इसी वर्ष जून में पुणे की पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस की जांच में ये पाया गया कि माओवादी 21 मई 1991 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे।
पीएम मोदी की हत्या की साजिश से जुडी कड़ी में पुलिस की स्पेशल टीम ने देशभर के कथित नक्सल समर्थकों के घरों व कार्यालयों पर ताबड़तोड़ छापेमारी करने शुरू कर दी थी। इस दौरान अकादमिक, वकील, मीडिया और तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत कई हाई प्रोफ़ाइल लोगों के घरों पर छापेमारी की गयी। पुलिस ने अरुण फेरेरियो, सुसान अब्राहम और वेरनॉन गोंसाल्वेस के घरों में छापेमारी की। पुलिस ने गोवा में आनंद तेलतुम्बडे, झारखंड में फादर स्टेन स्वामी और दिल्ली में गौतम नवलाखा और सुधा भारद्वाज के घरों पर छापेमारी की। हैदराबाद में आनंद पुलिस ने माओवादी विचारधारा के लेखक वरवर राव के निवास पर छापा मारा। पुणे में राव के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस ने राव की बेटी के घर भी छापा मारा। 31 दिसंबर को हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार हुए सुरेंद्र गाडलिंग के घर पुलिस की तलाशी के दौरान कथित तौर पर जब्त एक पत्र में राव का नाम सामने आया था। माओवादियों को समर्थन देने के मामले में कई अन्य वरिष्ठ पत्रकारों और प्रोफेसरों के घरों पर हुई छापेमारी में क्रांति डेकुला का नामा भी शामिल है जो नमस्ते तेलंगाना के पत्रकार हैं।
इन कथित अर्बन नक्सलियों की गिरफ्तारी के बाद से मीडिया, फिल्म उद्योग और राजनीति में उनके समर्थक उनके बचाव में सामने आ गये हैं।
Urban Naxal Defence League activated.
Expect protest march & award wapsi to take place soon. And yes, they may even approach UN for this. pic.twitter.com/u5jYPmKHxv— Un-bhadralok bangali (@goonereol) August 28, 2018
अर्बन नक्सलियों के समर्थन में सामने आये लोगों के अनुसार, इस गिरफ्तारी से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है और इसे अघोषित इमरजेंसी है। सभी अपने ब्लॉग और संपादकीय में कथित अर्बन नक्सलियों की गिरफ्तारी पर सवाल उठा रहे है और इसे गलत तरह से चित्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। वो सभी बस इन सभी वामपंथी समर्थक माने जानेवाले कार्यकर्ताओं के अच्छे कार्यों को गिना रहे हैं लेकिन ये नक्सल, माओवादी कट्टरपंथी और अर्बन नक्सलियों के सहानुभूतिकार इन कार्यकर्ताओं के गलत कृत्यों पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वो सिर्फ वही लिख रहे हैं जो उनके एजेंडा को सूट करता है। उदाहरण के लिए कोई भी वामपंथी कार्यकर्ता वरवर राव और वर्णन गोन्साल्वेज को यूपीए शासन के दौरान 2007 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था, इसपर बात नहीं कर रहा। वर्णन गोन्साल्वेज पर लगभग 20 मामलों में आरोपित किया गया था और उन्होंने लगभग 6 साल जेल में बिताये हैं। उनकी पत्नी सुसान अब्राहम को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वो एक नागरिक अधिकार वकील हैं। सुसान अब्राहम ने एल्गार परिषद कार्यक्रम के संबंध में पुलिस द्वारा जून में की गयी छापेमारी में गिरफ्तार किये गये कई कथित आरोपियों का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के जीएन साईबाबा और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत राही की गिरफ्तारी के खिलाफ भी लेख लिखे थे।
Vernon Gonsalves was arrested by Mumbai ATS in 2007. 20 detonators & 9 gelatin sticks were found.
Nagpur court sentenced him to 5 years in jail on April 11, 2014.
How does a 'convicted naxal' in Sonia's India become a 'human rights activist' in Modi's India? https://t.co/hqKW35sDZP
— Nitin Gupta (@Nitin_Rivaldo) August 29, 2018
वरवर राव को सबसे पहले 1973 में मीसा के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 1975 से लेकर 1986 तक कई बार कई मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्हें 1986 के रामनगर षड्यंत्र मामले में गिरफ्तार किया गया था। रामनगर षड्यंत्र मामले में 17 साल बाद उन्हें 2003 में बरी किया गया था। इसके बाद एक बार फिर से उन्हें 2005 को आंध्र प्रदेश सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था और इस मामले में उन्होंने पांच साल जेल में बिताये थे। बाद में उन्हें 31 मार्च 2006 को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के खत्म होने सहित राव को अन्य सभी मामलों में जमानत मिल गई। इसके बाद दावा किया गया था वो 2007 में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के प्रोपेगंडा और संचार विंग के नेता थे।
Such fake outrage by a section of media over the arrest of Vernon Gonsalves, Arun Ferreira, Varavara Rao etc. Nothing unprecedented. These deadly Maoist operatives have been arrested before and even imprisoned by Congress governments for waging a war on the nation.
— Prasanna Viswanathan (@prasannavishy) August 28, 2018
अर्बन नक्सलियों के समर्थकों के अनुसार जितने भी लोग गिरफ्तार हुए हैं वो गरीब लोग हैं और गरीबों, आदिवासियों और समाज के अन्य हाशिए वाले वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं। एक बार फिर से बड़ा झूठ। गिरफ्तार हुए कार्यकर्ताओं में गौतम नवलखा के दिल्ली में स्थित दो बंगलों की तलाशी ली गयी है। वर्ष 2011 में वो तब सुर्ख़ियों में आये थे जब उन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट पर प्रवेश करने से जम्मू-कश्मीर की सरकार ने रोक दिया गया था और फिर उन्हें दिल्ली वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था। तब जम्मू-कश्मीर की सरकार का मनना था कि उनकी उपस्थिति से राज्य की अमन और शांति भंग हो सकती है। फारूक अब्दुल्ला ने यहां तक कहा था कि, “वो लेखक क्या चाहता है- कश्मीर में जलाना?”
Gautam Navlakha, one of those arrested has two bungalows. Poor indeed. https://t.co/JHbMjmF8qb
— दिव्या (@divya_16_) August 29, 2018
सुधा भारद्वाज नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हैं और कई वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं। पुलिस ने उन्हें फरीदाबाद में सेक्टर 39 स्थित आवास से गिरफ्तार किया। वो जगलाग नामक नक्सलवाद की लीगल सेल की संरक्षक हैं। स्थानीय लोग उन्हें ‘नक्सलियों का वकील’ कहते हैं।
These questions need to be answered. Why is Sudha Bharadwaj found fighting Only cases of Naxals in HC?
Why do local Adivasis call her ‘Naxaliyon ki vakeel’? If she is working for Adivasis, she should be on their side. Why Naxals?— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
JagLAG in a petition to UNHRC says “Bastar is 'worse than many militarized zones in the world'. If true, how did they manage to stay safe for years in Bastar inspite of performing suspicious activities at the peak of Maoist conflict? Isn't this a clear case of logical fallacy.
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
फादर स्टेन स्वामी उन बीस लोगों में से एक हैं जिनके खिलाफ 26 जुलाई 2018 को आइटी एक्ट में एक केस दर्ज किया गया था। इसमें देशद्रोह, सोशल मीडिया के माध्यम से पत्थलगड़ी को बढ़ावा देने, सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने, सरकारी योजनाओं का विरोध करने का आरोप था। उन्होंने खूंटी में पत्थलगड़ी आन्दोलन उकसाने के लिए झारखंड सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था। मंगलवार की सुबह महाराष्ट्र पुलिस ने रांची पुलिस की मदद से फादर स्टेन स्वामी के घर की घेराबंदी कर तलाशी शुरू की और इसमें पुलिस को स्वामी के घर से लैपटॉप, मोबाइल, दर्जनों सीडी, कैमरा, टैब समेत कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। पुलिस की टीम ने स्वामी को गिरफ्तार कर लिया। एल्गार परिषद कार्यक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार हुए कथित आरोपियों में से एक ने जांच के दौरान स्वामी का नाम भी लिया था।
लिबरल लेफ्टिस्ट लॉबी और अर्बन नक्सल के सहानुभूतिकारियों ने सिर्फ सभी गिरफ्तार अर्बन नक्सलवादियों के अच्छे कार्यों को सामने रखा है लेकिन उन्होंने क्या गलत किया है उसे नहीं दिखाया। ऐसा ही कुछ आसाराम और राम रहीम के अनुयायियों ने भी किया था। अपने गलत कृत्यों को छुपाने के लिए लोग सिर्फ अच्छे कृत्यों का ही दिखावा करते हैं। कथित अर्बन नक्सलवादियों पर सरकार के शिकंजे ने इस पूरे कबाल को ही बड़ा झटका दिया है और यही कारण है कि वो मोदी सरकार के खिलाफ हैं। ये कबाल जनजातियों और दलितों का शोषण कर खूब पैसा कमाते थे। वो जनजातीय और दलितों के भले की आड़ में अपना घृणास्पद एजेंडा साधते थे। वास्तव में, इस पूरे कबाल ने कभी गरिबों और पिछड़ी जातियों के लिए कुछ किया ही नहीं। पिछली सरकारों ने कभी इनपर शिकंजा नहीं कसा जिस वजह से इस तरह के लोगों की गतिविधियों में इजाफा हुआ। पिछली सरकारों के विपरीत मोदी सरकार ने इस प्रवृत्ति पर रोक लगाई है और अब अर्बन नक्सलियों, माओवादियों और अन्य सभी भारत विरोधियों को उनके सही स्थान पर पहुंचाया जा रहा है।