मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर एबीपी न्यूज सी-वोटर ने अपने सर्वे के नतीजे जारी किये हैं। सोमवार को जारी एबीपी न्यूज सी-वोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक तीनों ही राज्यों में बीजेपी की हार हो सकती है। सर्वे के नतीजे दिलचस्प इसलिए भी हैं क्योंकि इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और यहां राहुल गांधी की तुलना में पीएम मोदी की लोकप्रियता ज्यादा है। ऐसे में सर्वे के नतीजे ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
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#ABPOpinionPoll – Seat projection shows Congress decimating BJP in Rajasthan. https://t.co/DklVA2kRqn pic.twitter.com/sGCIWLSOKH
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#ABPOpinionPoll – Madhya Pradesh: Congress ahead of BJP in terms of seats as well. LIVE Coverage: https://t.co/DklVA2kRqn pic.twitter.com/1ukjeU6HfZ
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इस सर्वे के मुताबिक, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी लहर से नतीजे बीजेपी के पक्ष में भी हो सकते हैं क्योंकि मोदी अभी भी मतदाताओं के लोकप्रिय बने हुए हैं।
सोचने वाली बात है कि क्या कारण हो सकता है इन राज्यों में बीजेपी की हार होने के पीछे जबकि इन तीनों राज्यों में दो राज्य ऐसे हैं जिन्हें बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इसके पीछे का कारण क्या हो सकता है?
हाल ही में एबीपी न्यूज़ काफी चर्चा में था क्योंकि चैनल के प्रबंधन ने अपने तीन बड़े पत्रकारों को चैनल से बाहर का रास्ता दिखाया था तब चैनल की छवि पर गहरा असर पड़ा था। चैनल पर पत्रकारिता की स्वतंत्रता को लेकर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था साथ ही उसपर निष्पक्ष पत्रकारिता न करने के आरोप भी लगे थे। ऐसे में ये हो सकता है कि एबीपी न्यूज़ इस सर्वे के जरिये अपनी छवि को हुए नुकसान को सुधारना चाहता है और इससे वो स्पष्ट करना चाहता हो कि वो निष्पक्ष पत्रकारिता करता है।
हाल ही एबीपी न्यूज़ के तीन वरिष्ठ पत्रकार (अभिसार शर्मा, मिलिंद खांडेकर और पुण्य प्रसून जोशी) चैनल से निकाल दिया गया। खबरों की मानें तो ये पत्रकार काफी समय से निष्पक्ष पत्रकारिता की जगह राजनीतिक पार्टियों के एजेंडा को आगे बढ़ा रहे थे जो जनता को पसंद नहीं आ रहा था जिसके बाद चैनल के प्रबंधन ने उन्हें चैनल से निकालने का निर्णय लिया। वहीं, वामपंथी और उदारवादी ब्रिगेड ने इसकी आलोचना शुरू कर दी और पत्रकारों को चैनल से निकाले जाने के पीछे की वजह मोदी-विरोधी सुर को बताया था। उन्होंने इसे मीडिया के लिए ‘अघोषित इमरजेंसी’ तक कहा। तीनों पत्रकारों को एबीपी न्यूज़ से बाहर निकाले जाने को लेकर कहा जाने लगा कि फिर से प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला जा रहा है क्योंकि वो सरकार के खिलाफ खबरें दिखाते हैं। जबकि हकीकत कुछ और थी इन पत्रकारों की वजह से चैनल की टीआरपी में लगातार गिरावट आ रही थी जिससे नंबर दो पर रहने वाला चैनल आज नंबर 4 पर आ गया है।
वामपंथी और उदारवादियों ने पत्रकारों को निकाले जाने को ‘अघोषित इमरजेंसी’ बताकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की। ऐसे में शायद अब एबीपी न्यूज़ इस सर्वे के द्वारा अपनी विश्वसनीयता को फिर से स्थापित कर रहा हो ताकि वो स्पष्ट कर सके कि चैनल निष्पक्ष पत्रकारिता करता है, वो आज भी स्वतंत्र और निडर है, लेकिन क्यों? हम कैसे इसपर यकीन कर लें? ये पहली बार नहीं था जब चैनल ने किसी पत्रकार को बाहर निकला हो। इससे पहले भी चैनल ने ऐसा किया है वो भी सिर्फ चैनल के फायदे और नुकसान को देखते हुए किया है।
