पीजे कुरियन जुलाई में सेवानिवृत्त हो चुके हैं तब से राज्यसभा के उपसभापति का पद खाली है। राज्यसभा का अगला उपसभापति कौन होगा ये तो 9 अगस्त को उपसभापति पद के चुनाव के बाद ही पता चलेगा। इस पद के लिए नामांकन 8 अगस्त को दोपहर 12 बजे तक ही स्वीकार किया जायेगा। इसकी घोषणा खुद सभापति ने सोमवार को की थी। सभापति वेंकैया नायडू ने घोषणा में कहा था कि “उपसभापति पद के लिए बुधवार 8 अगस्त को 12 बजे तक नामांकन पत्र दाखिल किया जा सकेगा। गुरुवार को सुबह 11 बजे इस पद के लिए चुनाव होगा।“ घोषणा के बाद से ही लिए सत्तारूढ़ पार्टी एनडीए और विपक्ष पुरजोर तरीके से तैयारी में जुट चुके हैं। वहीं, एनडीए ने उपसभापति पद के लिए जेडीयू के सांसद हरिवंश (62) को उम्मीदवार बनाया है। इसके जरिये एनडीए ने स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए के सभी सहयोगी दल एक साथ हैं।
कांग्रेस जहां इस पद पर अपने उम्मीदवार को बैठाना चाहती है उसके सामने अब स्थिति और मुश्किल हो गयी है। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। उपसभापति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार की घोषणा से कांग्रेस को झटका जरुर लगा होगा जो उम्मीद कर रही थी बीजेपी अपनी ही पार्टी के किसी उम्मीदवार का नाम पद के लिए सामने रखेगी। जेडीयू के सांसद हरिवंश (62) के नाम पर कांग्रेस अब खिलाफ जाने से पहले सोचेगी क्योंकि वो संयुक्त विपक्ष में जेडीयू को साथ आने की उम्मीद कर रही थी। हालांकि, एनडीए ने जेडीयू सांसद हरिवंश को उम्मीदवार बनाकर ये स्पष्ट संकेत दे दिए है कि बीजेपी और जेडीयू में कोई मनमुटाव नहीं है बल्कि वो आने वाले 2019 के आम चुनाव में पार्टी के साथ खड़ी है। नितीश कुमार तो अपने पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन के लिए अन्य सहयोगी दलों से बातचीत भी कर रहे हैं। वहीं, शिवसेना और बीजेपी के बीच बढ़ते मतभेद के चलते शिवसेना के समर्थन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी लेकिन अब शिवसेना ने भी एनडीए के उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला किया है। मंगलवार को शिवसेना से राज्यसभा के सदस्य संजय राउत ने कहा, ‘अमित शाह ने आज उद्धव जी से बात की और शिवसेना से समर्थन मांगा। हमने जेडीयू उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला लिया है क्योंकि उपसभापति का पद गैर-राजनीतिक है।’ शिवसेना की इस घोषणा के बाद अब एनडीए के उम्मीदवार के लिए राह और आसान हो गयी है।
राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 244 है और उपसभापति उम्मीदवार को जीत के लिए 123 सांसदों का समर्थन जरूरी है। राज्यसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके पास 73 सांसद हैं। कुल मिलाकर देखें तो एनडीए को चुनाव जीतने के लिए अन्य 28 सांसदों की जरूरत है। वहीं, एनडीए के सहयोगी जेडीयू के पास 6, शिवसेना के पास 3 और अकाली दल के पास 3 सांसद हैं। बीजेपी को अन्नाद्रमुक के 13, बीजद के 9, टीआरएस के 6 और वाईएसआर कांग्रेस के दो सांसदों से समर्थन की भी उम्मीद कर रही है। ऐसे में एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश को 123 सांसदों का समर्थन मिलना ज्यादा कठिन नहीं होगा। जबकि कांग्रेस के पास संख्या देखें तो उसके पास सिर्फ 50 सदस्य हैं और अन्य संख्या के लिए उसे अन्य विपक्षी दलों से जल्द ही सांठगाठ करनी होगी जो इतना आसान नहीं है क्योंकि अविश्वास पत्र के दौरान भी संयुक्त विपक्ष की एकता सबके सामने थी।
विपक्षी पार्टियों ने उपसभापति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के नाम पर चर्चा के लिए सोमवार शाम बैठक की थी लेकिन किसी एक नाम पर एक राय नहीं बन सकी। अब उम्मीदवार पर निर्णय के लिए गुरुवार को एक अन्य बैठक होने की संभावना जताई जा रही है।
खैर, जो भी हो अपने उम्मीदार से बीजेपी ने ये स्पष्ट संकेत दिया है कि एनडीए में कोई दरार नहीं है सभी सहयोगी दल एकसाथ हैं, साथ ही वो सभी क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लेकर चल रही है। कांग्रेस को इस कदम की उम्मीद भी नहीं होगी। बीजेपी ने इस कदम से दर्शा दिया है कि जो भी पार्टी उसके साथ जुड़ी है उनके सभी काबिल नेताओं को मौका दिया जायेगा और क्षमता के अनुसार ही उन्हें किसी पद के लिए चुना जायेगा क्योंकि बीजेपी के लिए किसी नेता की काबिलियत ज्यादा मायने रखती है न ही राजनीतिक स्वार्थ। यदि बीजेपी राज्यसभा के उपसभापति पद को जीतने में कामयाब हो जाती है तो ये एक बड़ी जीत होगी। इस जीत से विपक्ष में असंतोष और तनाव की स्थिति पैदा को होगी साथ ही बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ एक बार फिर से पार्टी की एकता से विपक्ष को चौंका देगी।