पंजाब के कैबिनेट मंत्री और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह से स्वदेश लौट आये हैं। पाकिस्तानी दौरे के दौरान पाकिस्तानी जनरल कमर जावेद बाजवा से गर्मजोशी से गले मिलने और समारोह के दौरान पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के राष्ट्रपति मसूद के बगल में बैठने पर देश में उनकी खूब आलोचना हो रही है। ये जायज भी है जिस समय देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन से शोक में डूबा था तब वो देश के दुश्मन के घर जाकर उनके नए प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण के समारोह के जश्न में शामिल थे। उनके इस रुख से पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी खासा नाराज हैं और उन्होंने सिद्धू के पाकिस्तान दौरे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सिद्धू पंजाब के कैबिनेट मंत्री हैं इसके बावजूद पंजाब की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्री के पाकिस्तान जाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी जनरल को गले लगाकर सिद्धू ने ठीक नहीं किया।” इससे स्पष्ट है कि खुद को ‘सद्भावना राजदूत’ बताकर पाकिस्तान जाने के सिद्धू के कदम से पंजाब के मुख्यमंत्री खुश नहीं है। अमरिंदर सिंह ने ये भी कहा, “सीमा पर रोजाना हमारे जवान शहीद हो रहे हैं इसके बावजूद पाकिस्तान के आर्मी चीफ को गले लगाया, मैं इसके खिलाफ हूं, उन्हें समझना चाहिए कि हमारे जवान मारे जा रहे हैं।” उन्होंने ये भी उल्लेख किया कि कुछ दिनों पहले ही उनकी खुद की रेजीमेंट ने एक मेजर और दो जवान खोए हैं और हर रोज कोई न कोई जवान शहीद हो रहा है। उन्होंने कहा कि, “गोली चलाने वाले पाकिस्तानी सैनिक तो सिर्फ आदेश का पालन करते हैं लेकिन इस तरह के आदेश जनरल बाजवा जैसे लोगों की तरफ से ही दिए जाते हैं।“ अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू के पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के राष्ट्रपति मसूद के बगल में बैठने पर कहा कि, “हो सकता है सिद्धू ने उन्हें न पहचाना हो लेकिन सिद्धू ये नहीं कह सकते कि वो पाकिस्तानी जनरल को नहीं पहचान पाए क्योंकि जनरल की वर्दी पर उनका नाम लिखा होता है।“ इससे स्पष्ट है कि सिद्धू का पाकिस्तान जाना और वहां उनका व्यवहार किसी को भी रास नहीं आया। उनकी हर ओर से आलोचना हो रही है। यहां तक कि उनकी पार्टी भी उनके इस रवैये से नाराज है। पंजाब के सीएम ने ये भी स्पष्ट किया कि भविष्य में सिद्धू का इस तरह का निंदनीय और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार स्वीकार नहीं किया जायेगा।
ये पहली बार नहीं है जब पंजाब के सीएम ने प्रो-राष्ट्र को ज्यादा अहमियत दी हो। कांग्रेस और पार्टी के विपरीत उन्होंने अक्सर ही देश हित को सबसे ऊपर रखा है। इससे पहले उन्होंने खालिस्तान और जनमत संग्रह की मांग का भी विरोध किया था और आज भी वो खालिस्तान की मांग के खिलाफ हैं। हाल ही में लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में रविवार (12 अगस्त) को भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक के पक्ष में रैली निकाली और भारत विरोधी नारे भी लगाये थे। इस रैली के विरोध में ‘2020 के जनमत संग्रह के लिए लंदन घोषणापत्र’ के जवाब में ब्रिटेन में रह रहे भारत के सिख और हिंदू बड़ी संख्या में एकजुट हुए और ‘खालिस्तान समर्थक’ रैली का जमकर विरोध किया जिससे खालिस्तान की मांग करने वालों को मुंह की खानी पड़ी थी। अमरिंदर सिंह ने कहा था, कि पंजाब में कोई भी‘जनमत संग्रह 2020’ नहीं चाहता है ये ब्रिटेन स्थित एक संगठन का अभियान है। इस आन्दोलन का असर मैं पंजाब पर नहीं पड़ने दूंगा। पंजाब भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा। उन्होंने कहा था “यदि कोई भी मेरे देश और मेरे राज्य की शांति भंग करने की कोशिश करेगा तो वो गलत है क्योंकि मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।” पिछले वर्ष उन्होंने वामपंथी-उदारवादियों की आलोचनाओं की परवाह न करते हुए मेजर गोगोई को सम्मानित किए जाने का जोरदार स्वागत किया था और कहा था कि मेजर गोगोई इस सम्मान के हकदार हैं।
पंजाब के सीएम ने राजनीति के अन्य नेताओं के विपरीत राजनीति का एक अलग ही स्तर स्थापित किया है। उन्होंने अपने और पार्टी के हित से पहले देश और राज्य के हित को सबसे ऊपर रखा है। हमेशा से कांग्रेस में जिस तरह की परंपराओं को निभाया जाता रहा है उसके विपरीत अमरिंदर सिंह ने एक अलग ही उदाहरण स्थापित किया है जो उन्हें अन्य कांग्रेस के नेताओं से कहीं अलग बनाता है।
सिद्धू को पाकिस्तान में अपने व्यवहार के लिए सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगनी चाहिए। ये बहुत ही शर्मनाक बात है कि उन्होंने पाकिस्तान जाकर एक ऐसे व्यक्ति को गले लगाया जिसकी वजह से भारत के के कई जवान शहीद हो गये। ये और भी दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने देश में अटल जी के निधन पर शोक के माहौल में देश के दुश्मन की खुशियों में शरीक हुए।