कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसपर अगर कोई पब्लिक फिगर कुछ कहता है तो कुछ उसकी आलोचना करना शुरू कर देते हैं तो कुछ समर्थन देते हैं। अगर आप एक पब्लिक फिगर हैं तो पूरी आबादी न सही लेकिन एक आम व्यक्ति के मुकाबले आपको सुनने वालों की संख्या कहीं ज्यादा होगी। ऐसे में एक पब्लिक फिगर होते हुए आपकी क्या जिम्मेदारी है? यही कि अगर आप सच का साथ नहीं दे सकते तो कम से कम झूठ और गुमराह करने वाले तथ्यों को न बढ़ावा दें क्योंकि इसका असर जनता पर सीधे पड़ता है। देश का हर एक व्यक्ति राजनेता, अभिनेता, अधिकारी आदि होने से पहले देश का नागरिक है और उसे देश के हित के लिए अपने स्तर का उचित उपयोग करना चाहिए ताकि देश में बदलाव हो सके जैसे हमारे बॉलीवुड के सितारे अपनी देश की समस्याओं से जुड़ी फिल्मों या किसी मुहीम के लिए अपना योगदान देते हैं। वैसे भी बॉलीवुड के बहुत कम ही ऐसे सितारे नजर आते हैं जो वास्तव में देश में बदलाव चाहते हैं या देश में बदलाव की विचारधारा का समर्थन करते हैं। इनमें से एक हैं कंगना रनौत हैं जिन्होंने बुधवार रात ‘इन कन्वरसेशन विद द मिस्टिक 2018’ सत्र के दौरान सदगुरु जग्गी वासुदेव के साथ राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही विषयों पर अपने विचार रखें। कंगना और सदगुरु ने बातचीत के दौरान आज के समाज के सच को सामने रखा, तथाकथित उदारवादियों और वामपंथियों के सच को, समाज के कुछ दिखावटी ठेकेदारों का सच सामने रखा। बस फिर क्या था सोशल मीडिया पर वो उदारवादी केबल के निशाने पर आ गयीं।
कंगना रनौत अपने विचारों को बेबाक सामने रखने के लिए मशहूर हैं, वो एक आत्मनिर्भर महिला हैं और उनसे जो पूछा जाता है वो उस सवाल का जवाब सीधे देती हैं। वो कहती भी हैं मुझसे जो पूछा जायेगा मैं सच बोलूंगी और उन्होंने सदगुरु जग्गी वासुदेव से बातचीत में भी ऐसा ही किया। जिसके बाद से उदारवादी केबल में सनसनी मच गयी और उनकी आलोचना शुरू हो गयी। ये केबल सदगुरु जग्गी वासुदेव से भी नफरत करता है।
कंगना ने देश की समस्याओं पर गाय और उदारवादियों पर कहा, कि ये दुख की बात है कि देश में गौ-रक्षा के नाम पर भीड़ के द्वारा लोगों की हत्या कर दी जाती है। उन्होंने कहा, “हम सभी जानवरों को बचाना चाहते हैं, आप इस तरह की चीजों का विरोध करते हैं, लेकिन जब मॉब लिंचिंग होती है, तो आपको बुरा लगता है कि ये सब क्या हो रहा है? गैरकानूनी ढंग से किसी को सज़ा देना गलत है।” अपनी आगामी फिल्म मणिकर्णिका’ के एक सीन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मैं बायोपिक ‘मणिकर्णिका’ में काम कर रही हूं, जिसमें एक सीन के मुताबिक नायिका को गाय के बछड़े को बचाना था। इस सीन को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि उन्हें लगा कि कहीं ये गौरक्षकों की तरह न दिखे।” उन्होंने आगे कहा कि “आप सभी जानवरों को बचाना चाहते हैं, और आप बेशक गाय की रक्षा करना चाहते हैं क्योंकि वो हमारे देश में गाय का काफी महत्व है, लेकिन जब मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं होती हैं, तो आप बेवकूफ लगते हैं।”
इस चर्चा के दौरान कंगना ने मोब लिंचिंग को लेकर अपना दुःख व्यक्त किया और कहा कि आखिर क्या है जो गलत है ? क्यों सिर्फ गौ-रक्षक के नाम पर भीड़ द्वारा हत्या की जाती है। सिर्फ गाय ही क्यों हर जानवर को हम बचाना चाहते हैं।“ इस दौरान लिबरल्स पर तंज कसते हुए कंगना ने कहा कि, “लिबरल कौन है? ये वो लोग हैँ जो आपको तब तक अपने साथ नहीं आने देते जब तक की आप भी उनसे नफरत नहीं करते जिनसे वो करते हैं, यदि ये देश के विकास के लिए है तो आपको फर्क नहीं पड़ता कि वो बीजेपी से नफरत करते हैं, जैसा की व्यवहारिक रूप से अमित शाह करते हैं। यदि आप देश को दलदल से निकालना चाहते हैं तो आपको उन चीजों का समर्थन नहीं करना चाहिए। हाल ही में कठुआ मामले में एक अपराधी के धर्म से एक विशेष समूह को लक्षित किया गया सिर्फ अपने एजेंडा के लिए? एक अपराधी अपराधी होता है उसे धर्म से जोड़ना सही नहीं इससे बस आप देश में तनाव को और बढ़ावा देते हैं।” इस चर्चा के दौरान सदगुरु जग्गी वासुदेव ने लिबरल्स को कट्टरपंथी बताया और कहा कि, वो कानून का सहारा न लेकर अपने तरीके से सब करना चाहते हैं और यही वजह है कि देश में मोब लीचिंग जैसी घटनाएं होती है।‘ उन्होंने इस दौरान गाय के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला। इस बातचीत के सामने आने के बाद से लिबरल्स ब्रिगेड भड़क गए हैं और अब वो कंगना और सदगुरु जग्गी पर निशाना साध रहे हैं।
Stream of bullshit: When Kangana met Paadguru https://t.co/7Cglotx7NU
Sorry, Kangana, we can't be friends.
— Madhu Menon (@madmanweb) August 10, 2018
सदगुरु जग्गी वासुदेव और कंगना के बीच बातचीत से भले ही लिबरल्स भड़क गये और दोनों की जमकर आलोचना कर रहे हों लेकिन सदगुरु जग्गी वासुदेव और कंगना दोनों ने वास्तव में खुलकर आज के समाज में लिबरल्स की सच्चाई को सामने रखा है। इससे स्पष्ट है कि लिबरल्स एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहां उनकी विचारधारा को स्वीकार जाए और यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप समाज के दुश्मन ठहरा दिए जाते हैं। लिबरल्स को ही अधिकार है कि वो अपनी राय रखें और सभी को उस राय पर अपनी सहमती देनी चाहिए क्योंकि वो जो कहते हैं वही सही है और अगर आप उनके खिलाफ हैं तो आप गलत हैं। ये स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि लिबरल्स कट्टरपंथी हैं।