तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव जिन्होंने कांग्रेस के बिना बीजेपी के खिलाफ संघीय मोर्चे के विचार के बीज बोये थे, अब वो बीजेपी की गुड बुक्स में आने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया और अपने मंत्रियों से समय से पूर्व नवंबर-दिसंबर में शुरुआती चुनावों के लिए तैयार होने के लिए कहा। डेक्कन क्रॉनिकल के मुताबिक शहर के कांग्रेस नेता दानम नागेंद्र के टीआरएस में शामिल होने के बाद तेलंगाना भवन में एक बैठक को संबोधित करते हुए राव ने कहा, “हम अग्रिम चुनावों के लिए तैयार हैं। यहां तक कि लोग भी अग्रिम चुनावों के लिए तैयार हैं। मैंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों से पूछा कि क्या वो तैयार हैं या नहीं। यदि हम चुनाव के लिए आगे बढ़ते हैं तो इससे स्पष्ट हो जायेगा कि किस पार्टी में कितना दम है और कौनसी पार्टी कहां खड़ी है।“ उन्होंने आगे कहा, “यदि विपक्षी पार्टियां टीआरएस सरकार पर निराधार आरोप लगाना नहीं छोड़ती हैं तो हमें अपने मजबूत पक्ष को साबित करने के लिए जल्द ही चुनाव करवाने के लिए मजबूर होना होगा जिससे ये साबित हो जायेगा कि कौनसी पार्टी आगे है और कौनसी पीछे है और वो दिन बहुत दूर नहीं है।” तेलंगाना में जल्दी चुनाव करवाने के पीछे मुख्य वजहों में से एक है टीआरएस शासित राज्य में कांग्रेस का मुख्य विपक्षी पार्टी होना। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ इस राज्य में भी चुनाव करवाए जा सकते हैं ऐसे में कांग्रेस पर्याप्त मात्रा में पैसे और ताकत तेलंगाना में लगा पाने में सक्षम नहीं हो पायेगी क्योंकि उनका प्राथमिक उद्देश्य बीजेपी शासित राज्य में बीजेपी को हराना है। ऐसे में ये संभव है कि केसीआर को इससे लाभ मिले। ये टिप्पणी 2019 के आम चुनावों के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले हफ्ते ही उन्होंने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक बैठक में भाग लिया था उसके बाद हैदराबाद लौटते ही उन्होंने ये टिप्पणी की है। यहां तक कि इस मुद्दे पर उन्होंने राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन से जल्द चुनाव करवाने पर चर्चा भी की।
पीएम मोदी से मुलाक़ात के बाद, केसीआर राज्य की इच्छा सूची में केंद्र की सकारात्मक प्रतिक्रिया से संतुष्ट नजर आ रहे हैं। और अब वो बीजेपी के साथ कई मुद्दों पर एक ही नाव पर सवार होने के लिए तैयार हैं। हालांकि, केसीआर कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी के ज्यादा करीब दिखाई दे रहे हैं। वास्तव में उन्होंने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल बैठक में बीजेपी के योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश), शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश) और रमन सिंह (छत्तीसगढ़) जैसे मुख्यमंत्रियों के साथ अच्छे वाइब्स भी साझा किये। आश्चर्यजनक रूप से, सन्डे गार्जियन लाइव के अनुसार, केसीआर ही एकमात्र गैर-एनडीए मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अगले साल के लिए नीति आयोग के एजेंडे का समर्थन किया। पीएम मोदी किसानों के लिए राव की महत्वाकांक्षी योजनाओं के प्रति सकारात्मक दिखाई दिए और अधिकारियों से इन योजनाओं की गहराई में जाने के लिए कहा। केसीआर ने राज्यसभा के उप सभापति पद के लिए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को अपना समर्थन बढ़ाने के बीजेपी के अनुरोध पर सकारात्मक संकेत भी दिए। इससे पहले केसीआर ने राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन दिया था। केसीआर ने नीति आयोग की बैठक में गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस मुख्यमंत्रियों से दुरी बनाकर रखा था। उन्होंने पिछले हफ्ते लेफ्टिनेंट गवर्नर के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की भूख हड़ताल का कोई समर्थन नहीं किया था। सबसे ज्यादा चौंका देने वाली बात ये थी कि केसीआर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कर्नाटक की मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के साथ बैठक से भी परहेज किया, जो दिल्ली आयोग बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे थे।
कुछ महीने पहले, कुछ बैठकों के बाद, केसीआर ने बीजेपी के खिलाफ संघीय मोर्चे बनाने के विचार पर प्रकाश डाला था लेकिन अब ऐसा लगता है कि केसीआर 2019 के आम चुनावों से पहले अपने विचार से पीछे हटने लगे हैं। अब ऐसा लगता है कि केसीआर को ये बात समझ आ गयी है कि बीजेपी के खिलाफ एक संघीय मोर्चे का नेतृत्व करना व्यर्थ कोशिश है। पीएम मोदी अभी भी भारत के लोगों के अच्छे समर्थन का आनंद उठा रहे हैं और देश की मनोदशा पीएम मोदी के साथ है।