आनंद बाजार पत्रिका से एबीपी ग्रुप ने अविक सरकार को भी इसी तरह से बाहर का रास्ता दिखाया था। आनंद बाजार पत्रिका और द टेलीग्राफ ने 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी सरकार की आलोचना की थी। आनंदबाजार पत्रिका एबीपी ग्रुप द्वारा पश्चिम बंगाल में प्रकाशित एक भारतीय बंगाली भाषा दैनिक समाचार पत्र है जबकि द टेलीग्राफ एबीपी ग्रुप द्वारा पश्चिम बंगाल में प्रकाशित एक इंग्लिश भाषा दैनिक समाचार पत्र है। ममता बनर्जी अपनी सरकार के खिलाफ छपने वाली खबरों से नाराज थीं। चुनाव के बात ममता बनर्जी की फिर से सरकार बनी और समाचारपत्र ने आनंदबाजार पत्रिका के मालिक और एडिटर-इन-चीफ, अविक सरकार को हटा दिया और ममता सरकार को खुश करने के लिए अपने भाई अरुप सरकार को पत्रिका की कमान दे दी। सरकार को खुश करना और उसकी आलोचना करना एबीपी न्यूज़ की पुरानी नीति रही है।
अब एबीपी न्यूज सी-वोटर के सर्वे पर आते हैं जिसके मुताबिक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को झटका लग सकता है। चाहे मध्य प्रदेश हो या छत्तीसगढ़ यहां के दोनों ही मुख्यमंत्री अपने बेहतर काम की वजह से अपने राज्यों में काफी लोकप्रिय हैं। शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश को बीमारू स्थिति से बाहर निकाला जिसके परिणामस्वरुप राज्य के शहर 2018 के स्वच्छ सर्वेक्षण में देश के सबसे साफ-सुथरे शहरों में पहला और दूसरा दोनों ही स्थानों पर कब्ज़ा किया। मध्य प्रदेश का कृषि विकास दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रहा है। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में वर्ष 2013-14 में मध्य प्रदेश ने कृषि विकास दर का नया इतिहास रचा था। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2013-14 के अग्रिम अनुमान के अनुसार मध्यप्रदेश में कृषि विकास दर 24.99 प्रतिशत था। वर्ष 2016-17 में मध्य प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर 12 प्रतिशत से अधिक और कृषि विकास दर 25 प्रतिशत से अधिक रहने की भी बता कही गयी थी। रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में विकास तेजी से हुआ नक्सलवाद कम हुआ, कृषि व्यवस्था में नए बदलाव से किसानों को लाभ मिल रहा है, यहां तक कि आम जनता भी रमन सिंह के नेतृत्व से संतुष्ट है। छत्तीसगढ़ में कृषि विकास दर राष्ट्रीय कृषि विकास दर की तुलना में अधिक है। कृषि के क्षेत्र में प्रतिष्ठित पुरस्कार कृषि कर्मण पुरस्कार से छत्तीसगढ़ को नवाजा गया है। दोनों ही नेता राज्य के विकास के लिए काम करते रहे हैं और यही वजह है कि राज्य की जनता उन्हें एक दशक से अधिक समय तक राज्य पर शासन करने का अवसर दिया।
ऐसे में इन दोनों राज्यों में चुनाव को लेकर एबीपी न्यूज सी-वोटर के सर्वे के विपरीत बीजेपी की जीत होगी। हालांकि, इसमें कोई शक नहीं है कि राजस्थान में बीजेपी की स्थिति मजबूत नहीं है लेकिन बहुत कमजोर भी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति कमजोर है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राहुल गांधी के पसंदीदा सचिन पायलट को राज्य से निराशा ही मिलने वाली है। वहीं, दूसरी तरफ वसुंधरा राजे सरकार ने राज्य में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और योजनाओं पर काम किया और किसानों का कर्ज माफ़ किया है।
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि एबीपी न्यूज सी-वोटर का सर्वे सिर्फ अपने ऊपर लगे आरोपों के लिए स्पष्टीकरण है जो इस कदम से अपनी खबरों की निष्पक्षता को दर्शाने का प्रयास कर रहा है।