सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस होंगे। अपने कार्यकाल में दीपक मिश्रा ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुनवाई की है और कई ऐतिहासिक निर्णय भी लिए हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उनके कुछ फैसले काफी चर्चा में रहे हैं कुछ फैसले उन्होंने चीफ जस्टिस रहते हुए सुनाये हैं तो कुछ सुप्रीम कोर्ट में जज रहते हुए। उनके द्वारा लिए गये फैसलों में दिल्ली के निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी की सज़ा बरकरार रखना, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी वाली वेबसाइटों को बैन, कावेरी जल बंटवारे का विवाद, 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े 186 मामलों की दोबारा जांच कराने का निर्देश, सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान अनिवार्य, एफ़आईआर की कॉपी 24 घंटों में वेबसाइट पर डालने के आदेश, आपराधिक मानहानि की संवैधानिकता बरकरार रखने का फैसला और प्रमोशन में आरक्षण पर रोक जैसे कई अहम फैसले शामिल हैं। यही नहीं उनके कुछ फैसलों को लेकर विवाद भी कम नहीं हुए हैं। यहां तक कि उन्हें चीफ जस्टिस के पद से हटाने के लिए विपक्ष ने महाभियोग का प्रस्ताव भी संसद में रखा था। हालांकि, वो इस परीक्षा में भी पास हुए थे।
अपने कार्यकाल के आखिरी 18 दिनों में वो सेवानिवृत्त होने से पहले कई चर्चित मामलों पर फैसला सुना सकते हैं। इनमें अयोध्या, सबरीमाला मंदिर मामला, आधार की अनिवार्यता मामला, समलैंगिकता, एडल्टरी, दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर बैन का मामला, अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग, दहेज प्रताड़ना में सेफगार्ड, भेदभावपूर्ण’ व्यस्क कानून और एससी/एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण जैसे 10 मामले काफी अहम हैं। ऐसे में ये माह महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई के लिए काफी अहम् माना जा रहा है। एक नजर डालते उन मामलों पर जिनपर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा अपना फैसला सुना सकते हैं।
अयोध्या मामला:
वर्षों से चला आ रहे रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट इस महीने अपना फैसला सुना सकता है और हो सकता है कि इस मामले में नया मोड़ आये। 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था इस सवाल के साथ कि 1994 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। वर्ष 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि क्या मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं है?
सबरीमाला मंदिर मामला
केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाये या नहीं इसपर भी फैसला आना है। दरअसल, सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है और जिन्हें अनुमति है उन्हें अपने साथ आयु प्रमाणपत्र ले जाना अनिवार्य होता है जिसके बाद ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। 1 अगस्त को संविधान पीठ ने 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आधार मामला
आधार की अनिवार्यता के मामले की सुनवाई 68 दिन तक हुई थी और आखिर में 10 मई को इस मामले की सुनवाई पूरी हुई जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आधार से निजता का उल्लंघन होता है या नहीं इस मामले पर फैसला सुनाया जा सकता है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी।
समलैंगिकता
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता को अपराध के तहत लाने वाली आईपीसी की धारा 377 के खिलाफ दायर याचिका पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की थी। जुलाई माह में इस मामले में सुनवाई पूरी हो गयी थी और अब दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए अप्राकृतिक संबंध को अपराध के दायरे में रखा जाना चाहिए या नहीं ? इसपर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच को फैसला सुनाना है।
एससी/एसटी आरक्षण
30 अगस्त को सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट को अब ये तय करना है कि 2006 के फैसले पर पुनर्विचार करने की जरुरत है या नहीं।
दहेज प्रताड़ना मामला
आईपीसी की धारा-498 ए यानी दहेज प्रताड़ना मामले में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाये जाने के दो जजों की बेंच के फैसले पर विचार किया जाए या नहीं इसपर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। इस मामले पर भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच अपना फैसला सुनाएगी।
इसके अलावा IPC-497, अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग, दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक, एडल्टरी दाउदी बोहरा समुदाय में महिलाओं का खतना जैसे अन्य मामलों पर भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। ऐसे में आने वाले 18 दिन इन काफी महत्वपूर्ण होगा। अपने न्यायिक फैसलों के मशहूर दीपक मिश्रा सेवानिवृत्त होने से पहले देश के कई अहम् मुद्दों पर फैसला सुनाएंगे जो समाज में व्याप्त कृतियों, अपराध करने वालों और उसे बढ़ावा देने वालों के लिए कठिन साबित होने वाले हैं।