शेखर गुप्ता का फेक एजेंडा एक बार फिर से आया सामने, सेना को लेकर प्रकाशित की फेक न्यूज

शेखर गुप्ता द प्रिंट सेना फेक न्यूज़

शेखर गुप्ता में फेक न्यूज बनाने की क्षमता है और उन्होंने इस बात को एक नहीं बल्कि कई बार साबित भी किया है। वो अक्सर ही फेक न्यूज को बढ़ावा देते हैं और फेक न्यूज के जरिये अपने फोल्लोवेर्स को खुश करने की कोशिश में पीछे नहीं हटते हैं। भारतीय सेना से जुड़े मुद्दे उनके पसंदीदा मुद्दों में से एक है। हाल ही में जाने-माने पत्रकार शेखर गुप्ता ने द प्रिन्ट में भारतीय सेना से जुड़ी एक खबर को प्रकाशित किया था लेकिन उनकी इस खबर की विश्वसनीयता झूठ पर आधारित थी।

द प्रिंट में प्रकाशित एक खबर में ये दावा किया है कि ‘भारतीय सेना ने इसी वर्ष सितंबर में दिल्ली में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की पहली ‘2+2’वार्ता से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सैन्य गोपनीयता संधि पर आपत्ति जताई है क्योंकि उन्हें अमेरिका पाकिस्तान के साथ डेटा को लीक कर सकता है।’ द प्रिंट ने दावा किया है कि ‘प्रस्तावित संचार संगतता और सुरक्षा समझौते के एक आधिकारिक स्त्रोत ने कहा है कि वो अपने कूट संचार से समझौता और पाकिस्तान को सूचनाओं के लीक होने का जोखिम उठा रहे हैं।‘ वहीं, एडीशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इनफार्मेशन ने प्रिंट के इस दावे को ख़ारिज कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के जून 2017 में अमेरिका की यात्रा के दौरान भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता में दोनों पक्षों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता पर सहमती बनी थी। इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंध और अधिक मजबूत करना है। हालांकि, दोनों देश कई बार तारीखों पर विचार कर वार्ता का कार्यक्रम तय करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन कुछ ज़रूरी कारणों की वजह से ये वार्ता हर बार स्थगित कर दी जाती है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक अब भारत और अमेरिका के बीच ये वार्ता 6 सितंबर को होगी और ‘2+2’ वार्ता में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस वार्ता से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बढ़ाने को लेकर दोनों देशों के बीच रणनीतिक विचार-विमर्श को आगे बढ़ाया जायेगा। इसके अलावा इस वार्ता के दौरान अमेरिका और भारत के बीच व्यापक खुफिया जानकारी-साझाकरण समझौता हो सकता है क्योंकि दोनों ही देशों ने अपने आतंकवाद विरोधी सहयोग को हर स्तर पर बढ़ावा दिया है। जाहिर है इस समझौते से आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में और मजबूती मिलेगी।

द प्रिंट में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि भारतीय सेना को भारत-अमेरिका सैन्य गोपनीयता संधि पर आपत्ति है क्योंकि उन्हें डर है कि अमेरिका इस जानकारी को पाकिस्तान को लीक कर सकता है और इसे लेकर भारतीय सेना ने सरकार से एक नोट के जरिये ये पूछा है कि क्या संचार संगतता और सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करना बुद्धिमानी होगी। वहीं, प्रिंट के इस दावे को एडीशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इनफार्मेशन ने ख़ारिज करते हुए आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, भारतीय सेना को लेकर पेश किये गये तथ्य पूरी तरह से गलत है, भारतीय सेना ने इस तरह का कोई नोट सरकार को नहीं भेजा है।

एडीशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इनफार्मेशन का स्पष्टीकरण यही दर्शाता है कि शेखर गुप्ता फेक न्यूज को बढ़ावा देते हैं। शेखर गुप्ता द्वारा ऐसा किया जाना एक बार फिर से उनके फेक न्यूज को बढ़ावा देने को उजागर करता है और शायद यही वजह रही होगी जब केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज को लेकर गाइडलाइन जारी किया था तब शेखर गुप्ता ने इसकी आलोचना की थी। इस गाइडलाइन में फेक न्यूज साबित होने पर पत्रकारों की मान्यता हमेशा के लिए रद्द करने का प्रावधान था। पहली बार फेक न्यूज के प्रकाशन अथवा प्रसारण की पुष्टि होने पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों की मान्यता 6  महीने के लिए रद्द की जाती वहीं, दूसरी बार पर ऐसा होने पर पत्रकार की मान्यता एक साल के लिए व तीसरी बार उल्लंघन करने पर पत्रकार (महिला/ पुरूष) की मान्यता स्थायी रूप से हमेशा के लिए रद्द करने का प्रावधान था। इस गाइडलाइन पर वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने कहा था, ”ऐसी गलती न करें। यह मुख्यधारा की मीडिया पर हमला है।“ शेखर गुप्ता को डर था कि इस गाइडलाइन के जारी हो जाने के बाद उनका फेक न्यूज का व्यापार बंद हो जायेगा।

वैसे भी शेखर गुप्ता के लिए फेक न्यूज प्रकाशित करना कोई नई बात नहीं है लेकिन उनके द्वारा भारतीय सेना को लेकर इस तरह की झूठी खबरों को बढ़ावा देना सही नहीं है उन्हें इस मुद्दे को अपने एजेंडे से दूर रखना चाहिए।

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