भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने मीडिया में दावा किया है कि ‘वो बैंकों से लिया कर्ज वापस करने के लिए कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे बैंकों को पैसा लेकर भागे हुए के ‘पोस्टर बॉय’ के तौर पर पेश किया जा रहा है और इस वजह से वो ‘सार्वजनिक क्रोध’ का भागी बन गया है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर एक पत्र भी जारी किया है जोकि उन्होंने पीएम मोदी और वित्त मंत्री को 15 अप्रैल 2016 में लिखा था और इस पत्र को अपना पक्ष रखने के लिए सार्वजनिक किया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को दोनों को 15 अप्रैल 2016 को पत्र लिखा था और अब मैं चीजों को सही संदर्भ में पेश करने के लिए इन पत्रों को सार्वजनिक कर रहा हूं। मुझे अभी तक पत्र का जवाब नहीं मिला है।” ऐसा लगता है कि विजय माल्या यहां पीड़ित कार्ड खेलना चाहते हैं। यदि वो बैंकों से लिए कर्ज को चुकाने की इच्छा रखते तो वो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन ऑफिस ( SFIO ) जैसी जांच एजेंसियों के साथ मिलकर इस मामले में लड़ते, ये वही एजेंसियां हैं जो उनके खिलाफ मुकदमा चला रही हैं। प्रधानमंत्री का कार्यालय या वित्त मंत्रालय कोई शिकायत प्रणाली नहीं है जो एक निजी व्यक्ति के एक पत्र का जवाब देकर उसे सुलझाये। उन्हें कोई ख़ास व्यक्ति की तरह महत्व नहीं दिया जा सकता है क्योंकि वो बैंकों का कर्ज न चुकाने वाले आर्थिक अपराधी हैं।
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि माल्या की तरफ से ये बयान तब आया है जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आर्थिक खुफिया एजेंसी (आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक अपराध के खिलाफ कार्रवाई करती है) ने स्पेशल कोर्ट का रुख किया ताकि इस मामले में किंग फिशर के मालिक विजय माल्या की 12,400 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल 2018 के तहत ‘तत्काल जब्त’ किया जा सके। कैबिनेट ने फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स का अध्यादेश इसी वर्ष अप्रैल के माह में मंजूरी दी थी जिससे विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराध कर भागने वालों पर शिकंजा कसा जा सके। ये अध्यादेश ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधी को परिभाषित करता है “जिसके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो चुका है लेकिन वो कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए भारत छोड़ चुके हैं और भारत आने से मना करते हैं ताकि वो कानूनी कार्रवाई से बच सकें। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ इस कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।“
यूनाइटेड किंगडम में जारी अपने बयान में विजय माल्या ने कहा, “नेताओं और मीडिया ने मुझे अपराधी के रूप में ऐसे पेश किया जैसे मैं किंगफिशर एयरलाइंस को दिया गया 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर फरार हो गया हूं। कुछ बैंकों ने मुझे जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सरकार और बैंकों के इशारों पर कई अपुष्ट और झूठे आरोपपत्र दायर किए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मेरे, मेरे समूह कंपनियों और मेरे परिवार की कंपनियों की संपत्ति कुर्क की, जिसकी कीमत 13900 करोड़ रुपये है।“
विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइन कंपनी को 2002 में अपनी स्थापना के बाद से काफी घाटा हुआ और अंत में 2012 में इस कंपनी को बंद करना पड़ा। इस बंद पड़ी एयरलाइन के खिलाफ 10 हज़ार करोड़ रुपये का ऋण लेने और उसे वापस न करने पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। अधिकतर ऋण पब्लिक सेक्टर के बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लिया गया था। विजय माल्या 2002-2008 और 2010-2016 की अवधि के बीच राज्य सभा का के सदस्य भी रहे हैं और विजय माल्या पर पब्लिक सेक्टर के बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करने का आरोप है। कंपनी को घाटा होने के बाद भी विजय माल्या ने पब्लिक सेक्टर बैंक से काफी मात्रा में ऋण लिया था जो इन बैंकों पर राजनीतिक प्रभाव से हस्तक्षेप को दर्शाता है। पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा कुर्क की गयी प्रमुख संपत्तियों में अलीबाग के मंडवा में एक फार्महाउस, बेंगलुरु में किंगफिशर टावर में कई फ्लैट, यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड के 25.14 लाख शेयर, यूनाइटेड ब्रेवरीज लिमिटेड के 4 करोड़ शेयर और मैकडॉवेल होल्डिंग कंपनी के 22 लाख शेयर शामिल हैं। कुछ विश्लेषकों के अनुसार कुर्क की गयी संपत्ति के लिए गये कुल ऋण से ज्यादा है इसलिए माना जा रहा है कि यदि नीलामी होती है तो बैंक पूरी तरह से अपनी वसूली कर सकता है। माल्या की हाल ही में इस गतिविधि से पता चलता है कि मोदी सरकार के फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल से वो काफी परेशान हो गया है जिसके तहत सम्पति को कुर्क किया जा सकता है और उसकी नीलामी की जा सकती है। ये कुर्क की गई संपत्ति माल्या द्वारा लिए गये कर्ज से कहीं ज्यादा है यही वजह है कि माल्या अब बैंकों के साथ अपनी बकाया राशि को चुकाने की जल्दबाजी में हैं।