पूर्व पत्रकार आशुतोष कुमार जिन्होंने कुछ हफ्ते पहले ही अचानक आम आदमी पार्टी को अपना इस्तीफा देकर पार्टी को बड़ा झटका दिया था, अब उन्होंने केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को एक और झटका दिया है। उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व पर जातिवाद की राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया है। आशुतोष ने अभी तक अपने इस्तीफे पर चुपी साधी हुई थी और इस्तीफा देते समय भी उन्होंने कहा था वो ‘निजी कारणों’ की वजह से पार्टी छोड़ रहे हैं लेकिन अब उन्होंने इस्तीफे के पीछे के कारणों को खुलकर समाने रखा है और कहा है कि उन्होंने पार्टी में चल रही जातिवाद की राजनीति की वजह से पार्टी का दामन छोड़ दिया था। हालांकि, उस समय की रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रहा था कि इस साल के शुरुआत से ही आशुतोष राज्यसभा नहीं भेजे जाने की वजह से पार्टी से नाराज़ चल रहे थे। केजरीवाल ने फैसला लेते हुए आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को राज्यसभा में भेजा था।
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आम आदमी पार्टी पर अपने ताजा हमले में आशुतोष ने दावा किया है कि वर्ष 2014 के आम चुनावों एक दौरान उनपर अपना सरनेम इस्तेमाल करने का दबाव बनाया गया था। आशुतोष ने ट्वीट किया कि, “मेरे पत्रकारिता के 23 वर्षों के करियर में किसी ने मेरी जाति और सरनेम नहीं पूछा। सभी मुझे मेरे नाम से जानते हैं। 2014के लोकसभा चुनाव में जब मुझे आप के कार्यकर्ताओं से मिलवाया गया तो मेरे विरोध के बावजूद मेरे सरनेम का उल्लेख किया। बाद में मुझसे कहा कि सर आप जीतोगे कैसे, आपकी जाति के यहां काफी वोट हैं।” अपने अन्य ट्वीट में आशुतोष कहा, “मेरा ट्वीट टीवी HAWKS द्वारा गलत समझा गया है। मैं अब आप के साथ नहीं हूं, पार्टी अनुशासन से बाध्य नहीं हूं और अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हूं। मेरे शब्दों को आप पर हमले के रूप में कहना गलत होगा। यह मीडिया का हेरफेर है। मुझे छोड़ दो। मैं आप के खिलाफ ब्रिगेड का सदस्य नहीं हूं।” हालांकि, जितना नुकसान होना था पार्टी को वो पहले से ही हो चुका था। आशुतोष के ट्वीट से स्पष्ट है कि कैसे केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी जो दावा करती है कि वो सिर्फ शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित विषयों के इर्द गिर्द रही है, वास्तव में राजनीतिक फायदे के लिए जातिवाद की राजनीति करते हैं। इससे आम आदमी पार्टी का ढोंग सामने आ गया है।
In 23 years of my journalism, no one asked my caste, surname. Was known by my name. But as I was introduced to party workers as LOKSABHA candidate in 2014 my surname was promptly mentioned despite my protest. Later I was told – सर आप जीतोगे कैसे, आपकी जाति के यहाँ काफी वोट हैं ।
— ashutosh (@ashutosh83B) August 29, 2018
My tweet is misunderstood by TV HAWKS. I am no longer with AAP, not constrained by party discipline and free to express my views. It will be wrong to attribute my words as attack on AAP. It will be gross manipulation of media freedom. Spare me. I not member of anti-AAP BRIGADE.
— ashutosh (@ashutosh83B) August 29, 2018
आशुतोष का ये बयान तब आया है जब आम आदमी पार्टी ने पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की प्रभारी आतिशी मार्लेना को अपने नाम से सरनेम ‘मार्लेना’ हटाया है। सरनेम हटाने के पीछे का कारण उनके सरनेम से को विदेशी या ईसाई समझा जा सकता है। ऐसे में आम आदमी ने उन्हें उनका सरनेम बदलने के लिए कह दिया। उन्हें अपने ट्विटर हैंडल और पब्लिसिटी मैटेरियल्स से भी अपना सरनेम हटाने के लिए कहा गया। पूर्वी दिल्ली में ज्यादातर हिंदू हैं और आम आदमी पार्टी के नेता ने मतदाताओं को लुभान के लिए आतिशी मार्लेना को पंजाबी राजपूत वंश का उपयोग करने के लिए कहा है। एक साल पहले ही आतिशी ने अपने परिवार का नाम हटा दिया था लेकिन पार्टी और उसके उम्मीदवार एक बार फिर से इसका उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। आआप जो सेक्युलर पार्टी होने का दावा करती है और अल्पसंख्कों की सुरक्षा की बात करती है वो ऐसे नाम से भी डरता है जिसमें ईसाई नाम की ध्वनि झलकती हो। ये दर्शाता है कि कैसे पार्टी हमेशा से ही जातिवाद और धर्म की गंदी राजनीति में लिप्त रही है। वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2019 तक भी इस पार्टी में कोई बदलाव नहीं आएगा और न कभी आया था क्योंकि धर्म और जाति की राजनीति ही इस पार्टी की हमेशा से पहचान रही है। केजरीवाल जो धर्म और जाति की राजनीति की बजाय शिक्षा और समाज कल्याण जैसे मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ने का उपदेश देते रहे हैं और खुद भी इसका प्रचार करते रहे हैं वास्तव में वो सिर्फ उनका दिखावा है।