झारखंड के पाकुड़ जिले की यात्रा के दौरान स्वयं घोषित आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर मंगलवार को भीड़ ने हमला किया था। जिसने स्वामी अग्निवेश पर हमला किया था उस पूरे केबल पर बिना किसी ठोस सबूत के बीजेपी के कार्यकर्ता होने के आरोप लगाये गये। राज्य के बीजेपी प्रवक्ता पी शाहदेव ने इस घटना के पीछे बीजेपी के सदस्यों का हाथ होने से इंकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने कहा अग्निवेश के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए इस तरह का आक्रोश संभव था।
किसी पर भी बिना सबूत के आरोप लगाना निंदनीय है लेकिन इन सबके बीच अब ये जरुरी हो गया है कि स्वामी अग्निवेश के ट्रैक रिकॉर्ड पर एक बार नजर डाली जाए। वास्तव में अग्निवेश का ट्रैक रिकॉर्ड विवादों से भरा है और अक्सर ही उनके कृत्यों की वजह से वो सुर्खियों में रहे हैं। वास्तव में वो देश में छद्म-धर्मनिरपेक्षता और दिखावटी समाजवाद के प्रतीक हैं। धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अग्निवेश समाज विरोधी और देश विरोधी तत्वों के पक्ष में और बचाव में बोलते हैं। वो पहली बार 2011 में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान उजागर हुए थे। शुरुआत में वो इस आंदोलन का हिस्सा थे लेकिन बाद में अग्निवेश से जुड़ा एक वीडियो सामने आया था जिसमें वो तत्कालीन यूपीए मंत्री कपिल सिब्बल के साथ अन्ना हजारे के आंदोलन को तोड़ने की योजना पर चर्चा कर रहे थे। वीडियो में अग्निवेश को सरकार को सलाह देते हुए स्पष्ट सुना जा सकता है जिसमें वो कह रहे हैं कि, अन्ना हजारे को और रियायतें न दें जो भ्रष्टाचार विरोधी कानून लाने के लिए दबाव डाल रहे थे। स्वामी अग्निवेश वीडियो में कह रहे थे, “कपिल जी, ये तो पागल की तरह हो रहा है।” इसके बाद वो उन्होंने कपिल जी से आग्रह किया कि अब इस आंदोलन को और ढील मत दो और और न ही उन्हें कोई रियायत दो। ये स्पष्ट था कि अग्निवेश कपिल के आदमी थे जो उस आंदोलन को भंग की बात कर रहे थे जिसकी जड़े पूरे देश में तेजी से बढ़ रही थीं।
2011 में जो हुआ था वो तो सिर्फ अग्निवेश के दोहरे चेहरे का सिर्फ एक छोटा सा नमूना था उनका छल से भरा चरित्र तब भी और आज भी किसी न किसी तरह से सामने आता रहा है। स्वयं घोषित आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यकर्ता न सिर्फ गुप्त रूप से एक कांग्रेसी नेता है बल्कि वो कश्मीरी अलगाववादियों और नक्सलियों के मुखर समर्थक भी हैं। अप्रैल 2015 में, अग्निवेश ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी जेकेएलएफ नेता यासीन मलिक के समर्थन को बढ़ावा दिया था। इतना ही नहीं, अग्निवेश ने 1989 में हुए नरसंहार के बाद जिहादी तत्वों द्वारा घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किए गए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए 30 घंटे की भूख हड़ताल का समर्थन करके हिंदुओं के खिलाफ अपने अंतर्निहित भाव को व्यक्त किया था।
जब नक्सलवाद और वरिष्ठ नक्सली नेताओं का बचाव करने की बात आती है तब वो और भी ज्यादा मुखर हो जाते हैं। वास्तव में अग्निवेश ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था कि नक्सलियों के साथ से ‘शांति वार्ता’ करें। इसके बाद उन्होंने वरिष्ठ नक्सल नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद की मौत के लिए सुरक्षा एजेंसियों पर आरोप मढ़े थे और यहां तक मुठभेड़ को ‘फर्जी मुठभेड़’ करार दिया था। अग्निवेश छद्म उदारवाद के पोस्टर बॉय हैं और “आज़ादी” गिरोह और “भारत तेरे टुकड़े होंगे” गिरोह से पहले भी वो अलगाववाद और नक्सलवाद के सक्रिय समर्थक रहे हैं।
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अग्निवेश न सिर्फ एक राष्ट्रविरोधी और भ्रष्टाचार तत्व के समर्थक हैं जो न सिर्फ एक सामाजिक कार्यकर्ता का मजाक बना रहे हैं बल्कि वो एक विशिष्ट हिंदू विरोधी ‘सेक्युलर’ भी हैं। वो एक ऐसे अध्यात्मिक गुरु हैं जिसे कोई भी हिंदू विरोधी एलीट पसंद करेगा। वास्तव में 2011 में हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार भी लगाई थी। अग्निवेश ने कहा था कि अमरनाथ की यात्रा “धर्म के नाम पर एक धोखाधड़ी थी।” शीर्ष कोर्ट ने तब इस हिंदू विरोधी टिप्पणी पर गंभीर आपत्ति जताई और न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने कहा कि “आप अपने उद्देश्य में सफल हुए। इसके बाद, आपने अपनी गलती को महसूस किया और स्पष्टीकरण जारी किया। पहले तो आप एक ऐसा बयान देते हैं जो व्यापक रूप से प्रकाशित होता है और फिर आप स्पष्टीकरण देते हैं। क्या जो आपके बयान से नुकसान हुआ है वो पहले की तरह सही हो जायेगा? पब्लिक फिगर को कुछ भी कहने और करने से पहले अधिक संवेदनशील होना चाहिए। उन्हें कुछ भी ऐसा कहने से बचना चाहिए जो किसी आम आदमी की भावनाओं को आहत करता हो।“
कोई भी राष्ट्र विरोधी और हिंदू विरोधी अग्निवेश के ट्रैक रिकॉर्ड पर गर्व करेगा। कई वर्षों से अग्निवेश स्वामी की छवि का इस्तेमाल करते आये हैं और स्वामी की छवि की आड़ में वो राष्ट्र-विरोधी, हिंदू विरोधी और अपने अन्य एजेंडे को बढ़ावा देते रहे हैं। एक रिपोर्ट में बताया भी गया था कि वो हरियाणा में कांग्रेस विधायक थे जो जहां नक्सल और मिशनरीयों का लिंक था। वो निश्चित रूप से एक धोखेबाज बाबा हैं। ऐसे हिंदू विरोधी और राष्ट्र-विरोधी ‘स्वामी’ के पापों को आसानी से क्षमा नहीं किया जाना चाहिए।