यूपी सरकार ने यमुना एक्सप्रेस वे घोटाले में सीबीआई जांच के दिए आदेश

यमुना एक्सप्रेस सीबीआई

मायावती के शासनकाल में हुए यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के 126 करोड़ रुपए के कथित भूमि घोटाले मामले की जांच अब सीबीआई करेगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोटाले में यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की है, इसकी पुष्टि खुद गृह सचिव भगवान स्‍वरूप ने की है और बताया कि केंद्र को इस मामले से जुड़ा एक पत्र भेजा गया है। मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों ने 19 कंपनियां बनाकर मथुरा के किसानों से पहले सस्ती दर पर जमीन खरीदी और इसके बाद उन जमीनों को वापस प्राधिकरण को बेच दिया और करोड़ों रुपये के मुआवजा लिया जिससे प्राधिकरण को 126 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।

हाल ही में जांच के बाद इस घोटाले में यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और कई अन्य अधिकारी दोषी पाए गए हैं। यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता व इस मामले में अन्य दोषियों पर आरोप है कि ये सभी  मथुरा के सात गांवों की 57.1549 हेक्टेयर जमीन को 85.49 करोड़ रुपए की खरीद में सीधे तौर पर शामिल थे। सभी आरोपियों ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था जिससे वो अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचा सकें। जमीन खरीद समिति के अध्यक्ष बीपी सिंह पर भी मनमाने तरीके स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन देने का आरोप है। मामले के सामने आते ही प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच जीएम प्लानिंग मीना भार्गव से कराई थी जिसमें कई बड़े अधिकारीयों के नाम सामने आये। इस मामले में ग्रेटर नोएडा की पुलिस ने 3 जून को 22 आरोपियों के खिलाफ FIR में तीन मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के नाम दर्ज किया था, इसके बाद 22 जून को पुलिस ने पीसी गुप्ता को मध्यप्रदेश के दतिया स्थित पीताम्बरा मंदिर से गिरफ्तार किया था।

रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई की जांच के बाद कई और नाम सामने आने की संभावना है साथ ही इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमों मायावती भी फंस सकती हैं क्योंकि उनके शासन के दौरान ही इस परियोजना को मंजूरी दी गयी थी। अगर ऐसा होता है तो 2019 से पहले ही मायावती के सपनों को झटका लग सकता है। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का भूमि घोटाला मामला विवादों से घिरा रहा है। इस मामले के सामने आने के बाद ये तो स्पष्ट है कि पूर्व की सरकारों की योजना जनता से ज्यादा उनके व्यक्तिगत हित से निहित थी, किसानों के साथ योजना के लिए भूमि लेने के नाम पर उनका फायदा उठाया गया है।

अगर सीबीआई जांच के बाद इस घोटाले में मायावती से कोई लिंक सामने आता है तो इससे मायावती की मुश्किलें और बढ़ जाएँगी जो पहले से ही अपनी पार्टी के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा में बसपा के पास जहां 19 / 403 सीटें ही बचीं हैं वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा में बसपा के पास जीरो सीट है जो पार्टी के अस्तित्व को खतरे की ओर धकेल रहा है। जाति के आधार पर राजनीतिकरण से ऊपर उठकर उन्होंने सही मायनों में विकास के मुद्दों पर काम किया होता और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई होती तो शायद वो आज अपने पार्टी के अस्तित्व की लड़ाई न लड़ रही होती। 2019 के आम चुनाव बसपा और मायावती दोनों के लिए बड़ा झटका साबित होने वाला है।

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