आज देश में हिंदूफोबिया को बढ़ावा देने में लुटियंस मीडिया, छद्म धर्मनिरपेक्ष और सेक्युलर ब्रिगेड निम्न स्तर पर गिर चुके हैं। यदि मदरसा या ईसाई स्कूलों में किसी भी नियम कानून को लागू करने की बात हो तो वो इसका विरोध करते हैं और सरकार पर धार्मिंक मामलों में दखल देने की बात कहते हैं। यही लुटियंस मीडिया, छद्म धर्मनिरपेक्ष और सेक्युलर लोगों को जिन्हें हिंदू धर्म का ज्ञान नहीं वो इससे जुड़ी संस्था हो या मंदिर या हो शिक्षा का क्षेत्र विरोध करने के लिए तैयार रहते हैं। इन सभी को एक नया मुद्दा मिल गया है मुद्दा है केंद्रीय विद्यालय में सुबह की प्रार्थना संस्कृत में क्यों कराई जाती है? इसके खिलाफ याचिका भी दायर की।
टाइम्स नाउ ने इसी विषय को लेकर अपने चैनल पर एक चर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें हिंदू विरोधी ब्रिगेड का सच जनता के सामने आया था। इस बहस में टाइम्स नाउ के वरिष्ठ पत्रकार आनंद नरसिम्हन के साथ याचिकाकर्ता सुधांशु थे। इस चर्चा के दौरान जब आनंद नरसिम्हन ने अपने सवाल से बुद्धिजीवी याचिकाकर्ता सुधांशु का मुंह बंद करवा दिया। दरअसल, टाइम्स नाउ के वरिष्ठ पत्रकार ने जब याचिकाकर्ता सुधांशु से सवाल किया कि आपने केंद्रीय विद्यालय में प्रार्थना को लेकर याचिका दायर की है क्या आपको पता है ये किस हिंदू शास्त्र में आता है ? इस पर याचिकाकर्ता ने कुछ नहीं कहा। इसके बाद आनंद ने कहा कि ये उपनिषद में आता है तो याचिकाकर्ता ने कहा कि “हां ये उपनिषद में आता है।“ इसके बाद जब पत्रकार आनंद ने पूछा कि क्या आप जानते हैं उपनिषद क्या है तो याचिकाकर्ता ने स्पष्ट कहा कि, “मुझे नहीं पता।” इसके बाद आनंद ने कहा कि आपने किस आधार पर याचिका दायर की है? जब आपको यही नहीं पता उपनिषद क्या है? जबकि आपने अपनी याचिका में स्पष्ट रूप से लिखा है कि अपने इसपर गहन अध्ययन के बाद याचिका दायर की है।
टाइम्स नाउ की ये चर्चा एक उदाहरण है हिन्दुफोबिया फैलाने वाले हिंदू विरोधी ब्रिगेड को हिंदू धर्म का न ही ज्ञान है और न ही समझ बस अपने एजेंडा के लिए वो हिंदू धर्म पर हमला करने का अवसर ढूंढते हैं। इसके लिए वो किसी भी स्तर पर जाने में संकोच नहीं करते।
उपनिषद क्या है इस सवाल पर याचिकाकर्ता की चुपी उसकी अज्ञानता से भरे अहंकार को दर्शाता है। ये स्पष्ट रूप से छद्म धर्मनिरपेक्ष उदारवाद का हिंदू धर्म के प्रति नफरत को दर्शाता है। यहां तक कि वो हिंदू धर्म से इतनी नफरत करते हैं कि धर्म के बारे में जानने की कोशिश भी नहीं करते। बस अपना एजेंडा साधना है हिन्दुफोबिया को बढ़ावा देना है। इस समय भारत में केन्द्रीय विद्यालयों की संख्या एक हजार से अधिक है और यहां होने वाली प्रार्थना सिर्फ भगवान को नमस्कार और मन की शांति से संबंधित है। विद्यालय में प्रार्थना विश्व की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत में की जाती है और ये प्रार्थना गैर-धार्मिक है। ऐसे में इसका विरोध करना कितना सही है? लुटियंस मीडिया से लेकर छद्म धर्मनिरपेक्ष और सेक्युलर तक सभी बस हिंदू धर्म पर हमला करने का एक अवसर नहीं छोड़ते। चाहे वो विश्व की सबसे प्राचीन भाषा ही क्यों न जो सदियों से भारत की सभ्यता और संस्कृति का आधार रही है। न ही भाषा का ज्ञान है न ही हिंदू धर्म का लेकिन फिर भी इस तरह के हमले करना कितना उचित है? वहीं दूसरी तरफ क्रिस्चियन स्कूलों में जिस तरह से ईसाई धर्म का प्रचार होता है वो इन छद्म धर्मनिरपेक्ष उदारवादियों को नजर नहीं आता। मदरसा में होने वाली प्रार्थनाओं पर भी कोई सवाल नहीं करता तो फिर क्यों सिर्फ हिंदू धर्म पर ही सवाल उठाये जाते हैं?
टाइम्स नाउ की इस चर्चा से हिंदू विरोधी ब्रिगेड का सच सामने आ गया है। वो सिर्फ धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदू धर्म के प्रति हमला करने के अवसर खोजते हैं। वास्तव में उन्हें विद्यालय में कराई जाने वाली किसी भी प्रार्थना से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि वहां न कोई हिंदू है न कोई मुस्लिम और न ही कोई ईसाई वहां सभी एक समान है और केंद्रीय विद्यालय में विशेष धर्म का पाठ नहीं पढ़ाया जाता फिर भी ये सेक्युलर लोग शिक्षा को भी धर्म से जोड़कर लोगों को भ्रमित करने और हिंदूफोबिया को देने में कोई कसर नहीं छोड़ते।