बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते हैं और गलत कार्यों में लिप्त किसी भी व्यक्ति, ग्रुप या संस्था को किसी हाल में नहीं छोड़ते हैं। ये भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा न सिर्फ वित्तीय दुरूपयोग में शामिल लोगों को बल्कि जो उनकी छवि को गंदा करने या उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं उसके साथ कानूनी प्रक्रिया से निपटते हैं। इस बार ये टाइम्स ग्रुप था जिसने बड़ी गलती की और सुब्रमण्यम स्वामी के हाथों उसे सबक भी मिल गया।
ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब ‘इंडिया टाइम्स‘ ने एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें ये दावा किया था कि बीजेपी नेता और कानूनी कार्यकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि राफेल डील भ्रष्ट है और वो मोदी सरकार के खिलाफ अदालत में जायेंगे। अपने इस लेख में ‘इंडिया टाइम्स‘ ने पीटीआई को भी उद्धृत किया था और कहा था कि स्वामी ने पीटीआई के हवाले से कहा था कि कोई भी इन विमानों को नहीं खरीदेगा और यदि भारत विमानों को नहीं खरीदता है, तो विमानन कंपनी दसॉल्ट बंद हो जाएगी।
: Yes and then our Govt scrapped the 126 plane Rafael deal of TDK which was my demand. Later Parrikar began new negotiation for 36 planes.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 30, 2018
इसके बाद ये पाया गया कि, ये बयान काफी पुराना है। वर्ष 2015 में स्वामी ने कहा था कि वो राफेल डील के खिलाफ कोर्ट जायेंगे। उस समय, यूपीए के शासन में हुए राफेल डील के तहत 126 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे को लेकर असमंजस की स्थिति थी कि इसे अंतिम रूप दिया जाए या नहीं। स्वामी इसी सौदे के खिलाफ थे जिनका मानना था कि डील में धांधली हुई है और उनकी टिप्पणी भी इसी डील को लेकर थी। हालांकि, बाद में इस डील को मोदी सरकार द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था और कम लागत पर 36 राफेल विमानों के लिए एक नया सौदा किया गया। ‘इंडिया टाइम्स’ ने इस पूरी कहानी को तोड़-मोड़ कर पेश किया और अपने पाठकों को गुमराह करने की कोशिश की कि स्वामी राफेल डील के खिलाफ हैं। टाइम्स ग्रुप का ये दावा करना कि स्वामी ने चेतावनी दी है कि वो वर्तमान के राफेल डील के लिए मोदी सरकार को कोर्ट तक लेकर जायेंगे आधारहीन था इसकी पुष्टि खुद स्वामी ने की है।
स्वामी से जुड़े सभी दावे झूठे और बनावटी थे और संदिग्ध रूप से इस अवसर को देख कांग्रेस ने भी राफेल डील को लेकर झूठ फैलाने की कोशिश में जुट गयी और डील में अनियमितता होने के दावे करने लगी। टाइम्स ग्रुप के इस झूठे लेख पर संज्ञान लेते हुए स्वामी ने ट्वीट करके फेक न्यूज़ के दावों का खंडन किया और स्पष्ट किया कि वो इस तरह की गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे। स्वामी ने इस मामले में पीटीआई के खिलाफ भी एक करोड़ रुपये का मानहानि का केस करेंगे। हालांकि, विवाद को देख पीटीआई ने तुरंत ही अपने कदम पीछे खींच लिए और स्पष्ट किया कि खबर में उद्धृत किया गया बयान डॉ सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा जारी नहीं किया गया था।
Some India Times is quoting me that I said today the Rafaela’s deal is “corrupt” and that I will go to court against it. Rubbish. It is totally fake news probably put out by paid India Times
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 29, 2018
: The paid India Times is claiming PTI has put out the story. That is even more shocking since I have talked to no one from PTI for a long time. So ₹ 1 crore defamation suit coming against PTI.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 29, 2018
PTI has not issued any story quoting Dr Subramanian Swamy @Swamy39
— Press Trust of India (@PTI_News) July 29, 2018
टाइम्स ग्रुप को समझ आ गया कि उसे अब स्वामी के हाथों मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और इसलिए बिना कोई देरी किये अपने लेख को हटा दिया। अपने लेख के लिए टाइम्स ग्रुप ने तुरन्त स्वामी से माफ़ी भी मांग ली। हालांकि, स्वामी की मनोदशा माफ़ करने की नहीं थी और उन्होंने माफ़ी को खारिज कर दिया । उन्होंने राफेल डील को लेकर तीन वर्ष पुरानी खबर को छापने के लिए टाइम्स ग्रुप से जिम्मेदार रिपोर्टर/ कोरेस्पोंडेंट/ एडिटर को बर्खास्त करने की मांग की। स्वामी ने ये भी स्पष्ट किया कि वो कानूनी कार्रवाई शुरू करने जा रहे थे और इसके लिए वो जल्द ही कानूनी प्रक्रिया के लिए तैयारी भी कर रहे थे।
: Times Group must sack the reporter/ correspondent/ editor responsible for lifting a 3 year old statement on another Rafael deal and pass it off as current on the present Rafael deal of three years later
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 30, 2018
I have called a meeting of my legal eagles today to decide further action against TOI group
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 30, 2018
हालांकि, टाइम्स ग्रुप ने तब राहत की सांस ली जब स्वामी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए इस मामले को गंभीरता से न लेकर आखिरकार माफी को स्वीकार कर लिया। हालांकि, इस घटना से मुख्यधारा की मीडिया को ये सीख जरुर मिल गयी है कि अगर वो फेक न्यूज़, या खबरों के तथ्यों को तोड़-मोड़ कर पेश करते हैं तो आने वाले दिनों में उन्हें इसके भारी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
My legal eagle team did a cost benefit analysis of giving my time for prosecuting the TOI. The conclusion was that after the abject surrender and graceless apology given by TOI, in the national interest it is not worth my time to go to court and spend my time prosecuting TOI.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 30, 2018