चेन्नई के ऑफिसर ट्रेनिंग अकेडमी के नए बैच में कई अफसरों ने ट्रेनिंग ली लेकिन इन सभी में नीरू संब्याल ने भी ट्रेनिंग ली और 8 सितम्बर को लेफ्टिनेंट की परेड में शामिल हुईं। अब वो 2 माउंटेन ड्यू रेजिमेंट का हिस्सा हैं और असम में रेजिमेंट ज्वाइन करेंगी। मजबूत और कठोर 252 कैडेटों में वो अकेली महिला थीं। इसके अलावा वो एक चार साल की बच्ची की मां भी हैं। लेफ्टिनेंट बनकर नीरू संब्याल ने अन्य महिलाओं के लिए उदाहरण स्थापित किया है। जम्मू के बरी ब्राह्मण इलाके की 28 साल की नीरू ने अपने पहले ही प्रयास में एसएसबी की परीक्षा पास कर ली थी जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी है। वो एक शहीद की पत्नी भी हैं। उनके मृत पति रवींद्र संब्याल 2 JAK Rif का हिस्सा थे जिनकी 2015 में चोट की वजह से मृत्यु हो गयी थी। अपने पति की मृत्यु के बाद नीरू ने जो कदम उठाया वो भविष्य में अन्य लोगों को प्रेरित करेगा। नीरू ने सेना में शामिल होने का रास्ता चुना और इस कदम के लिए उनके परिवारवालों व उनके पति के रेजिमेंट ने उनका साथ दिया और उन्होंने इसमें सफलता भी हासिल की।
लेफ्टिनेंट नीरू संब्याल की एक चार साल की छोटी बच्ची भी है और उन्हें ट्रेनिंग के कारण अपनी बच्ची से काफी समय तक के लिए दूर रहना पड़ा। इस फैसले में नीरू के ससुर साथ खड़े रहे और जब भी नीरू को लगता था कि वो सफल नहीं हो पाएंगी तब वो आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देते थे। अपने दामाद को खोने के बाद बेटी को खोने के डर से नीरू के पिता नहीं चाहते थे कि वो सेना में शामिल हो ऐसे में नीरू के ससुर ने ही उन्हें मनाया था। नीरू का शैक्षणिक पृष्ठभूमि काफी अच्छा है। नीरू के पास बीए, बीएड, एमए और एमएड की डिग्री है और परिवारवालों की मानें तो वो एक आम महिला कि तरह ही शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती थी। नीरू संब्याल के ससुर भी सेना में 36 साल अपनी सेवा दे चुके हैं जिन्होंने अपनी बहु के फैसले में उसका साथ दिया और नीरू के पिता को भी मनाया।
अपनी एसएसबी की तैयारी को लेकर बात करते हुए लेफ्टिनेंट नीरू संब्याल ने कहा, “पति का रेजिमेंट परिवार की तरह है और मैं उनके काफी करीब हूं। जब भी जरूरत पड़ी है 2 JAK Rif हमेशा साथ खड़ा रहा है। उन्होंने ये भी कहा, “अगर मुझे कुछ हो जाता है तो मैं जानती हूं कि वे लोग मेरी बेटी के लिए मौजूद रहेंगे।” कड़ी मेहनत, परिवारवालों और पति के रेजिमेंट के समर्थन की वजह से नीरू एक ही बार में एसएसबी की परीक्षा पास करने में कामयाब हो गयीं। हालांकि, इस दौरान अपनी बेटी से दूर रहना उनके लिए काफी कठिन था फिर भी कई मुश्किल हालातों से लड़कर आखिर में नीरू संब्याल ने अपने पति का सपना पूरा किया है। देश की सेवा की निष्ठा का भाव नीरू के चेहरे पर साफ़ झलक रहा है। भारतीय सेना को एक और ऐसी सैनिक मिल गयी है जिसने अपनी मेहनत से सभी को चौंका दिया है और हम आशा करते हैं कि वो इसी तरह से अपने जीवन में आगे बढ़ती रहें।