वर्ष 1947 की आजादी के बाद के भारत और आज के भारत में बहुत बदलाव आ चुका है। अन्य राष्ट्रों की तरह ही समय के साथ देश में हुए सुधार और बदलाव के लिए सरकार के किसी विशेष प्रमुख को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं बल्कि इसमें देश के कई प्रधानमंत्रियों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है कि आज भारत बहुत तेजी से विकास कर रहा है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अंधे भक्त अक्सर ही सभी प्रमुखों के प्रयासों को अनदेखा कर देते हैं उन्हें अन्य की तुलना में उच्चतम दर्जा देते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि नेहरू एक महान राजनेता थे और उन्होंने बहुत लोकप्रियता का आनंद भी उठाया था लेकिन भारत में आये बदलाव के लिए सिर्फ नेहरू को श्रेय देना भी तो उचित नहीं है। अपने समय के निर्विवादित महान राजनेता जवाहरलाल नेहरू ने कई राष्ट्रीय उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन उनके बाद भी ऐसे कई राजनेता हैं जिन्होंने देश के लिए काफी कुछ किया है।
नेहरू की विरासत के नाम पर लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव जैसे अन्य राज नेताओं के योगदान को अनदेखा करना पूरी तरह से अनुचित होगा। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भारत के कृषि क्षेत्र में नयी क्रांति लेकर आये थे। उन्होंने “जय जवान जय किसान” का क्रांतिकारी नारा लगाकर काफी बदलाव किया। उन्होंने कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए हरित क्रांति की रणनीति तैयार की जिससे भारत का कृषि क्षेत्र मजबूत बहुत मजबूत हुआ। पीवी नरसिम्हा राव का देश में आर्थिक सुधार (इकनोनॉमिक रिफॉर्म्स) में योगदान भला कौन भुला सकता है। पीवी नरसिम्हा राव जी सबसे पहले देश की अर्थव्यवस्था में आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को लेकर आये थे जिसे नेहरू ने अपने शासनकाल में ख़ारिज कर दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व में भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर निर्णायक जीत दर्ज की थी और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को भी कोई अनदेखा नहीं कर सकता है। अगर भारत के स्वतंत्र इतिहास को देखें तो अटल जी के भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के प्रयासों और स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना समेत उनकी दूरदर्शी परियोजनाओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आखिर में हम ये भी अनदेखा नहीं कर सकते कि कैसे मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समाज में हर तबके का विकास कर रहे हैं और उनके लिए काम काम कर रहे हैं। उज्जवल योजना, जन धन योजना, स्वच्छ भारत मिशन इत्यादि जैसी योजनाएं और कार्यक्रमों ने नए मानकों को स्थापित किया है और जनता के पूर्ण समर्थन से मिली जीत के बाद उनकी समस्याओं के सुलझाने के लिए वो लगातार काम कर रहे हैं।
दुर्भाग्यवश, सरकार के अन्य प्रमुखों द्वारा किये गये बड़े प्रयासों के बावजूद नेहरू को अबतक भारतीय राजनीति में सबसे महान व्यक्ति और सभी प्रधानमंत्रियों में सर्वश्रेष्ठ के रूप में पेश किया जाता है। कांग्रेस और लुटियंस कबाल ही इसके लिए दोषी हैं। यही कारण है कि क्यों एक संपूर्ण स्मारक तीन मूर्ति परिसर जवाहरलाल नेहरू को समर्पित था। तीन मूर्ति परिसर में नेहरू संग्रहालय के अलावा एक तारामंडल और एक लाइब्रेरी भी है। यहां देश की आजादी में उनकी भूमिका की सराहना और राष्ट्र निर्माण में उनके कथित रूप से महत्वपूर्ण योगदान को भी दिखाया जाता है। ये पूरी तरह से न्यायिक नहीं है। कैसे सभी प्रधानमंत्रियों के प्रयासों को अनदेखा कर किसी विशेष प्रधानमंत्री को सबसे महान दिखाया जा सकता है? इस तरह की परंपरा को बदलने की जरूरत है और ऐसा लगता है कि मोदी सरकार भी यही कर रही है।
एक ऐतिहासिक कदम में, मोदी सरकार अब तीन मूर्ति भवन को देश के सभी प्रधानमंत्रियों की स्मृतियों से जुड़ा संग्रहालय बनाने की योजना बना रही है जो कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का अधिकारिक निवास था। हालांकि, कांग्रेस ये पचा नहीं पा रही है कि अब वो राजनीतिक हित के लिए सिर्फ नेहरू को निर्विवाद प्रधानमंत्री के रूप में पेश कर पाने में सक्षम नहीं हो पायेगी। इस निर्णय से बौखलाई हुई कांग्रेस अब ये दावा कर रही है कि वर्तमान सरकार नेहरू की विरासत पर हमला कर रही है उनकी विरासत को खत्म करने का आरोप लगा रही है जबकि राजनाथ सिंह ने कहा है की नेहरू की स्मृतियों से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि, “पंडित नेहरू सिर्फ कांग्रेस पार्टी से संबंधित नहीं थे बल्कि उनका नाता पूरे देश के साथ था। उन्होंने आगे लिखा, “तीन मूर्ति भवन को उनकी याद में, उन्हीं के नाम पर समर्पित रहने दिया जाय और इसमें कोई बदलाव न किया जाए। इस तरह से हम अपने इतिहास और विरासत दोनों का सम्मान करेंगे।” जबकि तथ्य ये है कि तीन मूर्ति भवन में नेहरू की स्मृतियों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी बल्कि संग्रहालय बिलकुल नई बिल्डिंग में बनेगा।
वास्तव में पीएम मोदी वर्तमान में इसे पूर्व प्रधानमंत्रियों की यादों से जोड़ने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को भी जोड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस इसपर राजनीति कर इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है ताकि वो नेहरू का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए भविष्य में करती रहे।