कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों ब्रिटेन और जर्मनी की चार दिन की यात्रा पर हैं। उन्होंने बुधवार को हैमबर्ग के ब्यूकेरियस समर स्कूल के कैंपनागेल थिएटर में अपने संबोधन के दौरान कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। राहुल गांधी ने देश के पुरुषों को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने के कहा। राहुल गांधी ने सही कहा देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कई मामले सामने आते रहते हैं लेकिन किसी के लिए समझना थोडा मुश्किल है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आत्मज्ञान विदेशी धरती पर ही क्यों होता है? उन्हें महिलाओं से जुड़ी हिंसा और अन्य अपराधिक मामले देश में रहकर नहीं बल्कि विदेश जाकर ही क्यों याद आते हैं? शायद राहुल गांधी को यहां खुलकर बोलने नहीं दिया जाता तभी वो विदेशी मंच का उपयोग भारत से जुड़े मुद्दे उठान के लिए करते हैं लेकिन समझने वाली बात तो ये है कि क्या वाकई में राहुल गांधी को देश की महिलाओं के साथ होती रेप और हिंसा जैसी घटनाओं की चिंता है?
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि देश में महिलाएं असुरक्षित हैं और उन्हें इस बात का भी दुःख है कि पुरुष महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं। अपने संबोधन में राहुल ने महिलाओं पर राय रखते हुए कहा, “भारत में महिलाओं के खिलाफ बड़ी संख्या में हिंसा होती है। भारत में महिलाओं के प्रति पुरुषों का नजरिया बदलने की जरुरत है। पुरुषों को महिलाओं को समान रूप से देखना और सम्मान देना चाहिए। लेकिन मुझे कहते हुए दुख हो रहा है कि पुरुष ऐसा नहीं करते।”
There is a huge amount of violence against women in India. India needs to change the way the Indian men view Indian women. Men have to start viewing women as an equal and with respect. I am sorry to say that men do not: Congress President Rahul Gandhi in Germany's Hamburg pic.twitter.com/Z3vz5BVZh2
— ANI (@ANI) August 22, 2018
यही सीख उन्हें अपनी पार्टी के कुछ नेताओं को भी देनी चाहिए जिनपर महिलाओं के साथ उत्पीड़न, यौन शोषण, रेप जैसे आरोप लगे हैं। हाल ही में कांग्रेस के छात्र विंग नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान पर यौन शोषण का आरोप सामने आया था तब उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे पहले जुलाई 2017 में केरल कांग्रेस के विधायक एम. विंसेंट को यौन प्रताड़ना और एक 51 वर्षीय महिला का पीछा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कांग्रेस नेता बाबूलाल नागर पर 2013 में एक 35 वर्षीय महिला का यौन शोषण और बलात्कार करने का आरोप था। 2013 में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री गोपाल कांडा पर पूर्व एयर होस्टेस के साथ बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौन शोषण करने का आरोप था। 2016 में पुणे के कांग्रेस नेता शिवानंद हुलयालकर पर उनकी कंपनी में काम करने वाली 23 साल की एक पूर्व कर्मचारी का लगातार रेप करने का आरोप था। यही नहीं ऐसे और भी मामलें हैं जो ये साबित करते हैं कि देश में कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता किस तरह से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में लिप्त हैं। सिर्फ यौन शोषण ही नहीं। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की सेक्स-सीडी ने तो राजनीतिक माहौल में खलबली मचा दी थी जब उनकी सेक्स-सीडी 2012 में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई थी। इसपर राहुल गांधी का क्या कहना है? उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ कोई सख्ती क्यों नहीं दिखाई? कांग्रेस अध्यक्ष को अपने मंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस तरह का जघन्य अपराध फिर न दोहराए जायें लेकिन वो ऐसा करते नहीं है।
कांग्रेस पार्टी ने कभी महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को सुलझाने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाये लेकिन जब वर्तमान की एनडीए सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए महिलाओं की सुरक्षा और उनसे जुड़े हिसंक मामलों के खिलाफ कानून लेकर आई तो ये कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने राज्यसभा में इसका विरोध किया। इसका ताजा उदाहरण मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा तीन तलाक मामला है। इससे जुड़े बिल को पास न होने देने के लिए कांग्रेस ने खूब अड़चने पैदा करने की कोशिश की। ताजुब की बात है कांग्रेस अध्यक्ष विदेशी मंच से महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की बात करते हैं लेकिन उन्हीं की पार्टी महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन करने वाली कुप्रथाओं का समर्थन करती है। इस तरह के मामलों में कांग्रेस की भागीदारी पर राहुल गांधी खुलकर क्यों नहीं बोलते?
देश में रहकर सुधार और विकास योजनाओं के खिलाफ रही है कांग्रेस पार्टी, महिलाओं के हित से जुड़े नीति और योजनाओं के खिलाफ रही है कांग्रेस पार्टी। देश की सबसे पुरानी पार्टी ने कभी खुलकर इन मामलों में अपनी भागीदारी नहीं दी लेकिन विदेश में जाकर इन मुद्दों को उठा कर राहुल गांधी क्या साबित करना चाहते हैं? विदेशी मंच पर अन्य देश अपने देश की समस्याओं को सुलझाने और अपने देश को और बेहतर बनाने का मुद्दा उठाते हैं लेकिन राहुल गांधी देश में रहकर तो कुछ करते नहीं लेकिन ऐसा लगता है कि विदेशों जाकर भारत की छवि को धूमिल करने का जिम्मा उठा लेते हैं।