पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान ने शांति वार्ता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। इसके बाद पीएम मोदी ने इसपर विचार करते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी लेकिन जल्द ही पाक का दोगला रुख सामने आ गया। भारतीय सुरक्षा बलों के जवानों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकवादियों को पाकिस्तान ने सम्मानित किया। इससे भारत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शांति वार्ता को रद्द कर दिया था। इसके बाद भारत ने पाक को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी साइडलाइन कर दिया है और न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के साथ पाकल दुल बांध और लोअर कलनाल पनबिजली परियोजनाओं पर चर्चा करने से इंकार कर दिया है।
भारत द्वारा पाकल दुल बांध और लोअर कलनाल पनबिजली परियोजनाओं पर चर्चा से इंकार के बाद पाकिस्तान डेली ‘डान’ न्यूज़ ने लिखा , “भारत ने ‘कुछ स्थानीय मुद्दों’ का हवाला देते हुए पनबिजली परियोजनाओं के निरीक्षण को स्थगित करने का फैसला किया है।“ वहीं, एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा भारत का ये निर्णय हाल ही में दोनों देशों के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी और सुषमा स्वराज के बीच रद्द हुई वार्ता के बाद एक नया विवाद खड़ा हो सकता है। बता दें कि भारत पाक के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार था लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और देश की सीमा पर आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश की जिसपर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई और स्पष्ट किया कि देश के सुरक्षबलों के जवानों की निर्मम हत्या करने वालों के साथ वार्ता संभव नहीं है। यही नहीं शांति वार्ता रद्द होने से पाक पीएम इमरान खान ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्द कहे थे और उन्हें ‘बड़े पद’ पर बैठा ‘छोटा आदमी’ कहा था जिससे भारतीय राजनीतिक पार्टियां एक साथ आ गयीं और पाक को करारा जवाब दिया। अब पाकल दुल बांध और लोअर कलनाल पनबिजली परियोजनाओं पर चर्चा को स्थगित कर भारत ने पाकिस्तान को एक और झटका दे दिया है।
गौरतलब है कि भारत चेनाब नदी पर अपनी 1000 मेगावाट की पाकल दुल बांध और 48 मेगावाट लोअर कलनाल पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है जिसपर पाकिस्तान ने कई बार आपत्ति जताई है लेकिन उसकी आपत्तियों को ख़ारिज करता रहा है। इसके बाद इसी साल अगस्त में लाहौर में सिंधु जल समझौता प्राधिकरण की बैठक के बाद वास्तविकता को देखने के लिए पाकिस्तानी विशेषज्ञों को भारत के जल आयोग के आयुक्त पीके सक्सेना ने परियोजना स्थलों पर आमंत्रित किया था और अक्टूबर में पाकिस्तानी विशेषज्ञों के भारत आने का कार्यक्रम भी तय हो गया था लेकिन भारत ने उससे पहले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी साइडलाइन कर दिया। साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में विभाजित किया गया था लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों के बीच इस समझौते को लेकर तनाव खत्म नहीं हुआ। इसी साल पाकिस्तान ने इस मामले में वर्ल्ड बैंक का दरवाजा भी खटखटाया था लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी थी। वर्ल्ड बैंक ने इस मामले में मध्यस्थता से इंकार कर दिया था। पाकिस्तान को हर जगह से अपनी हरकतों के लिए निराशा ही मिली है लेकिन इसके बावजूद उसके रवैये में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
एक तरफ वो शांति वार्ता की पहल कर ये दिखाने की कोशिश करता है कि वो भारत के साथ फिर से अपने संबंधों को सुधारना चाहता है लेकिन दूसरी तरफ भारतीय सुरक्षा बलों के जवानों की निर्मम हत्या करने की साजिश रचता है और आतंक का व्यापार करता है और तो और उन्हें सम्मानित भी करता है। ऐसे में भारत ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों को गंभीरता से लेते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनदेखा कर दिया जिससे पाक को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा।