उत्तर प्रदेश: योगी सरकार ने बरेली, कानपुर और आगरा एयरपोर्ट का नाम बदलने के लिए भेजा प्रस्ताव

योगी एयरपोर्ट

PC: Patrika

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में हिंदू विरासत को बहाल करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उत्तर प्रदेश के मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम ‘दीनदयाल उपाध्याय’ के रखने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से बरेली, कानपुर और आगरा एयरपोर्ट का नाम भी बदलने के लिए संपर्क किया है। यूपी के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी ने कहा, “हमने तीन एयरपोर्ट का फिर से नामकरण करने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा है। जल्द ही केंद्रीय विमानन मंत्रालय के साथ इस विषय में बैठक होगी।“ उन्होंने ये भी कहा कि लंबे समय से इन एयर पोर्ट का नामकरण करने का काम सरकार की सूची में था।

यूपी के नागरिक उड्डयन विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक, बरेली एयरपोर्ट का नाम ‘नाथ नगरी’ रखा जाना है जो इस शहर का पुराना नाम माना जाता है। बरेली अपने इतिहास के लिए मशहूर है और ये सात नाथ शिव मंदिरों- आलखनाथ, त्रिवतीनाथ, मराहिनाथ, ढोपेश्वरनाथ, वांकखंडनाथ, तापेश्वरनाथ और पशुपतिनाथ से घिरा हुआ है। राज्य सरकार का प्रस्ताव बरेली के महान इतिहास के विवरण को बता रहा है।

जिस नाथ सम्प्रदाय से यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ हैं, माना जाता है कि ‘नाथ पंत’ (मठवासी आंदोलन) स्थापना आदिनाथ भगवान शिव ने की थी। इस ‘नाथ पंत’ (मठवासी आंदोलन) के संस्थापक महायोगी गोरखनाथ के नाम पर IAF के गोरखपुर हवाई अड्डे का नाम रखा गया था। वहीं, दूसरी तरफ, कानपुर के चकेरी हवाई अड्डे का नाम स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी के नाम पर रखने का प्रस्ताव है। कहा जाता है कि कानपुर का पुराना नाम कान्हापुर था जिसे सचेंडी के राजा हिंदू सिंह ने बसाया था। राज्य सरकार ने आगरा एयरपोर्ट का नाम बदलकर आरएसएस विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने का प्रस्ताव है।

वन इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि, राज्य सरकार और एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया कोशिश कर रही है कि रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत इन एयरपोर्ट्स को सिविलियन एयरपोर्ट में बदला जाए। ये पहली बार नहीं है जब योगी सरकार ने हिंदू विरासत को पुनः स्थापित करने के लिए इस तरह का कदम उठाया है। गोरखपुर से संसद के सदस्य रहते हुए भी उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे कई बदलाव किए थे। गोरखपुर में मिया बाज़ार का नाम बदलवाकर उन्होंने माया बाजार करवाया था। इसी प्रकार उर्दू बाजार का नाम बदलकर उन्होंने हिंदी बाजार रखा था। उन्होंने अली नगर बाजार का नाम बदलकर आर्य बाजार रखा था। उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान इंडिया टीवी को दिए एक इंटरव्यू में स्पष्ट किया था कि वो इस तरह के बदलाव करना जारी रखेंगे। उन्होंने अपने इंटरव्यू में ऐसा करने के पीछे की वजह को समझाया भी था और कहा था कि वास्तव में कुछ बदला नहीं है बल्कि वो इतिहास के आधार पर उन्हें अपनी मूल पहचान देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास में देखें तो आप पाएंगे कि इन सभी जगहों का नाम बाहरी शक्तियों द्वारा बदला गया था और अब वो इन जगहों का नाम बदलकर बस अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं और उन्हें उनकी मूल पहचान दे रहे हैं। किसी को भी इन बदलावों से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

इस प्रकार सीएम योगी वही कर रहे हैं जो उन्होंने चुनाव से पहले वादा किया था। इससे स्पष्ट है कि वो आलोचनाओं से पीछे नहीं हटने वाले, वो अपनी बातों पर अमल कर रहे हैं। उन्होंने ये भी घोषणा की थी कि इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज रखा जायेगा। ये देखना दिलचस्प होगा, कि सीएम योगी अतीत में आक्रमणकारियों द्वारा किये गये बदलावों को पुनः स्थापित कैसे करते हैं और इसके लिए किस तरह के कदम उठाएंगे। वो अपने इन प्रयासों से राज्य को उसके मूल जड़ों से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

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