भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ को रविवार को आइसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया। राहुल द्रविड़ के साथ ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग और इंग्लैंड की क्लेयर टेलर को को एलीट क्रिकेटरों के क्लब में शामिल किया गया। इन तीनों को रविवार की रात आयरलैंड के डबलिन में आयोजित समारोह में एलिट क्लब में शामिल किया गया। अनिल कुंबले को 2015 में इस क्लब में शामिल किये जाने के दो साल बाद राहुल द्रविड़ को आईसीसी के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया है। बिशन सिंह बेदी, सुनील गावस्कर, कपिल देव और अनिल कुंबले अन्य भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्हें पहले इस प्रतिष्ठित क्लब में शामिल किया गया था। संयोग से, आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले भारतीय क्रिकेटरों की सूची में सचिन तेंदुलकर को शामिल नहीं किया गया है। इसके पीछे का कारण आइसीसी के नियम हैं जो कहता है कि हॉल ऑफ फेम सूची में चुने जाने के लिए जरूरी है कि खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट छोड़े हुए पांच साल हो गए हों। ये प्रतिष्ठित हॉल ऑफ फेम क्रिकेट की लंबे और विस्तारित इतिहास में महान क्रिकेटरों के उनकी खेल उपलब्धियों के लिए सम्मानित करता है। क्लब में द्रविड़ को शामिल किया जाना क्रिकेट जगत और भारतीय क्रिकेट में ‘द वॉल ‘ के रूप में उनके कठिन परिश्रम की पहचान है।
आइसीसी के सीईओ डेविड रिचर्डसन ने समारोह में इस अवार्ड और इसके महत्व के बारे में बताया। आइसीसी के सीईओ ने कहा, “आइसीसी हॉल ऑफ फेम हमारा खेल के महान खिलाडिय़ों को सम्मानित करने का तरीका है।“ उन्होंने आगे कहा, “दुनिया में केवल सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी ही क्रिकेट में अपने योगदान के लिए पहचाने जाते हैं और मैं राहुल, रिकी और क्लेयर को हॉल ऑफ फेम की क्रिकेट की सूची में जुड़ने के लिए बधाई देता हूं।”
राहुल द्रविड़ इंडिया ए टीम के साथ अपनी प्रतिबद्धताओं के कारण समारोह में मौजूद नहीं थे। उन्होंने इस सम्मान पर अपने स्वीकृति व्यक्त करते हुए कहा, “क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में आईसीसी द्वारा नामित होना मेरे लिए सम्मान की बात है। क्रिकेट के इतिहास में महान पुरुषों की सूची में अपना नाम देखना एक सपने के जैसा है एक खिलाड़ी के तौर पर अपने क्रिकेट करियर में इस तरह की पहचान मिलना किसी भी खिलाड़ी के लिए प्रसन्नता का विषय है।”
राहुल द्रविड़ ने राष्ट्रीय स्तर पर कर्नाटक की टीम की तरफ से लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद 1996 में अपना अंतर्राष्ट्रीय करियर शुरू किया था। उन्होंने अपने करियर में 164 टेस्ट, 344 एकदिवसीय मैच खेले हैं। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने कुल 13,288 रन और एकदिवसीय में 10,889 रन बनाये हैं। आश्चर्यजनक रूप से टेस्ट क्रिकेट में उनकी औसतन बल्लेबाजी 52.31 प्रतिशत रही है जो उनके खेल के तरीकों को स्पष्ट बताता है। क्रिकेट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत के बाद उन्होंने भारतीय बल्लेबाजों के लिए एंकरिंग भी की है। समय के साथ उनके नाम सबसे ज्यादा गेंदों का सामना करने और क्रीज पर सबसे ज्यादा समय 44,152 मिनट तक टिके रहने का रिकॉर्ड है जो टेस्ट क्रिकेट में किसी भी बल्लेबाज के लिए सबसे ज्यादा है। उनके नाम सभी टेस्ट खेलने वाले राष्ट्र के विरुद्ध शतक बनाने का रिकॉर्ड है।
पद्मश्री और पद्म भूषण पुरस्कार विजेता को खेल में उनके योगदान के लिए कई बार भारत और विदेश दोनों में सम्मानित किया गया है। 1998 में अर्जुन अवार्ड, 2000 में विसडेन क्रिकेटर की उपाधि से लेकर 2006 में आईसीसी की टेस्ट टीम के कप्तान का ताज पहनने और ग्लेन मैक ग्रथ के साथ 2012 में डॉन ब्रैडमैन का अवार्ड साझा करने तक द्रविड़ के पास उनकी उपलब्धियों के लिए सबकुछ दिया गया था। उन्हें 2015 में ‘विसडेन हाईएस्ट इम्पैक्ट टेस्ट बैट्समैन ऑफ ऑल टाइम्स’ से सम्मानित किया गया था और 2011 में डॉन ब्रैडमैन ओरेशन में भाषण देने के लिए आमंत्रित होने वाला एकमात्र गैर-ऑस्ट्रेलियाई थे। क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद भी खेल जगत में उनका योगदान जारी रहा। उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्षणों में से एक था वो क्षण जब उनके कोच रहते हुए भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता था। द्रविड़ इंडिया ए टीम के भी कोच हैं और वो देश के लिए भविष्य के क्रिकेटरों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। द्रविड़ के करियर में उन्हें मिली उपलब्धियों पर एक महान क्रिकेट कमेंटेटर ने कहा था कि, “जब हम अपने पेशे से सेवानिवृत हो तब हमें भी अपने पेशे में राहुल द्रविड़ की तरह ही प्रतिष्ठा मिले।”