असम में काफी लंबे इंतेजार के बाद सोमवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का फाइनल मसौदा सोमवार को जारी किया गया। एनआरसी के समन्यवयक प्रतीक हाजेला ने एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी किया और कहा कि राज्य में रह रहे कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.90 करोड़ नागरिक वैध पाए गए हैं, इस मसौदे में करीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं है। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा 31 दिसंबर 2017 को जारी किया गया था जिसमें असम के कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 1.9 करोड़ लोगों को कानूनी रूप से भारत का नागरिक माना गया था।
असम से आखिरी मसौदे के जारी करने से पहले रविवार को 52 बांग्लादेशियों नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय सरहद पर बांग्लादेश के अधिकारियों के सुपुर्द किया गया। 52 बांग्लादेशियों को असम की मानकाचर बॉर्डर से बांग्लादेश वापस भेजा गया।
ये सभी 52 बंगलादेशी अपनी नागरिकता साबित करने में नाकाम रहे जिसके बाद उन्हें निर्वासित कर दिया गया। दक्षिण सलमार-मानकाचर जिले के पुलिस अधीक्षक अमृत भुयान ने द हिंदू से कहा, “कुल 52 बंगलादेशी नागरिकों को बांग्लादेश के अधिकारियों के सुपुर्द किया गया है जो अवैध रूप से देश में घुस आये थे जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।” असम सरकार ने राज्य में एनआरसी को अपडेट करके वहां की आबादी के बेहतर भविष्य की दिशा में बेहतरीन कदम उठाया है जो अवैध अप्रवासियों की वजह से निवास, सफाई, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। इससे राज्य के डेमोग्राफी में भी बदलाव आएगा। ये तो सिर्फ भविष्य में जो होने वाला है उसका एक ट्रेलर है। बीजेपी अपने वादें के मुताबिक अवैध अप्रवासियों को उनके वतन वापस भेजेगी और असम को मुलभुत सुविधा प्रदान करेगी और अवैध अप्रवासन से होने वाले नुकसान को भी कम करने की दिशा में काम करेगी। मोदी सरकार से पहले किसी भी सरकार ने देश में बढ़ते अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। पूर्व की सरकारों ने तुष्टिकरण की राजनीति के चलते हमेशा अपना हित देखा है जिससे असम की जनता के सामने समय के साथ अवैध अप्रवासन की समस्या गंभीर होती गयी। असम से धीरे-धीरे अवैध बंगलादेशी भारत के अन्य राज्यों में जाकर बसने लगे जिससे भारत के अन्य राज्यों में भी ये समस्या गंभीर होने लगी। खुफिया एजेंसियों ने जांच में पाया कि अवैध बंगलादेशी और रोहिंग्या अपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं जिससे आंतरिक सुरक्षा को खतरा पैदा कर दिया। वो भारत के फर्जी पहचान पत्र, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, मनी लॉंडरिंग और अन्य राष्ट्रीय-विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं।
हमेशा से राजनीतिक फायदे के लिए राजनीतिक पार्टियों ने तुष्टिकरण की राजनीति की है जिससे राज्य की आबादी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। गैरकानूनी बांग्लादेशियों के बढ़ते बोझ के कारण असम की प्राकृतिक सुंदरता, संतुलन और स्थानीय संस्कृति को क्षति पहुंची है फिर भी, कांग्रेस और टीएमसी समेत अन्य राजनीतिक दलों ने उत्तर-पूर्वी राज्यों की मूल आबादी की सभी चिंताओं को सिर्फ अपनी वोट बैंक राजनीति के लिए अनदेखा कर दिया।
असम सरकार द्वारा एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी किये जाने के बाद विपक्ष अब सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। विपक्ष बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी की कवायद में पूरी तरह से जुट चुका है। इस मामले को लेकर जल्द ही विपक्ष एक बैठक भी कर सकता है। ममता बनर्जी जैसे राजनेताओं ने सिर्फ अपनी वोटबैंक की राजनीति के लिए हमेशा से ही अवैध अप्रवासियों का स्वागत किया है और रोहिंग्या के पुर्नस्थापित करने की मांग भी उठाते आये हैं। एनआरसी को लेकर कांग्रेस, ममता बनर्जी, मायावती एक सुर में बीजेपी निशाना साधा। ममता हमेशा से अवैध बांग्लादेशियों को पनाह देकर उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहती थीं और जिससे वो वोट बैंक की राजनीति में सफल हो जायें इसलिए वो देश के हित को परे रख बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही हैं। कई बार चुनावीं रैलियों में ममता बनर्जी ने अपने भाषण से इसे स्पष्ट भी किया है।
हालांकि, बीजेपी ने स्वार्थ की राजनीति को कभी बढ़ावा न देकर देश के हित में काम कर रही है। असम के बाद अब झारखंड सरकार भी नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने का विचार कर रही है। झारखंड के कई जिलों से अवैध बांग्लादेशियों के भारी प्रवाह की शिकायतों के बाद राज्य ने ये कदम उठाया है। अवैध अप्रवासी राज्य में प्रवेश कर रहे हैं और आदिवासी समुदायों से संबंधित भूमि खरीद रहे हैं। अवैध अप्रवासियों की समस्या पाकुर, झमटारा, साहेबगंज और गोदादा जैसे जिलों में अधिक संख्या में हैं।
बीजेपी के केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजजू ने ये स्पष्ट कर दिया है कि रोहिंग्या को भारत में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, “रोहिंग्या अवैध निवासी हैं और इसलिए भारत में उनके रहने का कोई सवाल नहीं है।“ अवैध अप्रवासन को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वो इस मुद्दे को हल करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी।