‘आम आदमी’ केजरीवाल के ‘पीने’ के शौक हैं बड़े महंगे

केजरीवाल

टाइम्स ग्रुप ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें नवनिर्मित कुमारस्वामी सरकार को लेकर एक खुलासा किया है। इस खुलासे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह के दौरान विपक्ष पर कर्नाटक के करदाताओं का पैसा किस तरह से उड़ाया गया था सामने आया है। कर्नाटक के सीएम के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान संयुक्त विपक्ष की एकता दिखाने हेतु कई बड़े नेता शामिल हुए थे लेकिन उस दौरान उनपर कर्नाटक की सरकार ने कैसे कर्नाटक के करदाताओं का पैसा खर्च किया था उसका ब्यौरा अब जाकर सामने आया है। एक आरटीआई के मुताबिक, जेडीएस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार के समारोह पर कर्नाटक सरकार ने 42 लाख रुपये खर्च किये थे। इस सूची में एक नाम ऐसा है जिसने कर्नाटक के करदाताओं के पैसों का खूब आनंद उठाया वो है दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल। बैंगलोर मिरर के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर सबसे ज्‍यादा 8.7 लाख रुपये का खर्च पर हुआ था। वहीं, खुद को आम जनता का नेता कहने वाले आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल जो सिर्फ एक रात के लिए रुके थे उनके ऊपर 1.85 लाख रुपये खर्च किये गये।

रिपोर्ट के मुताबिक, केजरीवाल ने 23 मई को ताज वेस्ट एंड में सुबह 9:49 बजे चेक इन किया था और 24 मई को सुबह 5:34 बजे चेकआउट किया। केजरीवाल के कर्नाटक आने के दिन से लेकर दिल्ली वापिस जाने तक खाने-पीने में 71,025 रुपये का खर्च आया और उनके बेवरेज पर 5000 रुपये का खर्च आया। सिर्फ एक रात ही रुके और इतने कम समय के लिए अरविंद केजरीवाल का कुल खर्च 1.85 लाख रुपये का आया है। ऐसा कहा जा रहा है कि उन्होंने दो घंटे के नादर में ही सबकुछ आर्डर किया था। ये सोचने वाली बात है कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या खाय और पिया जिससे सिर्फ उनके खाने पीने बिल इतना ज्यादा हो गया?

हालांकि, ये दिल्ली के सीएम के लिए कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी जो वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ थे और एक भ्रष्टाचार विरोधी थे। अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने महंगे भोजन के प्रति अपने प्यार को दिखाया था। इससे पहले सितम्बर 2016 में ये बताया गया था कि सत्ता में आने के 18 महीनों में आम आदमी पार्टी की सरकार एक करोड़ रुपये चाय समोसे पर पहले ही खर्च चुकी थी और इस छोटी अवधि में अकेले केजरीवाल ने 47 लाख रूपए खर्च किये थे। इसके अलावा हाल ही में अप्रैल महीने में आरटीआई  ने अपने जवाब में बताया था कि अरविंद केजरीवाल ने अपने तीन वर्ष के शासन में अकेले ही अपने नाश्ते पर एक करोड़ रुपये (1,03,04,162 रुपये सटीक) खर्च किये थे। पिछले वर्ष आम आदमी पार्टी की सालगिरह पर 11 फरवरी को 50 मेहमानों के लिए लंच के लिए प्रति प्लेट 12000 रुपए और 12 फरवरी को प्रति व्यक्ति लंच की कीमत 16,025 रुपए थी। दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) द्वारा ज्यादा से ज्यादा 80 प्लेटों की व्यवस्था की गई थी।

केजरीवाल का ‘एवोल्यूशन’ बहुत ही तेजी से हो रहा है। भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता, फिर भूख हड़ताल, फिर मुख्यमंत्री और अब महंगे भोजन के लिए उनकी भूख का एवोल्यूशन। केजरीवाल ने कभी बताया नहीं कि उन्होंने करदाताओं/ जनता के पैसे से अपने अंदर ये परिवर्तन कैसे और कब और क्यों कर लिया। हालांकि, ये न्यायिक नहीं होगा अगर इस विलासिता में हम सिर्फ दिल्ली के आम आदमी पर केंद्रित रहें। वास्तव में ये सभी के सामने हैं कि हमारे कई ‘समाजवादी’ नेता भी कर्नाटक सरकार द्वारा वित्त पोषित विलासिता का आनंद उठाने में शामिल थे। अन्य प्रमुख राजनेताओं में पूर्व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमों  मायावती, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन, कांग्रेस नेता अशोक गहलोत, सीपीएम नेता येचुरी, एनसीपी के शरद पवार, एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी आदि नाम शामिल हैं। हालांकि,  किसी की तरफ से इस ममाले में कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है। फिर भी ये तो साफ़ है कि केजरीवाल की भूख समय के साथ कितनी बढ़ी है और ये उसी भूखा का एक और उदाहरण है।

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