राहुल गांधी का भाषण: असत्य, आधारहीन, अशोभनीय और अनुचित

राहुल गांधी अविश्वास प्रस्ताव

आज मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस हुई इस दौरान अपने भाषण से राहुल गांधी एक बार फिर से हंसी का पात्र बन गये। जिस लहजे में उन्होंने भाषण दिया और जिन शब्दों का उन्होंने उपयोग किया वो एक जिम्मेदार सांसद को शोभा नहीं देता है। हालांकि, उन्होंने इस बार पूरी कोशिश की वो मुद्दों को झूठे दावों के साथ सही तरीके से पेश कर सकें। बीजेपी सांसद राकेश सिंह के बाद जब उनका संसद में बोलने का नंबर आया और वो बोलने के लिए खड़े हुए उस दौरान भी वो काफी सहमे हुए नजर आ रहे थे और जिस तरह से वो अपने दावों को सच की तरह पेश करने की कोशिश कर रहे थे उस दौरान उनके शारीरिक व्यवहार और बोल-चाल से ऐसा लग रहा था कि उन्हें भी अपने झूठे दावों की हकीकत पता है।

राहुल गांधी ने एक बार फिर से अपने भाषण से अपना ही मजाक बना लिया उन्होंने जब कहा कि ‘मोदी जी बार में जाते हैं’, तब संसद में मौजूद सभी लोग हंसने लगे थे तो उन्होंने कहा कि मोदी जी बाहर जातें है मेरा मतलब है कि मोदी जी अधिकतर देश के बाहर की यात्रा पर होते हैं। भले ही राहुल ने अपनी भाषा में बाद में सुधार किया लेकिन देश के प्रधानमंत्री के लिए ‘बार’ जैसे शब्द का इस्तेमाल करना उन्हें शोभा नहीं देता है। मोदी जी विदेश यात्रा पर अन्य देशों के साथ विकास के मुद्दे पर चर्चा करने और वैश्विक मामलों में भारत की भागीदारी को बढ़ावा देने और देश की छवि को वैश्विक स्तर पर ऊँचा उठाने के लिए जाते हैं। राहुल गांधी की तरह वो विदेश छुट्टियाँ मनाने नहीं जाते हैं।

राहुल गांधी यहीं नहीं रुके उन्होंने अपने भाषण में एक से एक दावे किये और उन दावों में कितनी सच्चाई थी वो हमने आपको अपने पिछले आर्टिकल में बताया है। राहुल गांधी ने रोजगार, राफेल घोटाला, अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी के टर्नओवर जैसे कई बड़े मुद्दों को उठाया लेकिन इन सभी मुद्दों पर उनके दावे आधारहीन थे। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने राहुल गांधी से कहा भी कि “बहस में सीधे आरोप न लगाएं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन सूबत होने चाहिए।” लेकिन फिर भी राहुल गांधी एक लापरवाह नेता कि तरह ही व्यवहार करते हुए नजर आये।

राहुल गांधी ने अपने भाषण में ये भी कहा कि पीएम मोदी उनकी “आँख से आँख डाल नहीं सकते हैं” लेकिन पीएम मोदी उनकी आँखों में आँख कैसे डालेंगे ये समझ के परे है। हालांकि, पीएम मोदी उन्हें देख भी रहे थे और उनकी बातों पर हंस भी रहे थे। यही नहीं संसद में वो खुलेआम मोदी और शाह को धमकी देते हुए भी नजर आये।

राहुल गांधी शुरू से ही अपने भाषण में मोदी सरकार पर एक के बाद एक हमले कर रहे थे लेकिन इस दौरान उन्होंने एक संसदीय गरिमा को भंग किया उनका व्यवहार अनौपचारिक था। अपने भाषण में राहुल गांधी ने पहले तो पीएम मोदी पर हमले किये और फिर अंत में ये भी कहा कि, “मैं बाकि सभी के लिए पप्पू हो सकता हूं लेकिन मैं सभी का सम्मान करता हूं”, ये कहने बाद वो पीएम मोदी के पास गए और उन्हें गले लगा लिया। इसके बाद उन्होंने इतराते हुए पीएम मोदी को आंख भी मारी जोकि अभद्रता थी और संसदीय व्यवहार के दायरे के बाहर था। 2019 में होने वाले आम चुनावों के लिए पीएम पद के उम्मीदवार का ये व्यवहार स्पष्ट दर्शाता है कि वो एक नेता के रूप में कितने सफल होने वाले हैं और किस तरह से जिम्मेदारियों का निर्वाह करने वाले हैं। वो संसद में अपनी जिम्मेदारी का सही तरह से निर्वाह कर पाने में भी असफल साबित हुए हैं।

वहीं, पीएम मोदी से गले मिलने पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए कहा– ”…ये मुन्ना भाई का पप्पी-झप्पी एरिया नहीं है..।” अब ये बात राहुल को कहाँ समझ आती है कि संसद में क्या बोलना उचित है और किस तरह से बोलना चाहिए। फिर भी अपने भाषण से उन्होंने संसद के अन्य सदस्यों का खूब मनोरंजन किया और वो एक नेता के तौर पर अपनी जिम्मेदारी भले ही पार्टी की को एक के बाद एक हार दिलकार निभा रहे हों लेकिन अपने शब्दों से मनोरंजन वो बहुत ही बढ़िया करते हैं।

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