उपकरणों के साथ खुद के लिए एक जिम्नेशियम बनाया था और आश्चर्यजनक रूप से अधिकांश उपकरण जिम्नेशियम से गायब हैं। यहां तक कि छतों की फाल सीलिंग को भी हटा दिया गया है!

ऐसे में लखनऊ के निवासियों को सावधना रहना चाहिए। यदि आपको सफेद कुर्ता और लाल टोपी पहने हुए एक आदमी आपके दरवाजे पर दिखाई दे जो आपको डराने की कोशिश कर रहा है और आपका सामान चुरा रहा है तो डरिये नहीं, बस पुलिस को कॉल करें। हाल के दिनों में यूपी पुलिस अपराधियों के प्रति पहले से ज्यादा सख्त हुई है और ऐसे लाल टोपी वाले अपराधी का वो अच्छे से ख्याल रखेगी। यूपी एस्टेट विभाग को यादव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की तैयारी करनी चाहिए  क्योंकि जो भी करदाता के पैसों का दुरूपयोग करने की कोशिश करता है वो कठोर सजा का हकदार है।

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