संयुक्त सचिव पद के लिए निजी क्षेत्र के 6 हजार से ज्यादा अफसरों ने किया आवेदन

निजी क्षेत्र सरकार

प्रधानमंत्री मोदी ने नौकरशाहों में सुधार और शासन में दक्षता के साथ-साथ नीतियों में सुधार पर जोर दिया है। इसी के तहत उन्होंने नौकरशाही में लैटरल एंट्री (पाश्र्विक प्रवेश) योजना शुरू की थी। लैटरल एंट्री योजना के  तहत केंद्र सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी। केंद्र सरकार को संयुक्त सचिव के 10 पदों के लिए निजी क्षेत्र के 6 हजार विशेषज्ञ अधिकारियों का आवेदन मिला है। इस आवेदन की अंतिम तारीख 30 जुलाई, 2018 थी जिसमें केंद्र सरकार को 6 हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं। दरअसल, लैटरल एंट्री (पाश्र्विक प्रवेश) के जरिये मोदी सरकार उन प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों को आमंत्रित करना चाहती है जो जॉइंट सेक्रटरी के स्तर पर सरकार में शामिल होकर राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान देने की इच्छा रखते हैं, ऐसे में ये स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिये एक नए स्तर पर प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति करने का दृढ़ संकल्प लिया है। 6 हजार आवेदन से स्पष्ट है कि निजी क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने सरकार को सुचारू रूप से और प्रभावी ढंग से चलाने के लिए सरकार में शामिल होने में अपनी रूचि दिखाई है।

जिन पदों के लिए सरकार ने विज्ञापन जारी किए थे वो 10 मंत्रालय और विभाग हैं, फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, कृषि और किसान कल्याण, सड़क परिवहन, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स। इसमें आवेदन करने वालों के लिए निर्देश दिए गया था, एक राज्य / संघ क्षेत्र के अधिकारी जो समतुल्य स्तर पर पहले से कार्यरत हों या वो अपने संवर्ग में समतुल्य स्तर पर नियुक्त किये जाने के योग्य हों, या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों स्वायत्त निकाय, वैधानिक संगठनों, विश्वविद्यालयों, मान्यता प्राप्त शोधसंगठनों में समतुल्य स्तर पर कार्यरत व्यक्ति शामिल हों और उनके पास कम से कम 15 साल का अनुभव हों। इसी प्रकार निजी क्षेत्र की कंपनियों में समतुल्य स्तर पर कार्यरत व्यक्ति भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं। संबंधित विभाग के मुताबिक संयुक्त सचिव के किसी एक पद के लिए सबसे ज्यादा आवेदनों की संख्या 1100 है जबकि किसी पद के लिए सबसे कम आवेदनों की संख्या 290 है।

सरकार में लेटरल एंट्री योजना की सिफारिश सबसे पहले नीति आयोग ने की थी। आईएएस और अन्य सिविल सेवा कैडरों में कई कड़ी मेहनत करने वाले और सक्षम व्यक्ति शामिल हो जातें हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा न होने के कारण कई अधिकारी सुस्ती, अक्षमता और भ्रष्टाचार में भी प्रवीण रहे हैं। ऐसे में ये कदम समय के साथ नौकरशाहों को और बेहतर बनाएगा। ये लेटरल एंट्री योजना वर्तमान के नौकरशाहों पर दबाव डालेगी जिससे उनके प्रदर्शन रिकॉर्ड में सुधार होगा। लोकसभा में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था, “एसजीओएस की सिफारिश के आधार पर, सरकार ने संयुक्त सचिव के 10 पदों पर निजी क्षेत्रों के विशेषज्ञों को उनकी प्रतिभा के तहत नियुक्तियां करने का फैसला लिया है। इसका उद्देश्य सरकारी कार्यों में नए विचारों को लाना है।“

लैटरल एंट्री (पाश्र्विक प्रवेश) योजना से न केवल सरकार को एक नया परिप्रेक्ष्य मिलेगा बल्कि इससे निर्णय लेने में भी आसानी होगी। इस भर्ती में अत्यधिक प्रशिक्षित पेशेवरों को ही शामिल किया जायेगा जिनके पास अनुभव और ज्ञान की कोई कमी नहीं होगी और वो सरकारी कार्यों की गुणवत्ता में भी सुधार करने में सहायक होंगे। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही पीएम मोदी ने नौकरशाही में सुधार के लिए अपने प्रयास शुरू कर दिए थे ये कदम भी उनके प्रयासों में से एक है। मौजूदा सुस्त नौकरशाहों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ेगी और वो अपना काम और भी ज्यादा बेहतर तरीके से और तेजी से करेंगे। इस कदम से नौकरशाह अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य करेंगे। सरकार का ये कदम सराहनीय है।

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