गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध मामले में सुनवाई करते हुए उन्हें मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दे दी है। इस मामले में 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया गया। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की सवैधानिक पीठ ने ये फैसला सुनाया जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस चंद्रचूड़ शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने अपनी एक राय पर फैसला सुनाया जबकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा अन्य जजों की राय के पक्ष में नहीं थीं। इसके बाद ‘बुद्धिजीवियों’ के गैंग ने उनपर निशाना साधना शुरू कर दिया। ये वही लिबरल्स और बुद्धिजीवी हैं जो आधार मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ और अयोध्या मामले में जस्टिस नजीर की असहमति को सही ठहरा रहे थे और उनकी असहमति को साहसिक बता रहे थे। मीडिया से लेकर लिबरल बुद्धिजीवियों ने वास्तविक फैसले की जगह असहमति को ज्यादा अहमियत दी और उन्हें एक हीरो की तरह चित्रित किया।
ऐसा ही कुछ आज सबरीमाला वाले मामले में हुआ जिसमें अन्य जजों की राय से जस्टिस इंदु मल्होत्रा की राय अलग थी। सबरीमाला मंदिर से संबंधित मामले में जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि, “सबरीमाला मंदिर में 10-50 उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट को लोगों की धार्मिक भावनाओं की कदर करनी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि “ये फैसला सिर्फ सबरीमाला मंदिर तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसका असर बहुत व्यापक होगा।” जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने इस मामले को बारीकी समझने के बाद कहा कि, “कोर्ट समानता के अधिकार के आधार पर धर्म से जुड़े मामले में फैसले नहीं ले सकता है और न ही ये तय कर सकता है कि किसी धर्म में क्या होना चाहिए और क्या नहीं।“
Issues of deep religious sentiments should not be ordinarily be interfered by the Court: Justice Indu malhotra in her dissenting opinion
— Live Law (@LiveLawIndia) September 28, 2018
Her Ladyship, d sole woman, Ms. Indu Malhotra,is d sole voice of dissent & agrees with d position of the #ReadytoWait campaign in principle.Her Ladyship has acknowledged that there exists a distinction between diversity and discrimination.I rest my case. Swamiye Saranam Ayyappa!
— Sai Deepak J (@jsaideepak) September 28, 2018
उनके इस कथन में कोई भी शब्द अनुचित नहीं थे उन्होंने लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए फैसले पर असहमति जताई लेकिन लिबरल्स इसे समझने की बजाए उन्हें ट्रोल करने लगे और उन्हें एक महिला होकर महिलाओं की ही दुश्मन के रूप में चित्रित करने लगे जबकि यही लिबरल गैंग अर्बन नक्सलियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ की असहमति को जायज बता रहा था और उनकी असहमति की सराहना कर रहा था। ऐसे ही अयोध्या मामले में जस्टिस नजीर की राय की भी सराहना की जा रही थी जिसमें जस्टिस नजीर ने कहा था, “मैं अपने भाई जजों की राय से सहमत नहीं हूं। मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है, इस विषय पर फैसला धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए, उस पर गहन विचार की जरूरत है।” ऐसे में अब इंदु मल्होत्रा की इस मामले में असहमति पर इतना हंगामा क्यों ?
वास्तव में ये लिबरल गैंग सिर्फ अपने विचारों के अनुरूप ही किसी को हीरो तो किसी को खलनायक के रूप में चित्रित करते हैं और उन्होंने सबरीमाला मामले में भी कुछ ऐसा ही किया है। हालांकि अन्य वर्गों ने इंदु मल्होत्रा को उनकी स्वतंत्र राय और फैसले पर असहमति के लिए सराह रहे हैं।
When it came to challenging highly discriminatory 35A, SC postponed hearing citing "law & order problems.". But in Sabarimala case SC bench prove themselves to be loyal sons of Macaulay. Salute Justice Indu Malhotra for independent & thoughtful dissent.
— Madhu Purnima Kishwar (@madhukishwar) September 28, 2018
Do not reduce Indu Malhotra's judgement to her gender. She has given her judgement as per her professional standing. Whether it suits you or not it has nothing to do with her gender.
Such a disservice to empowered women when folks scrutinize her judgement based on her gender.
— shilpi tewari (@shilpitewari) September 28, 2018
https://twitter.com/gunjakapoor/status/1045557555718549505
Respect for Justice Indu Malhotra. Her dissent displays true sense of secularism and our constitutional values. I hope our media will hail her dissent even half of how they hailed Justice Chandrachur for his dissent in Aadhaar judgement.
— Rahul Kaushik (Modi Ka Parivar) (@kaushkrahul) September 28, 2018