सोनिया गांधी ने 2006 में राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखकर बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए काम किया था!!

विकीलीक्स के खुलासे!!

सोनिया गाँधी विकीलीक्स

असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) का अंतिम मसौदा जारी होने के बाद से भारतीय राजनीति गरमाई हुई है इस बीच विकीलीक्स ने एक नया खुलासा किया है जो कांग्रेस को बैकफुट पर ले आया है। विकीलीक्स के खुलासे ने कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति को सामने रख दिया है। वही राजनीति जो कांग्रेस वर्षों से करती आयी है।

विकीलीक्स ने अपने खुलासे में बताया है कि कैसे यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त थे और अपनी इस रणनीति को सफल करने के लिए उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों का साथ दिया। खुलासे में बताया गया है कि, ‘बिहार और कर्नाटक में मिली हार से कांग्रेस काफी हताश थी और पार्टी ने अब असम में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए मुस्लिम समुदाय को लुभाना शुरू कर दिया था। असम में मुख्य विपक्षी दल क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद (एजीपी) और भारतीय जनता पार्टी है जो कमजोर और टूटी हुई थी लेकिन कांग्रेस पार्टी और उसके परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक के बीच 2005 से दरार पड़नी शुरू हो गयी थी जिससे कांग्रेस पार्टी अपना वोट आधार खोने लगी थी। मई 2006 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का अभियान मुस्लिम समुदाय को लुभाने का था। मुस्लिमों को लुभाने के लिए गांधी (सोनिया गांधी) ने फॉरेनर्स एक्ट में संशोधन करने की पेशकश की थी जिससे अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों का निर्वासन रुक जाए।’

दरअसल, तत्कालीन सरकार द्वारा 2006 में नया कानून लेकर आयी थी जिसके तहत असम में रह रहे बांग्लादेशियों को विदेशी साबित करने की जिम्मेदारी प्रशासन की थी। विकीलीक्स के मुताबिक, “कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुस्लिम वोट आधार को लुभाने के लिए अपील की थी और कहा था कि उनकी सरकार अप्रवासियों के कानूनों को बदलने पर विचार कर सकती है। कांग्रेस ने अवैध अप्रवासियों का भी समर्थन किया 1983 के आईएमडीटी (इल्लीगल माइग्रेंट्स डिटर्मिनेशन बाई ट्राइब्यूनल) जो केवल असम में लागू था इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य 1971 के बाद असम में अवैध ढंग से घुसपैठ कर बस गए लाखों बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें वापस करना था। इसकी प्रक्रिया काफी जटिल होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में इस एक्ट की खामियों को देखते हुए असंवैधानिक करार दिया था, लेकिन फिर भी कांग्रेस इस एक्ट के समर्थन में थी क्योंकि ये एक्ट 1971 के पहले आए अप्रवासियों को सुरक्षा भी प्रदान करता था, लेकिन वो कोर्ट में अपना समर्थन साबित करने में नाकाम रही थी। इसके बाद मुस्लिम अप्रवासियों के हक के लिए एक मुस्लिम राजनीतिक ग्रुप AIUDF (असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) की स्थापना हुई थी। इसके बाद सोनिया गांधी ने फॉरेनर्स एक्ट 1946 में संशोधन करने की बात कही जिससे वो मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही थीं।”  अपनी इस रणनीति की वजह से ही कांग्रेस पार्टी राज्य के विधानसभा चुनाव में उसकी जीत हुई थी।

यही वो वजह थी जिससे कांग्रेस को लगा कि अगर असम में सत्ता में रहना है तो अवैध अप्रवासियों को देश के बाहर जाने से रोकना ज्यादा बेहतर है। विकीलीक्स के खुलासे ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस राजनीति में रहने के लिए देश की सुरक्षा के साथ भी समझौता करने को तैयार है और यही वजह है वो आज असम में एनआरसी का विरोध कर रही है। वोट बैंक की राजनीति हमेशा से ही कांग्रेस है मुख्य एजेंडा रहा है और आज भी वो यही कर रही है। इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मुस्लिम समुदाय से कहा था कि ‘इस्लाम के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए कांग्रेस को वोट दें।‘

इसके बाद हाल ही में राहुल गांधी ने भी कथित तौर पर कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम पार्टी कहा था। कांग्रेस वर्षों से सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति, विकास से ज्यादा महत्वपूर्ण अपनी स्वार्थ की राजनीति है। आज भी देश को अवैध अप्रवासियों से होने वाले खतरों से देश के मूल नागरिकों को बचाने की जगह वो उनका समर्थन कर रही है और बीजेपी को घेरने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन विकीलीक्स की इस रिपोर्ट ने कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया है। अब कांग्रेस की सच्चाई जनता के सामने है।

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