राफेल डील: अनिल अंबानी ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं को भेजा लीगल नोटिस

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ऐसा लगता है कि कांग्रेस का समय ठीक नहीं चल रहा है। इस पार्टी की झूठ की राजनीति अब इसी पर भारी पड़ने लगी है। जिस तरह से देश की ये पुरानी पार्टी ‘राफेल डील’ को देश का सबसे बड़ा ‘घोटाला’ साबित करने की कोशिश में जुटी है अब उनकी इस कोशिश को अनिल अंबानी ने तगड़ा झटका दिया है। अंबानी ने अल्टीमेटम दिया है कि राफेल डील पर जिम्मेदार तरीके से पेश आयें वरना लीगल लड़ाई के लिए तैयार रहे। इस संबंध में अनिल अंबानी ने कांग्रेस पार्टी को लीगल नोटिस भी भेज दिया है।

रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस डिफेंस और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर द्वारा भेजे गये इस नोटिस में कांग्रेस प्रवक्ता जैइवर शेरगिल को संबोधित करते हुए कहा गया है कि बिना किसी तथ्य के कोई आरोप न लगायें। नोटिस में लिखा है कि, “ अपने राजनीतिक फायदे के लिए आप फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर आप किसी पर भी गलत, तथ्यहीन तरीके से आरोप नहीं लगा सकते हैं।“

गौरतलब है कि, कांग्रेस पार्टी काफी समय से राफेल डील को लेकर वर्तमान सरकार पर निशाना साध रही है साथ ही उद्योगपति को फायदा पहुंचाने की बात कह रही है जिससे रिलायंस कंपनी खासा नाराज है क्योंकि इस तरह के तथ्यहीन आरोपों की वजह से कंपनी की छवि पर बुरा असर पड़ रहा है। इस नोटिस में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, अशोक चव्हाण, संजय निरुपम, अनुग्रह नारायण सिंह, ओमान चांडी, शक्तिसिंह गोहिल, अभिषेक मनु सिंघवी, सुनील झाकड़ और प्रियंका चतुर्वेदी पर इस मुद्दे को लेकर ‘गलत बयानबाजी करने के आरोप लगाये हैं।

नोटिस में ये भी आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक फायदे के लिए कांग्रेस के नेता एक तरह से ‘कैंपेन’ चला रहे हैं बयानबाजी कर रहे हैं जिस कारण हमारे परिवार, कंपनी के ब्रांड और कारोबारी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

ये पहली बार नहीं है जब रिलायंस ग्रुप ने इस तरह की कड़ी चेतावनी दी हो इससे पहले भी रिलायंस ग्रुप चेतावनी दे चुका है। जब राफेल डील को लेकर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाया था तब भी निर्मला सीतारमण ने सदन में राफेल डील पर स्पष्टीकरण दिया था और साक्ष्य भी पेश किया था। इसके अलावा खुद फ्रांस ने भी इस विवाद पर स्पष्टीकरण दिया था। लीगल नोटिस से पहले अनिल अंबानी ने पिछले साल दिसंबर में राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि, “राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस पार्टी को दुर्भावनापूर्ण निहित स्वार्थों और कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वियों द्वारा जो जानकारी मिली है वो पूरी तरह से गलत है और तथ्यों को लेकर गुमराह किया जा रहा है।“ इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में कंपनी को हजारों करोड़ का फायदा होने की बात को पूरी तरह काल्पनिक बताया था साथ ही ये भी कहा था कि, “भारत सरकार ने राफेल के जो 36 युद्धक विमान खरीदने का फैसला किया है वे पूरी तरीके से फ्रांस में ही निर्मित होंगे और इनमें लगने वाला एक भी पुर्जा उनकी कंपनी नहीं बनाएगी।” कंपनी द्वारा स्पष्टीकरण देने के बावजूद बार-बार कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया है और हर बार पार्टी के आरोप तथ्यहीन और झूठे साबित हुए हैं लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर अड़ी है।

हालांकि, सिर्फ इसलिए क्योंकि ये मुद्दा पीएम मोदी से जुड़ा है कांग्रेस बार-बार रिलायंस ग्रुप को इसमें घसीट रही है और यही वजह है कि रिलायंस ग्रुप कांग्रेस पार्टी के नेताओं को लीगल नोटिस भेजने के लिए मजबूर हुआ है। हम उद्यमशीलता और कॉर्पोरेट दुनिया के प्रति कांग्रेस की प्रवृति को भलीभांति जानते और समझते हैं लेकिन अपनी इस नकारात्मक प्रवृति में कांग्रेस को जल्द ही सुधार लाने की जरूरत है। हालांकि, रिलायंस ग्रुप द्वारा क़ानूनी नोटिस भेजे जाने के बावजूद कांग्रेस के रवैये को देखकर तो यही लगता है कि कांग्रेस को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

यहां तक कि सुनील सिंह जाखड़ ने भी इस नोटिस को ‘पेपर प्लेन’ कहकर इसका मजाक उड़ाया। यदि ऐसा है तो तब क्या होगा जब वास्तव में पार्टी के खिलाफ रिलायंस ग्रुप कोई क़ानूनी कार्रवाई करेगा। क्या कांग्रेस एक और हार का सामना करने के लिए तैयार है या फिर वो भी अरविंद केजरीवाल की तरह बाद में चलकर क्षमापत्र लिखकर भेजेंगे? ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

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